एक्टिंग के लिए घर से किताब बेचकर भाग गए थे अजीत, ऐसे बने बॉलीवुड के “लॉयन”
बॉलीवुड इंडस्ट्री में ऐसे बहुत से कलाकार हैं जो अपनी दमदार अदाकारी के लिए दुनिया भर में मशहूर हैं। उन कलाकारों ने अभिनय की दुनिया में अच्छा खासा नाम कमाया है। कुछ कलाकार ऐसे हैं जो अपनी बेहतरीन अदाकारी और अपने निराले अंदाज की वजह से दर्शकों के दिलो-दिमाग पर छा गए हैं। अगर हम बॉलीवुड इंडस्ट्री के विलेन की बात करें तो ऐसे कई विलन हैं जिन्होंने अपनी एक्टिंग के बलबूते दर्शकों का दिल जीत लिया है। उन्हीं में से एक बॉलीवुड इंडस्ट्री के अजीत हैं, जिन्हें पूरा बॉलीवुड “लॉयन” के नाम से जानता है। अभिनेता अजीत ने विलेन के रूप में जितने शोहरत हासिल की उतनी लोकप्रियता उन्हें चरित्र अभिनेता के तौर पर हासिल नहीं हुई। आपको बता दें कि अजीत ने फिल्मों में बतौर हीरो के रूप में भी काम किया है।
अभिनेता अजीत का जन्म 27 जनवरी 1922 को हैदराबाद के गोलकुंडा में हुआ था। जब उनका जन्म हुआ तो उनके माता-पिता को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वह फिल्मों में काम करेंगे। माता पिता ने अपने बेटे का नाम हामिद अली ख़ान रखा था। फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने के बाद वह अजीत बने। अभिनेता अजीत की शुरुआती पढ़ाई नामपल्ली हाई स्कूल से और वारंगल के कॉलेज से आगे की पढ़ाई की। अजीत पर एक्टिंग का जुनून इस कदर सवार था कि वह घर से किताबे बेचकर मुंबई भाग आए थे।
जब अजीत एक्टिंग के क्षेत्र में अपना करियर बनाने के लिए मुंबई आए थे तो उनके पास वहां पर रहने के लिए कोई भी ठिकाना नहीं था। उन्होंने अपने जीवन में बहुत मुश्किल परिस्थितियों का सामना करा है। मुश्किल हालात में उनको उस समय के दौरान सीमेंट के पाइपों में भी रहना पड़ा था। आपको बता दें कि उस समय के दौरान मुंबई में सीमेंट की पाइप में रहने वालों से भी हफ्ता वसूली की जाती थी और जो हफ्ता नहीं देता था उसको निकाल दिया जाता था।
अजीत बचपन से ही अपने अंदाज के लिए जाने जाते थे और उन्होंने वहां के लोकल गुंडों को हफ्ता देने से इंकार कर दिया था, जिसके बाद अजीत और गुंडों में मारपीट शुरू हो गई थी परंतु अजीत उन गुंडों पर भारी पड़ गए थे इसके बाद अजीत के डर से लोग उन्हें खाना पीना बिल्कुल मुफ्त देने लग गए थे।
आपको बता दें कि अजीत ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत साल 1940 से की थी। उन्होंने फिल्म “शाहे मिश्रा” से एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा था उन्होंने कुछ समय तक अभिनेता के तौर पर फिल्मों में काम किया परंतु वह कुछ खास कमाल नहीं कर पाए। जिसके बाद उन्होंने फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभानी शुरू कर दी थी और विलेन के किरदार से उन्हें मनचाही सफलता हासिल हुई। साल 1966 में फिल्म “सूरज” से उन्होंने विलन की शुरुआत की और उनके विलन के रोल को लोगों ने काफी पसंद किया।
अभिनेता अजीत ने अपने फिल्मी करियर में 200 से अधिक फिल्मों में कार्य किया परंतु उनको असली पहचान फिल्म कालीचरण से मिली थी। आप सभी लोगों ने अजीत का मशहूर डायलॉग “सारा शहर मुझे लॉयन के नाम से जानता है” और “इस शहर में मेरी हैसियत वही है जो जंगल में शेर की होती है” तो सुना ही होगा। यह एक नहीं बल्कि इस प्रकार के कई डायलॉग हैं जो काफी हिट हुए थे। “मोना डार्लिंग”, “लिली डोंट बी सिली” जैसे डायलॉग आज भी लोग सुनना बेहद पसंद करते हैं। आपको बता दें कि जंजीर, यादों की बारात, राजा और रंक, कहानी किस्मत की, चरस जैसी फिल्मों में अजीत ने काम किया। 22 अक्टूबर 1998 को वह दुनिया छोड़कर चले गए।