इस 14 साल की बहादुर बिटिया ने ढाई साल के मासूम की बचाई जान, सेना में काम करना चाहती है कशिश
जीवन में कब क्या हो जाए, इसके बारे में बता पाना बहुत ही मुश्किल है लेकिन अगर समझदारी और सतर्क रहकर काम किया जाए तो इससे बड़ी से बड़ी मुसीबत को भी टाला जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि हिम्मत और साहस की कोई उम्र नहीं होती, जिसको सच साबित कर दिखाया है एक 14 साल की बच्ची ने। अगर आप इसके हौसले की कहानी सुनेंगे तो आप भी आश्चर्यचकित हो जाएंगे। 14 साल की कशिश ने जो काम किया है उसकी चर्चा खूब हो रही है, जिसके लिए पुलिस भी उसे सम्मानित कर रही है।
ढाई साल के बच्चे की बचाई जान
दरअसल, 14 साल की कशिश की हिम्मत और साहस की वजह से ही एक ढाई साल का मासूम बच्चा जिसका नाम आर्यन है, वह गुम होने के 8 घंटे बाद अपने माता-पिता के पास सुरक्षित पहुंचा और वह एक बार फिर से अपनी मां की गोद में जाकर खिलखिला उठा। ढाई साल के मासूम बच्चे आर्यन के पिता का नाम धर्मेंद्र है। वहीं उसकी मां का नाम काजल है। यह नोएडा के गिझौड़ गांव में रहते हैं।
यह पूरा मामला 13 अप्रैल की रात लगभग 8:30 बजे का है। जब आर्यन खेलते-खेलते घर से बाहर आ गया था और खेलते खेलते वह घर से थोड़ी दूर निकल गया। ऐसा बताया जा रहा है कि परिवार के साथ रहने वाला एक लड़का घर के बाहर निकला था, जिसके पीछे पीछे आर्यन भी चला गया था लेकिन जब वह आगे गया तो वह भटक गया।
इसी बीच एक अफवाह उड़ी जिसने पुलिस का काम और मुश्किल कर दिया। किसी ने यह अफवाह उड़ा दी थी कि आर्यन को एक महिला उठाकर ले गई। जब यह अफवाह उड़ी तो ढाई साल के मासूम बच्चे के माता-पिता और ज्यादा चिंतित हो गए।
पुलिस को मिला एक सीसीटीवी फुटेज
दरअसल, पुलिस को एक सीसीटीवी फुटेज मिला था, जिसमें उन्हें 14 साल की कशिश आर्यन से बात करते हुए नजर आई थी। सीसीटीवी में यह नजर आ रहा है कि आर्यन के आस पास बहुत सारे लोग आते जाते हैं लेकिन कोई भी रुक कर बच्चे की तरफ नहीं जाता। कशिश अपनी मां के साथ उस रास्ते से निकलती है और फिर इंतजार करती है कि आखिर यह बच्चा किस तरफ जा रहा है लेकिन जल्द ही वह समझ जाती है कि बच्चा रास्ता भटक गया है।
8 घंटे तक बच्चे का ख्याल रखा
जब कशिश यह समझ गई कि यह बच्चा रास्ता भटक चुका है तो उसने तुरंत बच्चे को संभाला और उसे अपने घर ले कर चली गई। जब कशिश से यह पूछा गया कि उसे अनजान बच्चे को अपने घर लाते हुए डर नहीं लगा, तो उसने कहा कि मैं कोई गलत काम नहीं कर रही थी तो भला डर कैसा। कशिश ने आर्यन को अपने घर ले जाकर आसपास के मोहल्ले के लोगों से पूछा कि कहीं किसी का बच्चा तो नहीं खोया है।
जब कशिश कशिश को किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त नहीं हुई तो वह उस बच्चे को अपने घर लेकर आ गई और बच्चे का ख्याल रखा। कशिश ने बच्चे को दूध बिस्किट खिलाया, पानी पिलाया और फिर उसे आराम से सुला दिया। अब कशिश के द्वारा किए गए इस काम की चर्चा हर तरफ हो रही है और लोग उसकी तारीफ करते हुए नहीं थक रहे हैं।
सेना में जाना चाहती है कशिश
वहीं कशिश की मां का ऐसा बताना है कि कशिश इससे पहले एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई किया करती थी परंतु कोरोना महामारी की वजह से स्कूल बंद हो गए थे और फिर बाद में जब स्कूल खुले तब ₹12000 फीस मांगी गई थी। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी ठीक नहीं है। ऐसे में इतने पैसे माता-पिता के पास नहीं थे, जिसके बाद माता-पिता ने अपनी बेटी कशिश का एडमिशन सरकारी स्कूल में करवाया।
वहीं अब कशिश की समझदारी और हौसले से नोएडा पुलिस ने खुश होकर उसकी पढ़ाई की जिम्मेदारी ले ली है। एसीपी रजनीश वर्मा के द्वारा ऐसा बताया गया कि बच्ची की अच्छी पढ़ाई-लिखाई का इंतजाम किया जाएगा। साथ ही कशिश के पिता को भी आर्थिक सहायता दी जाने की बात कही है।