हिंदू धर्म में क्यों किया जाता है बच्चों का मुंडन? जानिए क्या है इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण
जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं भारत में कई धर्म के लोग रहते हैं। हर धर्म के अलग-अलग नियम-कायदे हैं। हिंदुओं में तो और भी कई नियम-कायदे माने जाते हैं। अगर आप हिंदू धर्म से ताल्लुक रखते हैं तो आपका मुंडन संस्कार जरूर हुआ होगा। ज्यादातर बच्चों के जन्म के कुछ समय बाद उनका मुंडन कराया जाता है।
आपको बता दें कि हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक के 16 संस्कार बताए गए हैं। इन सभी संस्कारों के पीछे कोई ना कोई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण होता है। इन्हीं में से एक मुंडन संस्कार है। हिंदू धर्म में मुंडन की परंपरा बहुत पहले से चली आ रही है। किसी भी शिशु का मुंडन संस्कार ज्यादातर पवित्र धार्मिक स्थलों पर किया जाता है।
मां के गर्भ से जन्म लेने के बाद शिशु के सिर के जो बाल होते हैं, उन्हें हटाने को मुंडन संस्कार कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि धार्मिक तीर्थ स्थलों पर जाकर बच्चों का मुंडन संस्कार कराना बहुत ही शुभ होता है। आमतौर पर बच्चे के जन्म के एक साल के अंदर ही मुंडन संस्कार किया जाता है लेकिन मराठी समुदाय में बच्चे के सात साल का होने तक मुंडन संस्कार किया जा सकता है।
वहीं कुछ लोगों में मुंडन संस्कार की परंपरा शादी की तरह बहुत धूमधाम से निभाई जाती है। मुंडन संस्कार करवाने के पीछे भी कई मान्यताएं और तर्क हैं। नवजात शिशु का मुंडन संस्कार के पीछे धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण भी माना गया है।
जानिए कैसे होता है मुंडन संस्कार
आमतौर पर बच्चे के पहले साल के आखिर में या फिर तीसरे, पांचवें या सातवें वर्ष में मुंडन संस्कार किया जाता है। जब बच्चे के सिर के बाल उतारे जाते हैं तो इस पूरी प्रक्रिया में घर-परिवार के अलावा रिश्तेदार भी हिस्सा लेते हैं। मुंडन संस्कार में धार्मिक अनुष्ठान के बाद बच्चे के बाल को उतारा जाता है। उसके पश्चात सिर पर हल्दी से स्वास्तिक बनाया जाता है या फिर पूरे सिर पर ही हल्दी का लेप लगाया जाता है। इस मौके पर कुछ अन्य रीति-रिवाज को भी निभाया जाता है।
मुंडन संस्कार के पीछे धार्मिक कारण
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब बच्चे का मुंडन संस्कार होता है, तो उसके बाद ही बच्चे का दिमागी विकास सही ढंग से हो पाता है। वहीं मुंडन के बाद सिर पर हल्दी लगाने का भी बड़ा महत्व है। हिंदू धर्म में हल्दी का संबंध भगवान विष्णु जी और गुरु ग्रह से होता है। जब बच्चे का मुंडन कराने के बाद हल्दी लगाया जाता है तो उससे बच्चे का सौभाग्य बढ़ता है। वहीं स्वास्तिक का चिन्ह सनातन धर्म में भी बेहद शुभ माना जाता है। जब बच्चे के बाल उतार दिए जाते हैं तो उसके बाद सिर पर हल्दी से स्वास्तिक बनाने से उसका सहस्रार चक्र सक्रिय होता है, जो कि शरीर को नियंत्रित करता है।
मुंडन संस्कार के पीछे वैज्ञानिक कारण
वहीं अगर हम वैज्ञानिक कारण की बात करें, तो नवजात शिशु के बाल में कई तरह की अशुद्धियां होती हैं। इसलिए इन्हें काटना बेहतर होता है। ऐसा करने से बच्चे का किसी भी प्रकार के इंफेक्शन से बचाव होता है और उसके मन-मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। वहीं हल्दी एंटीबायोटिक की तरह कार्य करती है, जिसकी वजह से मुंडन के पश्चात बच्चे को कई प्रकार की बीमारियों से बचाती है।