इस दिन से शुरू हो रहा है पितृपक्ष, भूल से भी न करें ये काम, पितर हो जाएंगे नाराज
हिंदू धर्म में पितृपक्ष का समय काफी मायने रखता है, वहीं आपको बता दें कि इस दिन में पिंडदान व पितरों की पूजा करना खास महत्व रखता है। हर साल की तरह इस साल भी यह त्योहार शुरू होने वाला है जो कि 13 सितंबर से लेकर 28 सितंबर तक चलेगा। इन दिनों पितरों की पूजा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। यही वजह है कि लोग अपने पितरों के लिए इन दिनों में पूर्वजों को पिंडदान और तर्पण कर दिया जाता है। इसलिए इस पूजा को विधिपूर्वक करना चाहिए।
शास्त्रों में बताया गया है कि पिंडदान की पूजा में किसी भी तरह की लापरवाही करने से आपके पितर नाराज हो जाएंगे। इसलिए इसको करते समय कई सारी बातों का ध्यान रखना चाहिए वो भी बिना किसी गलती के। वहीं इसके अलावा यह भी ध्यान रखें कि कुछ चीजें ऐसी है जिसे भूल से भी नहीं करना चाहिए।
शास्त्रों का कहना है कि पितरों की आत्मा की की शांति की लिए पिंडदान और तर्पण किया जाता है। मान्यता तो यह भी है कि पितृपक्ष में पितरों की पूजा न करने से पूर्वजों को मृत्युलोक में जगह नहीं मिलती है और उनकी आत्मा अक्सर ही भटकती रहती है। यही वजह है कि पूरे विधिविधान के साथ ही इन दिनों में तर्पण और पिंडदान करना चाहिए।
कहा जाता है कि जब से पितृपक्ष का महीना शुरू हो जाता है तभी से कई सारे नियम भी शुरू हो जाते हैं इसलिए इस दौरान अगर आप भी अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर रहे हैं तो न ही शरीर पर तेल का प्रयोग करें और न ही पान खाएं। इसके अलावा किसी दूसरे के घर का खाना भी खाना इस दौरान वर्जित होता है।
कहा तो यह भी जाता है कि पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए ये पूजा की जाती है। यह समय उन्हें याद करने का और पितरों के लिए शोक मनाने का होता है एकतरह से शोकाकुल माहौल होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस समय कोई शुभ कार्य सम्पन्न नहीं किए जाते हैं और घर में किसी तरह की कोई नई वस्तु की खरीदारी करना भी अशुभ माना गया है।
बात करें विशेष रूप से पूरूषों की तो इस दौरान उन्हें अपनी दाढ़ी नहीं बनवानी है और न ही बाल कटवाने हैं। शास्त्रों में भी इस बात का उल्लेख है कि इन पंद्रह दिनों में बाल कटवाने और दाढ़ी बनवाने से धन की हानि हो सकती है।
ध्यान रहे कहा जाता है कि पितृपक्ष के दौरान घर पर ही बनाए गए सात्विक भोजन का अपने पितरों को भोग लगाएं वहीं अगर आपको अपने पूर्वज की मृत्यु तिथि याद है तो ध्यान रखते हुए उस दिन ही पिंडदान कर सकते हैं, नहीं तो फिर पितृपक्ष के आखिरी दिन भी पिंडदान अथवा तर्पण की विधि से पूजा संपन्न करनी चाहिए।