इस वर्ष कुंवारी कन्यायों को दान कीजिये बस ये एक चीज , बदल जाएगी आपकी किस्मत,होगी अपार धनवर्षा
हमारे हिन्दू धर्म में दान की महिमा का एक अपना ही खास महत्व है और इससे व्यक्ति को न केवल शुभ फल की प्राप्ति होती है बल्कि मन की आतंरिक शांति की भी प्राप्ति होती है।दान भी कई तरह के होते है। ऐसा कोई नही जिसके जीवन में कोई ना कोई समस्या ना हो, लेकिन यदि समस्या हैं तो उसका हल भी अवश्य हैं।
लोग अपने परशानी से छुटकारा पाने के लिया हर तरह का उपाय करते है लोग बहुत मेहनत करते तो कोई पूजा पाठ धार्मिक चीज करता है तो कोई टोटका कराता है तो कोई भगवान हनुमान का पूजा करता है तो कोई माँ काली की आराधना करता हैकार्तिक पक्ष शुक्ल कृष्ण दशमी पर माँ काली का पूजा करना बहुत शुभ माना गया है देवी माँ काली को सभी भगवानो से श्रेष्ठ माना जाता है और उनको रिध्ही सिद्धि प्रदान करने वाली देवी का रूप भी माना जाता है इसीलिए इस दिन इनकी पूजा करना बहुत ही शुभ माना गया है |
कर्तव्यों के कई मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और आध्यात्मिक कारण और लाभ हैं। जो मनुष्य लाभ की दृष्टि से भी इन कर्तव्यों का पालन करता है वह भी अच्छाई के रास्ते पर आ ही जाता है। दुख: है तो दुख से मुक्ति का उपाय भी हमारा किया हुआ कर्तव्य ही है। प्रमुख कर्तव्य निम्न है:- संध्योपासन, व्रत, तीर्थ, उत्सव, सेवा, दान, यज्ञ और संस्कार। दान से सातों इंद्रिय भोगों के प्रति आसक्ति छूटती है। मन की ग्रथियाँ खुलती है जिससे मृत्युकाल में लाभ मिलता है। मृत्यु आए इससे पूर्व सारी गाँठे खोलना जरूरी है, जो जीवन की आपाधापी के चलते बंध गई है। दान सबसे सरल और उत्तम उपाय है। वेद और पुराणों में दान के महत्व का वर्णन किया गया है|
हमारे वैदिक पुराणों के अनुसार ये बात बताई गयी है की कृष्ण पक्ष और दशमी तिथि, दशमहाविद्या को समर्पित मानी जाती है और इसीलिए महाकाली दस महाविद्या में से प्रथम महाविद्या मानी जाती हैं। आपकी बता दे की दस महविद्या में से पहली महाविद्या का दर्जा महाकाली को प्राप्त हैं
जब भी न्पूजा करिए एक बात का अवश्य ध्यान रखिये की इस विशेष पूजा को सदैव पश्चिम की तरफ मुख करके माँ काली का दशोपचार पूजा पाठ कीजिये।सरसों के तेल का दीपक जलाने के बाद लोहबान से धुप करे तथा पूजा में तेजपत्ता का चढ़ावा करना ना भूले और पूजा के उपरांत सुरमा का चढावा कीजिये और लौंग, नारियल, काली मिर्च, बादाम चढ़ाएं तथा रेवड़ियों का भोग लगाकर विशिष्ठ मंत्रो का 108 बार जप कीजियेगा। सारी क्रियायों के बाद जो रेवाड़ी पूजा में अपने चढ़ाया है उन रेवडियो को किसी कुंवारी लड़की को प्रसाद के रूप में दान करें इस उपाय को करने से आपके सामने आने वाली सभी परेशानी का निश्चित अन्त हो जायेगा।