उद्योगपति अनिल अंबानी (Anil Ambani) को भला कौन नहीं जानता। यह कारोबार जगत के एक प्रसिद्ध चेहरे हैं लेकिन इनकी ज्यादातर कंपनियां कर्जे में डूब चुकी हैं, जिसकी वजह से इनकी हालत खराब हो चुकी है। अब इसी बीच भारी कर्ज में डूबी अनिल अंबानी की बड़ी रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड (RNEL) कंपनी अब उनकी नहीं रही है। जी हां, अब यह कंपनी किसी और की हो चुकी है।
मुंबई के उद्योगपति निखिल वी. मर्चेंट के नाम अब रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग कंपनी होने वाली है। नीलामी प्रक्रिया में यह उद्योगपति सबसे बड़ी बोली लगाकर अधिग्रहण की दौड़ में सबसे आगे निकल गए। अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग को मूल रूप से पिपावाव शिपयार्ड (Pipavav Shipyard) के नाम से भी जाना जाता है। हाल ही में उद्योगपति निखिल वी. मर्चेंट ने नीलामी प्रक्रिया में सबसे ज्यादा बोली लगाकर उन्होंने बीड जीत ली।
सूत्रों के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि उद्योगपति निखिल मर्चेंट और उनके पार्टनर्स की तरफ से समर्थित कंसोर्टियम हेजल मर्केंटाइल प्राइवेट लिमिटेड (Hazel Mercantile Pvt Ltd) ने तीसरे राउंड के दौरान सबसे ज्यादा बोली लगाई, जो बाकियों से बहुत ज्यादा है। अधिक बोली लगाकर अधिग्रहण की दौड़ में सबसे आगे निकल गए।
मालूम हो कि रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड (RNEL) का नाम पहले रिलायंस डिफेंस एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड था। अनिल अंबानी की रिलायंस समूह ने इस कंपनी को वर्ष 2015 में पिपावाव डिफेंस एंड ऑफशोर इंजीनियरिंग लिमिटेड का अधिग्रहण किया था। इसका इसके बाद नाम बदलकर रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड (RNEL) कर दिया गया था। अनिल अंबानी के अधिग्रहण से पहले नौसेना ने साल 2011 में पांच युद्धपोतों के विनिर्माण के लिए इस कंपनी के साथ एक डील की थी, तब निखिल गांधी इस कंपनी के मालिक थे।
आपको बता दें कि कुछ महीने पहले ही कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (COC) ने इस नीलामी की प्रक्रिया में जो भी कंपनियों द्वारा भाग लिया जा रहा था, उनसे बातचीत की गई थी और इस दौरान बातचीत कर कुछ प्रस्तावों की मांग की गई थी, जिसके बाद हेजल मर्केंटाइल ने शिपयार्ड के लिए अपनी बोली को संशोधित कर 2700 करोड़ रुपए कर दी गई। इससे पहले इसके द्वारा 2400 करोड़ रुपए की बोली लगाई गई थी परंतु बाद में इसे बढ़ाकर 2700 करोड़ रूपए कर दी गई।
रिलायंस नेवल का लीड बैंक आईडीबीआई बैंक (IDBI) है, शिपयार्ड को पिछले वर्ष जनवरी में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में ले जाया गया था ताकि बकाया लोन को वसूला जा सके। रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग कंपनी पर करीब ₹12,429 करोड़ का कर्जा है। रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड कंपनी पर बड़े कर्जदारों में भारतीय स्टेट बैंक का 1965 करोड़ रुपए का कर्जा बकाया है। वहीं अगर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की बात करें तो इसका बकाया 1555 करोड़ रूपए है।
दरअसल, मशहूर बिजनेसमैन अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस नेवल के लिए तीन बोलियां लगाई गई थीं, जिनमें से एक दुबई स्थित एनआरआई समर्थित कंपनी थी, जिसने केवल 100 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी। वहीं अगर हम दूसरी बोली की बात करें तो यह बोली स्टील टाइकून नवीन जिंदल के द्वारा लगाई गई थी, इसकी इस बोली की रकम 400 करोड़ रुपए थी। लेकिन इन दोनों से ही सबसे ज्यादा बोली लगाकर निखिल वी. मर्चेंट अधिग्रहण की दौड़ में सबसे आगे निकल गए, उन्होंने बाजी जीत ली।