करोड़ों की संपत्ति, चार बेटे, फिर भी वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर… रुला देगी 87 वर्षीय बुजुर्ग महिला की कहानी
इस संसार का सबसे बेहतर रिश्ता माता-पिता का होता है। हर माता-पिता अपने बच्चों को बेहतर बनाने के लिए खुद को झोंक देते हैं। हमारे जीवन में चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों, हर समय हमारा साथ देने वाले हमारे माता-पिता ही होते हैं। माता-पिता जीवनभर अपने बच्चों को प्यार देते हैं, उन्हें बड़ा करते हैं तथा उनकी हर सुविधा बन जाते हैं। हर माता-पिता का यही सपना होता है कि उनके बच्चे पढ़-लिख कर तरक्की करें और वह अपने जीवन में अच्छा नाम कमाएं।
माता-पिता यही सोचते हैं कि जब वह बूढ़े हो जाएंगे, तो उनके बच्चे उनकी देखभाल अच्छे तरीके से करेंगे। बहुत से बच्चे ऐसे हैं जो अपने माता-पिता की देखभाल को अपनी सबसे पहली जिम्मेदारी मानते हैं परंतु इसी बीच बूढ़े मां-बाप की लाचारी की कुछ ऐसी भी कहानियां अक्सर हमें सुनने को मिल जाती हैं जिससे मन बहुत दुखी हो जाता है।
कुछ ऐसी ही एक कहानी उत्तर प्रदेश के आगरा से सामने आई है। जी हां, कभी अरबपतियों में गिनती होने वाले परिवार की 87 साल की बुजुर्ग महिला को वृद्धाश्रम में रहना पड़ रहा है। महिला के चार बेटे हैं और चारों के पास करोड़ों की संपत्ति है परंतु इसके बावजूद भी बुजुर्ग महिला दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। इतना ही नहीं बल्कि ये अमीर बेटे और बहुएं भी उन्हें अपने पास रखने के लिए तैयार नहीं हैं।
पति की मृत्यु के बाद बदल गई जिंदगी
दरअसल, आज हम आपको जिस बुजुर्ग महिला की कहानी बता रहे हैं उनका नाम विद्या देवी है। ये बुजुर्ग महिला आगरा के नामी आंखों के अस्पताल के संस्थापक रहे गोपीचंद अग्रवाल की पत्नी हैं। विद्या देवी के पति गोपीचंद की गिनती शहर के अरबपतियों में होती थी। विद्या देवी अपने चारों बेटों के साथ आलीशान कोठी में हर सुख-सुविधाओं के साथ रहती थीं।
उन्होंने अपने चारों बेटे के पालन-पोषण में किसी भी प्रकार की कसर नहीं छोड़ी। अपने चारों बेटों को अच्छी परवरिश दी। पढ़ा-लिखा कर काबिल बनाया और उनको अपने पैरों पर खड़ा कर दिया और सारे बच्चों की उन्होंने शादी कर दी। लेकिन पति की मृत्यु के पश्चात विद्या देवी की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई।
विद्या देवी के पति गोपीचंद की मृत्यु 13 साल पहले ही हुई है। गोपीचंद के जाने के बाद बेटो ने संपत्ति का बंटवारा कर लिया। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो आपस में ही बेटों ने सारी संपत्ति को बांट लिया लेकिन अपनी बूढ़ी मां के लिए ना घर में और ना ही दिल में कोई जगह छोड़ी।
घर से भी बेटों ने निकाल दिया
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो बड़े बेटे ने विद्या देवी को कुछ दिनों के लिए अपने पास रखा लेकिन बाद में बहू उन्हें ताना मारने लगी तो वह दूसरे बेटे के पास रहने के लिए चली गई थी। यही सिलसिला लगातार चलता रहा। एक के बाद एक अपने सभी बेटों के रंग विद्या देवी ने देख लिए। विद्या देवी ने कहा कि बेटों के साथ रहने के दौरान उन्हें किसी ने कहा कि कपड़े से बदबू आती है तो किसी ने उन्हें जमुना में फेंकने की बात कही।
विद्या देवी ने इतना सब कुछ सुनने और सहन करने के बावजूद भी जब घर नहीं छोड़ा तो बेटे ने अपनी बुजुर्ग मां से मारपीट कर धक्के देकर कोठी से बाहर कर दिया। ऐसा बताया जा रहा है कि जब अग्रवाल महिला मंच की अध्यक्ष शशि गोयल को विद्या देवी के साथ हो रहे इस व्यवहार की जानकारी मिली, तो उन्होंने उनके बेटों को समझाने का प्रयास किया परंतु बेटे मानने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थे, जिसके बाद 19 दिसंबर को शशि गोयल, विद्या देवी को अपने साथ रामलाल वृद्ध आश्रम लेकर आ गईं। अब विद्या देवी वृद्ध आश्रम में ही रह रही हैं।
कुछ दिन पहले भी आई थी ऐसी घटना
ऐसे बेटों और बहुओं को नरक मिले pic.twitter.com/mjTUL1uf2a
— lalit fulara (@fularapurohit) March 31, 2023
आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले ही हरियाणा के चरखी-दादरी से भी कुछ इस प्रकार की घटना सामने आई थी। यहां के बाढड़ा की शिव कॉलोनी में रहने वाले 78 साल के जगदीश चंद्र आर्य और 77 साल की भागली देवी ने सल्फास की गोलियां खाकर अपनी जिंदगी खत्म कर ली थी। मृतक बुजुर्ग दंपत्ति चरखी-दादरी में आईएएस विवेक आर्य के दादा-दादी थे। विवेक के पिता विरेंद्र के नाम पर करोड़ों की संपत्ति है। फिर भी बुजुर्ग दंपत्ति को दो वक्त की रोटी भी ढंग से नहीं मिला करती थी।
अपना जीवन समाप्त करने से पहले दंपति ने सुसाइड नोट भी छोड़ा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दंपति ने पुलिस हेल्पलाइन पर फोन करके सल्फास की गोलियां खाई थी। जब मौके पर पुलिस पहुंची तक तक दंपति ने अपनी जिंदगी खुद ही खत्म कर ली थी। पुलिस को उनके पास से सुसाइड नोट मिला था जिसमें उन्होंने अपनी दो बहुओं, भतीजे और बेटे पर गंभीर आरोप लगाए थे। इसके साथ ही उन्होंने नोट में लिखा था कि उनकी सारी संपत्ति दान कर दी जाए।