6 साल की ब्रेन डेड बच्ची ने बचाई 5 लोगों की जिंदगी, रोली बनी AIIMS की सबसे कम उम्र की “अंग दाता”
अंगदान को महादान माना जाता है। अंगदान जीवन के लिए उपहार के समान है। अंगदान करके हम किसी भी जरूरतमंद की के जीवन को बचा सकते हैं। अंगदान इस समाज के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं जो इंसान इस दुनिया में जन्म लेता है वह एक ना एक दिन इस दुनिया को छोड़ कर जरूर चला जाता है परंतु इंसान के साथ कब क्या हो जाए इसके बारे में कोई भी बता नहीं सकता है। अचानक ही हंसते खेलते इंसान के साथ अगले वक्त क्या होगा? इसके बारे में कोई नहीं जानता।
ऐसा कहा जाता है कि दान से बड़ा कोई धर्म नहीं होता। जब अंगदान किया जाए तो इसका महत्व और बढ़ जाता है क्योंकि अंगदान से लोगों को नया जीवन मिलता है। रोजाना ही लोग दुर्घटना में अपनी जान गंवा देते हैं, जिनके अंग दान से दूसरों को जीवनदान दिया जा सकता है। इसी बीच दिल्ली एम्स में एक 6 साल की ब्रेन डेड बच्ची ने 5 लोगों को नई जिंदगी दी है, जिसके बाद वह दिल्ली एम्स के इतिहास में अंगदान करने वाली सबसे कम उम्र की बच्ची बन गई है।
दरअसल हम आपको जिस बच्ची के बारे में बता रहे हैं उसका नाम रोली प्रजापति है। रोली को पिछले महीने यानी अप्रैल में उत्तर प्रदेश के नोएडा में अज्ञात हमलावरों ने सिर में गोली मार दी थी। जिसकी वजह से रोली कोमा में चली गई थी। उसका इलाज दिल्ली के एम्स में चल रहा था लेकिन डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया।
एम्स के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. दीपक गुप्ता ने समाचार एजेंसी ANI को यह बताया कि “साढे 6 साल की बच्ची रोली 27 अप्रैल को अस्पताल पहुंची थी। उसके दिमाग में एक गोली लगी थी। दिमाग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। वह लगभग ब्रेन डेड हालत में अस्पताल पहुंची थी। इसलिए हमने परिवार के सदस्यों से बात की।” वहीं माता-पिता ने बच्ची के अंगों को दान करने का फैसला किया।
माता-पिता के इस फैसले के लिए डॉक्टरों ने की सराहना
एम्स के न्यूरोसर्जन डॉ दीपक गुप्ता ने ये कहा कि “हमारी टीम ने बच्ची के माता-पिता के साथ बैठकर अंगदान के बारे में बात की। हमने माता-पिता को सलाह दी और उनकी सहमति मांगी थी कि क्या वह अन्य बच्चों के जीवन को बचाने के लिए अंगदान करने के इच्छुक होंगे। बच्ची के माता-पिता अंगदान के लिए मान गए और उन्होंने उसके लिए हामी भरी।” एम्स के डॉक्टर ने अंगदान करने और 5 लोगों की जान बचाने के लिए रोली के माता-पिता की सराहना की। बच्ची के लिवर, किडनी, कॉर्निया, हृदय वाल्व डोनेट किए गए हैं।
बच्ची के माता-पिता ने जीवन बचाने के महत्व को समझा
आपको बता दें कि इस अंगदान के साथ रोली एम्स दिल्ली के इतिहास में सबसे कम उम्र की डोनर बन जाती है। एम्स के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉक्टर दीपक गुप्ता ने बताया कि “अंगदान के बारे में ज्यादा जानकारी ना होने के बावजूद यह कदम उठाने के लिए हम माता-पिता के बहुत आभारी हैं। उन्होंने जीवन बचाने के महत्व को समझा।” एम्स के न्यूरोसर्जन ने यह खुलासा किया कि “हमने साल 1994 में यहां अंगदान की सुविधा शुरू की थी। मेरी जानकारी के मुताबिक, पूरे दिल्ली-एनसीआर में हमारे पास इतना युवा अंग दाता नहीं था।”
बच्ची के माता-पिता ने कही ये बात
वहीं अपनी बेटी के अंगों के दान करने के बारे में माता-पिता ने बात की। रोली के पिता हरनारायण प्रजापति ने एएनआई को यह बताया कि “डॉ गुप्ता और उनकी टीम ने हमें अंगदान के लिए सलाह दी कि हमारा बच्चा अन्य बच्चों की जान बचा सकता है। हमने इसके बारे में सोचा और फैसला किया कि वह अन्य लोगों के जीवन के सहारे जीवित रहेगी और दूसरों के मुस्कुराने की वजह बनेगी।” वहीं रोली की मां पूनम देवी ने भावनात्मक रूप से उल्लेख किया कि उनकी बेटी ने उन्हें छोड़ दिया है लेकिन अन्य लोगों के जीवन को बचाने में सफल रही है।