ये हैं 4 बॉलीवुड महिला कैरेक्टर्स जिन्होंने अपने दर्द को ही बनाया जीने की वजह, परिवार के साथ जरुर देखें यह फिल्में
ज़माना बदल रहा है और इस बदलते समय मे बॉलीवुड फ़िल्मों की स्टोरीज़ भी बदल रही हैं. एक समय ऐसा था जब फ़िल्मों में हीरोइन को मुश्किल से बचने के लिए हीरो या किसी राजकुमार का इंतज़ार करना पड़ता था. लेकिन अब के समय मे किसी लड़की को प्रिंस चार्मिंग की जरूरत नही है. क्योंकि वह हर मुसीबत से निकलने का रास्ता खुद ही ढूंढ लेती है. शायद यही वजह है जो इन दिनों फिल्मों में भी महिला करैक्टर्स को मुख्य भूमिका दी जाती है. आज की अभिनेत्रियां उन फिल्मों में अभिनय करना पसंद करती हैं, जिनमे वुमन पावर और जज़्बा दिखाया जाता हो. आज के इस पोस्ट में हम आपको 4 महिला बॉलीवुड करैक्टर्स के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने कमजोरी को ताकत बना कर साबित कर दिखाया कि महिलाएं कमजोर नही हैं.
क़वीन- कंगना रनौत
विकास बहल के निर्देशन में बनी फ़िल्म ‘क़वीन’ बॉक्स आफिस पर धमाकेदार साबित हुई थी. फ़िल्म में कंगना रनौत मुख्य किरदार निभाते हुए नज़र आई थी. इसमे कंगना ने एक ऐसी लड़की का रोल प्ले किया, जो कम्फर्ट ज़ोन में जीने की आदी होती है. लेकिन तभी उसका प्रेमी जिससे उसकी शादी तक होने वाली होती है, वह उसको छोड़ देता है. इसके बाद वह हार नही मानती और अकेली लंदन चली जाती है और अकेले हर मुश्किल को पार करना सीख लेती है.
हाईवे- आलिया भट्ट
आलिया भट्ट को हमने स्टूडेंट ऑफ़ द इयर मूवी में मॉडर्न किरदार प्ले करते हुए देखा है. लेकिन आलिया भट्ट और रणबीर हुडा की फिल्म ‘हाईवे’ आलिया भट्ट के करियर की बेहतरीन फिल्मों में से एक मानी जाती है. इस फिल्म में आलिया को हमने वीरा का किरदार निभाते हुए देखा है. रणदीप हुड्डा फिल्म में आलिया को किडनैप कर लेते हैं और जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं की जाती, तब तक वह उन्हें अपने साथ रखते हैं. फिल्म में वीरा के माँ-बाप बेटी की फ़िक्र से ज्यादा फ़िक्र इस बात की करते है कि वीरा की वजह से उनके घराने की बदनामी ना हो जाए. वहीँ वीरा किडनैप रह कर आज़ादी महसूस करती हैं और ऐसे ही अपनी खुशियाँ ढूँढ लेती है.
दिल धड़कने दो- प्रियंका चोपड़ा
फिल्म दिल धड़कने दो में प्रियंका की एक्टिंग काबिल-ए-तारीफ मानी जाती है. इसमें वह आयशा के रोल में दिखाई दी थीं. आयशा एक बिजनेस वुमन है जोकि अपना अच्छा बुरा बखूबी जानती है लेकिन इसके बावजूद भी उसे अपने घरवालों की सुननी पड़ती है. फिल्म में आयशा की शादी हो जाती है लेकिन उसके ससुराल वालों की नजर में उसकी काबिलियत सिर्फ इतनी ही होती है कि वह उनके पैसों पर ऐश करे और उन्हें एक वारिस दे. लेकिन आयशा खुल कर जीना चाहती है और घुटन बारे रिश्ते से बाहर निकलने के लिए तलाक की डिमांड करती है. परन्तु उसके परिवार वालों की नजर में तलाक एक अपराध से कम नहीं माना जाता. ऐसे में वह किस तरह अपनी आज़ादी के लिए परिस्थियों का सामना करती है, यह फिल्म में देखने लायक है.
पिंक- तापसी पन्नू
पिंक फिल्म दर्द को ताकत बनाने का सबसे अच्छा उदहारण देती है. फिल्म में तापसी ने मीनल का किरदार निभाया है जिसकी दो सहेलियां ईव टीजिंग का शिकार होती हैं. फिल्म में मीनल बिना डरे या शर्मायेअपने ऊपर हुए ज़ुल्मों का कच्चा-चिट्ठा खोल कर रख देती है. इस फिल्म में सिखाया गया है कि यदि आप पर ज़ुल्म हो रहा है तो आप को उस ज़ुक्म के खिलाफ तब तक खड़े रहना है, जब तक आपको समाज इंसाफ देने के लिए मजबूर ना हो जाए.