मलयालम सिनेमा में पहली महिला अभिनेत्री पीके रोजी को गूगल ने डूडल द्वारा आज उनके जन्मदिन के मौके पर श्रद्धांजलि अर्पित करी है। गौरतलब है कि पीके रोजी का जन्म 1903 में तिरुवनंतपुरम में हुआ था। अभिनेत्री का बचपन काफी मुश्किलों से गुजरा था। रोजी का असली नाम राजम्मा था, लेकिन उन्हें प्यार से सब रोजी बुलाया करते थे। रोजी के पिता का निधन हो गया था उनके पिता के मरने के बाद ही उनका पूरा परिवार गरीबी के दलदल में फस गया था।
आपको बता दें कि गूगल द्वारा डूडल में पीके रोजी की तस्वीर लगाई गई है। इसके साथ ही बैकग्राउंड को फूलों से सजाया गया है वही गूगल ने रील के जरिए अपना टाइटल भी लिखा है। पीके रोजी को गरीबी की वजह काफी ज्यादा मेहनत करनी पड़ी थी। खबरों की मानें तो उनके शुरुआती दिन घास काटते हुए बीते। पीके रोजी का इंटरेस्ट कला में ज्यादा था। इसी वजह से उनके चाचा ने उनका हौसला बढ़ाया। उनके चाचा ने उनके लिए एक म्यूजिक और एक्टिंग का टीचर ढूंढ दिया। बताया जाता है कि पीके रोजी नियमित रूप से काकीरसी नट्टकम सीखने के लिए नजदीकी स्कूल में जाती थी। गौरतलब है कि काकीरसी नट्टकम तमिल और मलयालम का एक बेहद मिश्रित लोक डांस है। यह भगवान शिव और माता पार्वती की कहानियों के आसपास घूमता है।
गौरतलब है कि जिस समय राजम्मा अभिनेत्री बनी उस समय कला का यह क्षेत्र महिलाओं के लिए सही नहीं माना जाता था। पीके रोजी के नाम के पीछे भी कई मतभेद थे। कई लोगों का मानना है कि उनके परिवार ने ईसाई धर्म को अपना लिया था और इसी वजह से उनका नाम राजम्मा से रोजी हो गया था। वही कुछ लोगों का मानना है कि उन्हें रोजी नाम डेनियल द्वारा दिया गया था। एक इंटरव्यू के दौरान रोजी के परिवार के एक सदस्य द्वारा इंटरव्यू में बताया गया था कि, रोजी को एल.एम.एस चर्च में पढ़ाई करने के लिए भेजा गया था। जहां सिर्फ ईसाई बन कर ही पढ़ा जा सकता था। उनके मुताबिक रोजी के अलावा परिवार में से किसी और ने अपना धर्म नहीं बदला था उनकी मां अंतिम समय तक हिंदू रही थी।
रोजी की जिंदगी का सबसे बड़ा किस विवाद
आपको बता दें कि मलयालम फिल्म ‘विगाथाकुमारन’ (द लॉस्ट चाइल्ड) से रोजी ने फ़िल्मी दुनिया में कदम रखा था। इस फिल्म के एक सीन के दौरान नायक नायिका के बालों में लगे फूल को किस करता हैं। लेकिन इस सीन की वजह से बताया जाया है कि लोगों के अंदर आक्रोश भर गया था। लोगों में इस कदर गुस्सा भर गया था कि उन्होंने रोजी का घर तक जला दिया गया था। विरोध की वजह से एक्ट्रेस को राज्य छोड़ना पड़ा था। बताया जाता है कि रोजी एक लॉरी में बैठकर केरल से तमिलनाडु पहुंच गई थीं और वहां इस लॉरी के ड्राइवर से शादी कर ली थी।
लोगों के इस विरोध के पीछे यह बही तर्क दिया जाता है कि, वह एक दलित महिला थी और दलित महिला का सिनेमा में काम करना एक समुदाय को बिल्कुल भी रास नहीं आ रहा था। ट्रक ड्राइवर से शादी करने के बाद उन्होंने अपनी बाकि जिंदगी ‘राजम्मल’ बनकर गुजार दी।