Chanakya Niti: जीवन में हासिल करना चाहते हैं खूब तरक्की तो कुत्ते से जरूर सीखनी चाहिए ये बातें
आचार्य चाणक्य अपने समय के एक महान विद्वान थे। आचार्य चाणक्य को इतिहास का एक ऐसा महान पुरुष माना जाता है, जो अर्थशास्त्र, राजनीति और कूटनीति तीनों में पारंगत थे। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में ऐसी ऐसी बातें बताई हैं, जो मौजूदा समय में भी काफी सटीक बैठती हैं। जो व्यक्ति आचार्य चाणक्य के द्वारा बताई गई नीतियों पर अमल करता है, वह अपने जीवन को खुशहाल बना सकता है। आचार्य चाणक्य ने अपनी सूझबूझ और अनुभवों के आधार पर बहुत से कामों के बारे में बताया है।
आचार्य चाणक्य ने “चाणक्य नीति” नामक पुस्तक लिखी है और इस पुस्तक में मनुष्य की जिंदगी से जुड़ी हुई बहुत सी बातों का उल्लेख किया गया है। आज के समय में भी आचार्य चाणक्य की नीतियां सफलता के पथ पर व्यक्ति का मार्गदर्शन करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति आचार्य चाणक्य की नीतियों को अपना लेता है, वह अपने जीवन के किसी भी क्षेत्र में असफलता का सामना नहीं करता है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि सीखने की कोई भी उम्र नहीं होती है और किसी से भी अच्छी सीख ली जा सकती है। इसी प्रकार से आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति शास्त्र में कुत्ते के कुछ ऐसे गुणों के बारे में बताया है, जिन्हें व्यक्ति अपने जीवन में अपना लेता है, तो वह सफलता और मान-सम्मान प्राप्त कर सकता है। तो चलिए जानते हैं आखिर कुत्ते के वो कौन से गुण हैं, जो हमें सीखने चाहिए।
गहरी नींद में भी सतर्क रहना
आप लोगों ने यह जरूर देखा होगा कि कुत्ता चाहे कितनी भी गहरी नींद में रहे, जरा सी भी आहट होती है तो वह तुरंत ही जाग जाता है। आचार्य चाणक्य के अनुसा,र व्यक्ति की भी नींद हमेशा कुत्ते की तरह होनी चाहिए। जरा सी भी आहट होने पर जिस तरह कुत्ते की नींद खुल जाती है उसी तरह व्यक्ति की नींद होनी चाहिए। इससे वह जरूरत पड़ने पर तुरंत सावधान हो सकता है।
स्वामिभक्ति का गुण
जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कुत्ता एक वफादार पालतू जानवर है। अगर मालिक पर किसी भी प्रकार की परेशानी आती है, तो वह अपने मालिक को बचाने के लिए अपनी जान तक देने को तैयार हो जाता है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को कुत्ते की तरह स्वामी भक्त होना चाहिए यानी जिस तरह एक कुत्ता अपने मालिक के प्रति वफादार होता है, उसी तरह मनुष्य जिसे प्यार करता है उसके प्रति उसे वफादार होना चाहिए। कुत्ता अपने मालिक के अनुसार खाता-पीता और मालिकों के कहने पर ही चलता है। उसी तरह मनुष्य को भी अपने काम के प्रति समर्पित होना चाहिए, क्योंकि इसी तरह आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर खुशहाल जीवन जी सकते हैं।
संतोषी प्रवृत्ति होना
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में इस बात का जिक्र किया है कि जिस प्रकार कुत्ता दिन भर में जितना भोजन मिल जाए उसी में संतोषी रहता है। उसी प्रकार व्यक्ति को भी खाने-पीने से लेकर किसी भी चीज की ज्यादा अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि जो व्यक्ति असंतुष्ट रहता है, वह हमेशा अपने जीवन में दुखी झेलता है। व्यक्ति को अपने जीवन में चाहे कितनी भी सुख-सुविधाएं क्यों ना मिल जाएँ, वह हमेशा लालची रहता है और उसे दुख भोगने पड़ते हैं।
वीरता
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को कुत्ते से वीरता का गुण जरूर सीखना चाहिए। कुत्ता एक बहुत बहादुर जानवर होता है। जब भी कोई उसके मालिकों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है, वह उसके आगे खुद खड़ा हो जाता है। अपने मालिक की सुरक्षा के लिए कुत्ता अपनी जान तक देने को तैयार हो जाता है। इसी वजह से व्यक्ति को हमेशा निडर होना चाहिए। आपके जीवन में चाहे कैसी भी परिस्थिति क्यों ना आएं, आप उसका बहादुरी के साथ सामना करें, तभी आप अपने जीवन में आगे बढ़ सकते हैं और सम्मानजनक जीवन जी पाएंगे।