सोशल मीडिया पर आए दिन कोई ना कोई नई खबर सुनने को मिल ही जाती है। हम सभी लोगों ने अभी तक कई तरह की अजीबोगरीब घटनाओं के बारे में देखा और सुना होगा। लेकिन आज हम आपको जिस मामले के बारे में बता रहे हैं, उसे जानने के बाद आप भी हैरत में पड़ जाएंगे। दरअसल, एक डायमंड कारोबारी की बेटी ने अपने पिता की संपत्ति को छोड़ सन्यास की राह चुनी ली है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि लड़की की उम्र महज 8 वर्ष की है।
जी हां, आप लोग बिल्कुल सही सुन रहे हैं। गुजरात से जो अजीबोगरीब घटना सामने आई है, उसमें 8 साल की उम्र में डायमंड कारोबारी की बेटी देवांशी संघवी ने पिता की संपत्ति को छोड़ सन्यास की राह चुन ली है। जिस उम्र में बच्चों को खेलना, घूमना, तरह तरह का खाना खाना पसंद होता है, उस उम्र में इस लड़की ने इन सब चीजों का मोह छोड़ संयास ले लिया है।
8 साल की उम्र में लिया संन्यास
आपको बता दें कि देवांशी संघवी हीरा कारोबारी की बेटी है, जिसकी उम्र 8 साल की है। देवांशी संघवी ने अपनी आलीशान जिंदगी त्याग कर सन्यासी बनने का फैसला लिया है। हैरान करने वाली बात यह है कि एक तरफ जहां बच्चे टीवी, मोबाइल आदि देखे बिना और बाहर घूमने बिना नहीं रह सकते, वहीं देवांशी संघवी ने कभी टीवी या फिल्में नहीं देखी। इसके साथ ही वह कभी रेस्टोरेंट या विवाह समारोह में शामिल नहीं हुई।
देवांशी संघवी ने अब तक 367 दीक्षा कार्यक्रम में भाग लिया है, जिसके बाद उन्होंने जैन धर्म की ओर रुख करते हुए सन्यास लेने का निर्णय ले लिया है। देवांशी संघवी को जैन धर्म के आचार्य विजय कीर्तियशूसरि ने दीक्षा दिलवाई है। रिपोर्ट्स की मानें, तो परिवार के मित्र ने पुष्टि की है कि एक बड़े बिजनेसमैन के मालिक होने के बावजूद यह परिवार एक साधारण जीवन जीता है।
हीरा कंपनी के मालिक हैं पिता
आपको बता दें कि देवांशी, मोहन संघवी के इकलौते बेटे धनेश संघवी की बेटी हैं, जो गुजरात के सूरत जिले के सबसे पुराने हीरा बनाने वाली कंपनियों में से एक संघवी और संस के पितामह कहे जाते हैं। धनेश संघवी जिस हीरा कंपनी के मालिक हैं उस कंपनी की दुनिया भर में कई सारी शाखाएं हैं और सारा टर्नओवर करीब 100 करोड़ तक का है।
देवांशी की छोटी बहन का नाम काव्या है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हीरा व्यापारी धनेश और उनका परिवार भले ही काफी धनवान है परंतु वह बिल्कुल साधारण जीवन जीते हैं। उनका परिवार शुरू से ही धार्मिक रहा है। देवांशी भी बचपन से ही दिन में तीन बार प्रार्थना के नियमों का पालन करती हैं।
कई भाषाओं की जानकार हैं देवांशी
8 वर्षीय देवांशी को हिंदी, अंग्रेजी समेत कई सारी भाषाओं का ज्ञान है। वह संगीत, स्केटिंग, मेंटल मैथ्स और भारतनाट्यम में भी माहिर हैं। देवांशी को वैराग्य शतक और तत्वार्थ के अध्याय जैसे महाग्रंथ कंठस्थ हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार देवांशी का बचपन से ही वैराग्य की ओर झुकाव था। इसी वजह से उसने छोटी उम्र से ही गुरुओं के साथ रहना शुरू कर दिया। देवांशी ने अपने पिता की संपत्ति का त्याग करते हुए महज 8 वर्ष की आयु में ही विलासिता को त्याग कर सन्यास ग्रहण कर लिया।