बॉलीवुड इंडस्ट्री ऐसी इंडस्ट्री है जो रातों रात किसी को भी साधारण कलाकार से स्टार बना देती है या फिर किसी बड़े स्टार को पल भर में सुपर फ्लॉप एक्टर बना देती है. ढेरों एक्टर इस फिल्म इंडस्ट्री में अपनी किस्मत आजमाने के लिए पापड़ बेलते हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक स्टार के बारे में बता रहे हैं, जिसे कामयाबी तो मिली लेकिन वह कामयाबी कुछ ही समय तक सीमित रही. किस्मत ने कुछ इस तरह से रुख बदला कि अभिनेता की अपनी ही बड़ी हिट फिल्म ने उनका पूरा फ़िल्मी करियर बर्बाद करके रख दिया. आईये जानते हैं, आखिर कौन है यह शख्स…
ये है वो एक्टर
आज हम आपको जिस फ़िल्मी सितारे से रूबरू करवा रहे हैं, उन्हें आपने कईं बड़ी फिल्मों में अभिनय करते हुए देख रखा होगा. जी हाँ, यह कोई और नहीं बल्कि चंकी पांडे हैं. एक समय में चंकी पांडे का सिक्का पूरे बॉलीवुड में चलता था, यहां तक कि शाहरुख़ खान का भी यह कहना है कि जब उन्होंने डेब्यू किया तो चंकी पांडे ने ही उनकी मुलाकात बड़ी फ़िल्मी हस्तियों से करवाई थी. लेकिन अचानक से ऐसा क्या हुआ जो उनका बॉलीवुड करियर तहस-नहस हो गया? यह सवाल आज भी कईं लोगों के मन में है. आईये हम बताते हैं आपको इसका सच.
ऐसे बने थे चंकी पांडे
घर में चंकी पांडे ऐसे दुसरे व्यक्ति हैं, जिनका अपना खुद का विकिपीडिया पर पेज है. दरअसल, उनके पिता शरद पांडे मुंबई के फेमस हार्ट सर्जन रहे है. भारत में जिन डॉक्टर्स ने पहली बार दिल की सर्जरी की थी, वह उस लिस्ट में शामिल थे. साल 1962 में जब शरद के घर बेटे ने जन्म लिया तो उनका नाम सुयश रखा गया था. लेकिन उनकी नैनी ने उन्हें चंकी कहना शुरू कर दिया जिसके बाद उनका नाम ही चंकी पड़ गया था.
फिल्मों से पहले बड़ी हीरोइनों के साथ कर चुके थे काम
एक्टिंग सीखने के दौरान चंकी पांडे की मुलाकात कईं बड़े एक्टर्स से हुई थी. एक बार वह किसी मैगजीन की कवर स्टोरी देखने पहुंचे थे. यह मैगजीन कोई और नहीं बल्कि साइन बिल्टज थी. इस मैगजीन में मीनाक्षी शेषाद्री, पूनम ढिल्लों और पद्मिनी कोल्हापुरी फोटोशूट करवा रहे थे. ऐसे में उन्हें शूट के लिए एक लड़के की आवश्यकता थी. जिसके लिए पहली बार चंकी पांडे को चुना गया था. उनका नाम फोटोग्राफर राकेश श्रेष्ठा ने सुझाया था. जिसके बाद से उन्हें प्रोजेक्ट्स मिलने का सिलसिला शुरू हो गया था.
संजय दत्त के साथ की शुरुआत
साल 1981 मे संजय दत्त की डेब्यू फिल्म ‘रॉकी’ में पहली बार चंकी पांडे को छोटा सा किरदार मिला था. इसके बाद उन्हें साल 1987 में ‘आग ही आग’ में काम मिला. एक पार्टी के दौरान चंकी शराब के नशे में डूबे थे अचानक वाशरूम चले गए. यहाँ उनकी मुलाकात पहलाज निहलानी से हुई जोकि उस समय कुर्ता-पजामा पहने थे लेकिन अपना नाडा नहीं खोल पा रहे थे. चंकी ने इनका नाडा खोलने में मदद की. उस समय पहलाज ने जब उनसे पुछा कि क्या करते हो तो चंकी ने कहा कि वह एक्टर बनना चाहते हैं. इसपर उन्हें जवाब मिला कि वह उनकी अगली फिल्म में काम करने वाले हैं.
ये फिल्म हुई अनलकी साबित
साल 1993 में गोविंदा के साथ चंकी पांडे ने फिल्म ‘आँखें’ में काम किया. यह फिल्म आज तक की उनकी सबसे बड़ी हिट फिल्म मानी जाती है. लेकिन इस फिल्म के बाद चंकी की उम्मीदें काफी बढ़ गईं थी और वह हर फिल्म को ठुकराने लग गए वह कुछ अलग करना चाहते थे इसलिए दो साल तक उनकी इस चाहत ने उन्हें फिल्मों से दूर कर दिया. बॉलीवुड में काम न मिलने के बाद एक दोस्त की सलाह पर उन्होंने बंगलादेशी फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया वहां के वह सुपरस्टार बन कर उभरे. भावना संग शादी के बाद वह पत्नी संग बांग्लादेश शिफ्ट हो गए थे. परन्तु पत्नी की सलाह पर वापिस बाद में भारत लौट आए. यहाँ उन्हें कम नहीं मिल रहा था इसलिए उन्होंने छोटे मोटे किरदार निभाने के लिए हामी भरना शुरू कर दिया. आख़िरकार उन्हें अजय देवगन स्टारर फिल्म ‘कयामत’ में रोल मिला. इसके कुछ साल बाद ‘अपना सपना मनी मणि’ ने उन्हें फिर से बॉलीवुड में ला कर खड़ा कर दिया.