अनंत चतुर्दशी 2019: इस दिन ऐसे करेंगे पूजन तो होगी पुत्र की प्राप्ति और हर मनोकामना पूरी
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि भारत देवी देवताओं का देश है. यहाँ हर धर्म के लोग सदियों से एकजुट होकर रहते आए हैं. देखा जाए तो यहाँ के लोगों का धार्मिक पक्ष में भी अटूट विश्वास है. देवी देवताओं का पूजन करके व्रत रखना लोगों के लिए उनके संस्कार कहलाता है. वहीँ इन दिनों देश भर में गणेश चतुर्थी का पर्व धूम-धाम से मनाया जा रहा है. गणेश चतुर्थी के बाद अनंत चतुर्दशी का व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से हर प्रकार के संकटों से मुक्ति पाई जा सकती है. साथ ही यह व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए विशेष महत्व रखता है.
हर साल भाद्रपड़ के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी व्रत रखा जाता है. इस बार यह व्रत 12 सितंबर 2019 को मनाया जाएगा. व्रत से पहले भक्त विष्णु भगवान का पूजन करते हैं क्यूंकि विष्णु भगवान को अनंत भी कहा जाता है. विष्णु पूजन के पश्चात सत्यनारायण भगवान की कथा की जाती है और फिर जातक अपने बाजुओं पर अनंत सूत्र बांधते हैं. ख़ास बात यह है कि इस अनंत सूत्र में 14 गांठे होती हैं. पूजा के बाद गणेश जी का विसर्जन भी बेहद धूम-धाम से किया जाता है.
अनंत चतुर्दशी पूजन विधि
-अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने के लिए और पूजन करने के लिए सुबह स्नान के बाद कलश की स्थापना करें.
-कलश पर बने अष्टदल के समान बने बर्तन में अनंत देव की स्थापना करें.
-स्थापना के बाद कुमकुम, हल्दी या केसर रंग से बनाया हुआ कच्चे डोरे का चौदह गांठों वाला अनंत रखें.
-अब कुश के अनंत की वंदना करें और फिर विष्णु भगवान का आह्वान करके गंध, अक्षत, दीप, धुप आड़ से पूजा करें.
-अब अनंत देव का ध्यान करते हुए शुद्ध अनंत को अपनी दाहिनी भुजा पर बाँध लें.
-भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला यह डोरा बाँध कर व्रत रखें और पुत्र प्राप्ति की प्राथना करें.
-इस व्रत का पारण ब्राह्मण दान करके ही करें.
अनंत चतुर्दशी व्रत के शुभ लाभ
हिंदू धर्म ग्रंथों में अनंत चतुर्दशी व्रत के अनेकों लाभ लिखित हैं. ऐसा माना जाता है कि अनंत चतुर्दशी वाले दिन जो भी भक्त सच्चे मन से व्रत रखता है और पूजन करता है, उसके जीवन में चल रही सभी परेशानियों का अंत हो जाता है साथ ही जो लोग पुत्र प्राप्ति के इच्छुक हैं, उन्हें गणेश और विष्णु भगवान की कृपा से जल्दी ही पुत्र की प्राप्ति हो जाती है. दरअसल इस दिन व्रत रखने से विष्णु भगवान प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करने के साथ साथ उनके संकट हर लेते हैं. महाभारत में भी इस व्रत के बारे में बताया गया है. कहा जाता है कि महाभारत काल में पांच पांडवों ने भगवान कृष्ण के कहने पर यह व्रत रखा था. इस व्रत से दरिद्रता का नाश होता है और स्वास्थ्य में सुधार आता है.