पिता चलाते हैं ऑटो, मां ने दूसरों के कपड़े धोकर पढ़ाया, बेटी ने 10वीं में 96% नंबर लाकर परिवार का नाम कर दिया रौशन
शिक्षा एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो हर किसी के जीवन में बहुत ज्यादा उपयोगी है, जिसके बारे में हम सभी लोग अच्छी तरह से जानते हैं। शिक्षा के माध्यम से ही हम अपने सपने को पूरा कर सकते हैं। जीवन को नई दशा और दिशा दे सकते हैं। बिना शिक्षा के हम कुछ भी मुकाम हासिल नहीं कर सकते हैं। शिक्षा पाना हर किसी का अधिकार है। शिक्षा हमें किसी भी समस्या को आसानी से समझने और उससे निपटने में मदद करता है और पूरे जीवन में हर पहलू में संतुलन बनाता है।
शिक्षा हर इंसान के लिए पहला और महत्वपूर्ण अधिकार है। शिक्षा के बिना हम अधूरे हैं और हमारा जीवन बेकार है। इसी बीच राजस्थान बोर्ड ने दसवीं का रिजल्ट अनाउंस किया तो कई संघर्ष भरी कहानी सामने आई। इसमें जयपुर की रहने वाला वाली 15 वर्षीय सुहानी शक्रवाल ने दसवीं की परीक्षा में 96% नंबर लाकर अपने परिवार का नाम रोशन किया है। सुविधाओं के अभाव के बावजूद भी इस बेटी ने हार नहीं मानी। एक छोटे से कमरे में खुद को बंद कर परीक्षा की तैयारी में जुटी रही। जब भी फुर्सत मिलता था, तो वह घर के कामकाज में भी हाथ बंटाती थी।
माता-पिता हैं अनपढ़
आपको बता दें कि सुहानी शक्रवाल की यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि उनकी माता पिंकी और पिता राजेश दोनों ही पढ़े-लिखे नहीं हैं। सुहानी के पिता राजेश ऑटो डराईबर हैं। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद भी उन्होंने अपनी बेटी सुहानी को स्कूल भेजा। परिवार बीपीएल श्रेणी में आता है। जब आर्थिक स्थिति कमजोर होती है, तो इसकी वजह से बेटियों की देखभाल करने में तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन परेशानियों का सामना करते हुए सुहानी के माता-पिता ने पढ़ाई में पूरा सहयोग किया। वहीं सुहानी ने भी अपने माता-पिता को निराश नहीं होने दिया।
कोरोना काल में सुहानी के परिवार में वह दिन भी देखें जब उनके परिवार को दूसरों के कपड़े धोकर अपना घर चलाना पड़ा। परिवार के संघर्ष ने सुहानी को प्रेरित किया और उन्होंने खुद को पूरी तरह से पढ़ाई के लिए समर्पित कर दिया। दिन-रात सुहानी पढ़ाई में लगी रही। जब भी उनको समय मिलता था और जरूरत पड़ती थी तो वह घर के कामकाज में अपनी मां का हाथ बंटाती थी।
CA बनने का सपना
आपको बता दें कि होनहार सुहानी की उपलब्धि पर उनके माता-पिता बहुत खुश हैं और इसे उनकी बेटी की मेहनत का परिणाम बताया है। सुहानी जिस स्कूल में पढ़ती है, वहां के प्रिंसिपल देवेंद्र कुमार वाजा ने भी सुहानी की तारीफ की है और कहा है कि सुहानी पढ़ाई में शुरू से ही होशियार है। वहीं सुहानी ने बातचीत के दौरान यह बताया था कि उन्होंने रोजाना 5 से 6 घंटे पढ़कर यह कामयाबी हासिल की है। सुहानी भविष्य में कॉमर्स लेकर सीए बनना चाहती हैं ताकि वह अपने परिवार की स्थिति को अच्छी कर सकें।
वहीं सुहानी के पिता राजेश ने बताया कि वह सी-स्कीम की विनोबा नगर बस्ती में रहते हैं। कम उम्र में ही पिता चल बसे। 17-18 साल में उनकी शादी पिंकी से हो गई थी। उनकी होनहार बेटी सुहानी और इशिका की शादी वह तभी करेंगे, जब वह काबिल बन कर खुद के पैरों पर खड़ी हो जाएंगी। एक बेटा भी है, जो छोटी क्लास में पढ़ रहा है। राजेश का कहना है कि मैं खुद सुहानी को ऑटो से रोजाना स्कूल छोड़ने और लेने जाता हूं। मैं चाहता हूं कि मेरी बेटियां पढ़-लिखकर खूब नाम कमाएं।