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सावधान: रात को आप भी पेशाब करने के लिए उठते हैं तो एक बार जरूर पढ़ लें ये खबर

हम सभी अपनी दिनचर्या में सुबह सुबह टॉयलेट जाते हैं ये मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया है क्‍योंकि ये हमारे स्‍वस्‍थ शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है। वहीं आपको ये भी बता दें कि रोज टॉयलेट जाना अच्छे स्वास्थ्य की निशानी होती है क्योंकि इसके जरिए हमारे शरीर की गंदगी बाहर निकलती है। लेकिन वहीं कई लोगों को दिन के साथ साथ रात में भी बार-बार टॉयलेट जाने की आदत होती है जो कि खतरे की निशानी हैं। हालांकि रात में पेशाब करना गलत नहीं है लेकिन वहीं रात में बार बार पेशाब लगना आपके लिए जानलेवा भी हो सकता है जी हां चौंक गए न लेकिन ये सच है।

आज हम आपको कुछ ऐसी बाते बताने जा रहे है जिसे जानने के बाद आपको भी हैरानी होगी। दरअसल आजतक आप जिसे सामान्‍य तौर पर लेकर चल रहे थें वहीं आपके स्‍वास्‍थ के लिए नुकसानदेह है। इस बात का पता तब चला जब हाल ही में एक शोध हुआ, जी हां इस शोध के दौरान पता चला कि रात को बार-बार टॉयलेट जाना एक तरह की बीमारी है। जी हां और इस बीमारी को का नाम है स्लीप एपनिया। जिसके होने से व्‍यक्ति को रात में बार बार बाथरूम लगता है जिससे उसकी नींद खुल जाती है बताया जाता है कि इसके पीछे का मुख्‍य कारण है नोक्टूरिया है।

स्लीप एप्निया एक सामान्य विकार है जिसमें नींद के दौरान श्वास में एक या कई अवरोध होते हैं या सांसें उथली होती हैं। यह दीर्घकालीन स्थिति है जो आपकी नींद में बाधा डालती है। जानकारी के लिए बता दें कि अक्‍सर जब किसी व्‍यक्ति को रात में पेशाब आता है तो हम एकदम उठ जाते हैं पर क्या आपको पता है कि ऐसे रात में एकदम उठ जाने से आपकी मौत भी हो सकती है। चौंक गए न लेकिन ये सच है आइए जानते हैं कैसे? दरअसल अक्‍सर जब हम रात को ऐसे अचानक उठते है तो हमारे मस्तिष्क तक खून नहीं पहुंच पता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि जो कि 3:30 मिनट बहुत ही महत्वपूर्ण होते है मध्‍य रात्रि के समय जब हम पेशाब करने उठते हैं तो हमारा ACG का पैटर्न बदल जाता है। अगर आप भी रात को पेशाब करने उठते है तो आपके साथ भी घट सकती है ये बड़ी दुर्घटना घट सकती है। स्लीप एपनिया के दौरान सांस 10 या कुछ ज्यादा सेकेंड के लिए बंद रहती है। ऐसे में व्‍यक्ति जब झटके से उठता है तो ऑक्‍सीजन उसके दिमाग तक नहीं पहुंच पाती है और इससे उसकी मौत हो सकती है।

बता दें कि सामान्‍यत गले के पीछे के नाजुक तंतु सोते समय अस्थायी रूप से काम करना बंद कर देते हैं, जिसमें कुछ पलों के लिए मरीज को सांस नहीं आती। ऑक्सीजन कम हो जाती है और कार्बन डायऑक्साइड बढ़ जाती है, दिल की धड़कन की दर गिर जाती है और फेफड़ों के अंदर रक्त शिराएं सिकुड़ जाती हैं।

दिल की ऱफ्तार बेदह तेज हो जाती है और तरल के ज्यादा भर जाने का गलत संकेत महसूस होता है। शरीर सोडियम और पानी से मुक्त होने की कोशिश करता है, जिससे नोक्टूरिया होता है।

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