आखिर शिव जी के मंदिर में हर जगह क्यों होती है नंदी की पूजा, जानिए इससे जुड़ी कहानी
भगवान शिव जी को देवों का देव कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करता है, उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। भगवान शिव जी सभी देवताओं में सबसे शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता माने गए हैं। हमारे देश भर में भगवान शिव जी के बहुत से मंदिर मौजूद हैं और इन मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। शिवजी के ऐसे कई चमत्कारिक मंदिर है जो अपनी विशेषता और चमत्कार के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं।
अगर आप भगवान शिव जी की भक्ति करते हैं तो आपने यह ध्यान दिया होगा कि हर मंदिर में जहां पर शिव जी विराजमान होते हैं वहां पर नंदी भी होते हैं। भगवान शिव जी के साथ-साथ नंदी जी की भी पूजा की जाती है परंतु क्या आप लोगों को यह पता है कि नंदी की पूजा क्यों की जाती है? भगवान शिव जी के साथ हर जगह पर उनके वाहन नंदी बैल की पूजा क्यों होती है? आज हम आपको इससे जुड़ी हुई एक कहानी बताने जा रहे हैं।
पुराणों में इस बात का जिक्र किया गया है कि एक समय शिलाद नाम के ऋषि हुआ करते थे, जिन्होंने लंबे समय तक भगवान शिव जी की तपस्या की थी। भगवान शिव जी ऋषि की तपस्या से बेहद खुश हुए थे और भोलेनाथ ने उन्हें नंदी के रूप में पुत्र दिया था। शिलाद ऋषि एक आश्रम में रहा करते थे और उनका पुत्र भी उन्हीं के आश्रम में शिक्षा प्राप्त करता था। एक समय की बात है, शिलाद ऋषि के आश्रम में मित्र और वरुण नामक दो संत आए थे जिनकी सेवा का जिम्मा शिलाद ऋषि ने अपने पुत्र नंदी को सौंपा था।
शिलाद ऋषि के पुत्र नंदी ने दोनों संतों की खूब सेवा की। संत जब आश्रम से जाने लगे तो उन्होंने शिलाद ऋषि को लंबी आयु आशीर्वाद दिया पर नंदी को नहीं दिया था। इस बात पर शिलाद ऋषि काफी चिंतित हो गए थे। उन्होंने अपनी परेशानी को संतो के आगे रखने का भी विचार किया और संतों से इस बात का कारण पूछ लिया। कुछ सोचने के बाद संत बोलें- “नंदी अल्पायु है।” यह सुनकर शिलाद ऋषि के पैरों तले जमीन खिसक गई थी। इस बात को लेकर ऋषि बहुत ज्यादा चिंतित हो गए थे।
शिलाद ऋषि अपने पुत्र नंदी को लेकर काफी चिंतित रहने लगे। जब नंदी ने अपने पिता को परेशान देखा तो उन्होंने एक दिन पूछ लिया कि क्या बात है आप इतना परेशान क्यों हैं? शिलाद ऋषि ने अपने पुत्र को कहा कि संतों ने कहा है कि तुम अल्पायु हो। इसलिए मैं बहुत चिंतित हूं। जब पिता की बात नंदी ने सुनी तो वह जोर से हंसने लगा और बोला कि भगवान शिव ने मुझे आपको दिया है। ऐसे में मेरी रक्षा करना भी उनकी ही जिम्मेदारी है। इसलिए आप चिंतित चिंतित ना हों।
अपने पिता को नंदी शांत करके भुवन नदी के किनारे भगवान शिव जी की तपस्या करनी शुरू कर दी। उन्होंने दिन-रात तपस्या की। बाद में नंदी को भगवान शिव जी ने दर्शन दिए थे। शिवजी ने नंदी से उसकी इच्छा पूछी तो नंदी ने कहा कि मैं पूरी उम्र सिर्फ आपके साथ ही रहना चाहता हूं। भगवान शिव जी नंदी से बेहद खुश हुए और उसे गले लगा लिया।
शिवजी में नंदी को बैल का चेहरा दिया और उसे अपने वाहन, अपना मित्र, अपने गणों के सबसे उत्तम रूप में स्वीकार कर लिया। तब से ही शिव जी के साथ नंदी बैल को भी स्थापित किया जाने लगा। इसी वजह से शिव जी के हर मंदिर में भोलेनाथ के साथ नंदी जी की पूजा होती है। ऐसा बताया जाता है कि नंदी के बिना शिवलिंग अधूरा है।