इंसान अपने जीवन में बहुत कुछ करने के बारे में सोचता रहता है लेकिन सिर्फ सोचने वालों को कभी भी अपनी मंजिल नहीं मिलती है। अगर आप अपने जीवन में कुछ करना चाहते हैं, आप अपने जीवन में एक अच्छी कामयाबी पाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कड़ी मेहनत करने के साथ-साथ संघर्ष करना पड़ेगा। आपको अपनी मंजिल पाने के लिए बहुत सी परिस्थितियों से गुजरना पड़ेगा। हर कठिनाई का सामना करके ही आप अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि किसी भी चीज की कोई उम्र नहीं होती। अगर आपके अंदर कुछ कर दिखाने का जज्बा हो और आपके हौंसलें बुलंद हों, तो आप वो चीज हासिल कर सकते हैं, जिसे आप चाहते हैं। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है, मुंबई के रहने वाले तिलक मेहता ने, जिन्होंने महज 13 वर्ष की उम्र में 100 करोड़ रुपए की कंपनी खड़ी कर दी।
जी हां, मुंबई के तिलक मेहता ने छोटी सी उम्र में जो मुकाम हासिल किया है, वह उन्हें बाकी बच्चों से अलग बनाता है। जिस उम्र में बच्चे खेल-कूद, पढ़ाई और मस्ती करते रहते हैं उस उम्र में तिलक मेहता ने करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी और वह 200 से अधिक लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।
ऐसे मिला बिजनेस का आईडिया
तिलक मेहता ने एक इंटरव्यू के दौरान यह बताया कि कई बार मुझे किताबों की जरूरत पड़ती थी तो पिताजी को दिन भर के कामों से थके देखकर उन्हें कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। तिलक मेहता को अपने बिजनेस का आईडिया अपने पिता की थकान देख कर आया था। जब तिलक मेहता के पिता विशाल मेहता शाम को डॉक्टर से आते थे, तो काफी थक जाते थे और इसी वजह से तिलक कभी अपने पिता से बाहर जाने या कोई सामान लाने के लिए नहीं कह पाते थे।
कई बार तो तिलक अपनी कॉपी और कलम लाने के लिए भी पिता को नहीं कह पाते थे। इसके बाद तिलक मेहता ने यह सोचा कि इस तरह की समस्या से ज्यादातर लोग जूझते होंगे, क्योंकि ऑफिस से थककर लौटे अपने पिता को देखकर अपनी मांग टाल देते होंगे। इसके बाद उन्हें बिजनेस का आइडिया आया और उन्होंने कोरियर सर्विस की शुरुआत की।
बैंक अधिकारी ने की मदद
तिलक मेहता के पिता ने इसमें उनकी मदद की और तिलक की मुलाकात बैंक अधिकारी घनश्याम पारेख से करवाई। तिलक ने अपने बिजनेस आइडिया को बैंक अधिकारी घनश्याम पारेख को बताया तो उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ तिलक के साथ ही जुड़ गए और कंपनी में मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के तौर पर काम करने लगे। तिलक ने अपनी कंपनी का नाम ‘पेपर्स एंड पार्सल्स’ रखा। शुरुआत में तिलक की कंपनी ने बुटीक और स्टेशनरी शॉप वालों से छोटे-छोटे ऑर्डर लिए। इसके लिए तिलक ने मुंबई में डिब्बावालों की मदद ली।
100 करोड़ का टर्नओवर और 200 लोगों को रोजगार
लोगों का अच्छा रिस्पांस मिला और उन्होंने अपने काम को बढ़ाया। तिलक की कंपनी आज 200 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रही है और उनके करीब 300 डिब्बेवाले भी जुड़े हुए हैं। तिलक की कंपनी का सालाना टर्नओवर 100 करोड़ रुपए है। अब उनका लक्ष्य 200 करोड़ के पार पहुंचाना है।