अनोखा ढाबा जहां फौजियों को मिलता है फ्री खाना, बाप-बेटे ने पेश की देशसेवा की अनूठी मिसाल, पढ़ें दिलचस्प कहानी

भोपाल से सटे रायसेन जिले का एक ढाबा इन दिनों काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। बाड़ी कस्बे के हाईवे पर एक ढाबा इन दिनों आर्मी व्हीकल्स का स्टे सेंटर बना हुआ है। एनएच 12 भोपाल- जबलपुर रोड पर स्थित बब्बा जी के ढाबे पर फौजियों की गाड़ियों के ब्रेक अपने आप लग जाते हैं। इस ढाबे की खासियत यह है कि यहां पर फौजियों के लिए खाना बिल्कुल मुफ्त है। जी हां, इस ढाबे पर अक्सर ही सेना की गाड़ियां और ट्रक खड़े नजर आते हैं। यह ढाबा हाईवे पर तो है, ही साथ ही यहां फौजियों के लिए खाना मुफ्त भी है।

आपको बता दें कि इस ढाबे को खोलने के पीछे की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। दरअसल, ढाबा संचालक सेना में जाकर देश की सेवा करना चाहते थे। लेकिन उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका। फिर उन्होंने अपने पिता के नाम से इस ढाबे की शुरुआत की। अब फौजियों को मुफ्त में भोजन कराकर एक तरीके से अपना सपना पूरा कर रहे हैं। तो चलिए जानते हैं आखिर इस ढाबे के पीछे की पूरी कहानी क्या है।

फौजियों के लिए मुफ्त खाना क्यों?

अरविंद चौहान बाड़ी नगर के रहने वाले हैं। उनकी बचपन से ही यही इच्छा थी कि सेना में जाकर देश की सेवा करें और रक्षा करें। इन्होंने कई बार प्रयास किया परंतु इसके बावजूद भी जब वह आर्मी में सेलेक्ट नहीं हुए, तो फिर देशभक्ति की कसक मन में बनी रही। चार महीने पहले शुरू हुए इस ढाबे पर आए दिन फौजी भोजन करने पहुंचते हैं। पिता-पुत्र की देशभक्ति को देखकर फौजी भी उन्हें सलाम कर जाते हैं।

पिता रिटायर हुए तो बनाया ढाबे का प्लान

अरविंद का कहना है कि साल 2016 में उनके पिता पीएस चौहान रिटायर हुए थे। उनके पिता बाड़ी नगर परिषद में सहायक राजस्व अधिकारी थे। सेवा निवृत्त हुए तो घर पर रहने की वजह से बीपी जैसी समस्याएं होने लगी थी। इस दौरान उन्होंने सोचा कि हाईवे के पास अपनी जमीन पर ढाबा खोला जाए। फिर पिता ने अपने प्लान के बारे में बताया।

तो अरविंद ने भी पिता की बात पर हामी भरते हुए कहा पिताजी हम फौजी में नहीं जा पाए तो हम ढाबे पर फौजियों को मुफ्त भोजन कराएंगे। उन्होंने कहा कि हम अपने ढाबे में फौजी भाइयों को फ्री में खाना खिला कर ही देश की सेवा करेंगे। बता दें कि अरविंद बाड़ी नगर परिषद में कंप्यूटर ऑपरेटर हैं।

जबलपुर से आते हैं सेना के जवान

अरविंद चौहान के द्वारा ऐसा बताया गया कि “हम माता-पिता और फौजी भाइयों का फर्ज कभी नहीं उतार सकते। माता-पिता हमें जन्म देते हैं, लेकिन दुश्मनों से हमारी सुरक्षा फौजी करते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैंने अपने पिता के नाम से ढाबा शुरू किया। जबलपुर से आर्मी के कई वाहन आए दिन गुजरते हैं। एक दिन में आर्मी की पांच से आठ गाड़ियां आती हैं।” वहां ढाबे पर खाना खाने वाले सैनिक ढाबे मालिक के पिता के साथ तस्वीर जरूर खिंचवाते हैं। इन तस्वीरों को अरविंद चौहान सहेज कर रखते हैं। इसके साथ ही जवान ढाबे का खाना की तारीफ करते नहीं थकते हैं।

गुप्त दान ले लो

बीते दिनों भोपाल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का कार्यक्रम हुआ था। इस दौरान अरविंद के ढाबे पर आर्मी के आठ ट्रकों से कई सेना के जवान और अधिकारी पहुंचे। अरविंद और उनके पिता पीएस चौहान ने पूरे स्टाफ के साथ फौजियों को प्रेम से भोजन कराया। जब बिल चुकाने की बारी आई तो ढाबे के संचालक पीएस चौहान ने बाहर लगे बोर्ड की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यह ढाबा सैनिकों के लिए फ्री है। उनकी यह बात सुनकर एक फौजी ने कहा कि आप बिल नहीं ले रहे, तो यहां एक दान पेटी रखवा दीजिए, हम उसमें गुप्त दान करेंगे। इस पर ढाबा संचालक ने जवाब दिया कि ईश्वर की कृपा से हमें देश सेवा की प्रेरणा मिली है। हम इसे जीवन भर निभाएंगे।