विलेन के अलग-अलग किरदारों से दर्शकों में दहशत पैदा करने वाले प्राण, ऐसे बने थे खलनायिकी की जान
बॉलीवुड इंडस्ट्री में एक से बढ़कर एक सितारे मौजूद हैं, जिन्होंने अपनी बेहतरीन अदाकारी से देशभर के लोगों का दिल जीत लिया है। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ऐसे कई कलाकार हैं जिन्होंने हीरो बनकर लोगों का दिल जीता तो किसी ने विलेन के किरदार से अच्छा खासा नाम कमाया। अगर कभी विलेन की बात आती है तो उसमें प्राण का नाम जरूर आता है। जी हां, हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेताओं में प्राण का नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है। यह बॉलीवुड के सबसे सफल खलनायकों में से एक माने जाते हैं।
प्राण ने अपने फिल्मी करियर में कई सुपरहिट फिल्में दी हैं। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में लगभग 6 दशक तक काम किया और इस दौरान उन्होंने साढ़े तीन सौ से अधिक फिल्मों में काम किया था। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से प्राण के जीवन से जुड़ी हुई कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
आपको बता दें कि प्राण का पूरा नाम प्राण कृष्ण सिकंद था और उनका जन्म 12 फरवरी 1920 को पुरानी दिल्ली के बल्लीमारान इलाके में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। प्राण के पिता लाला कृष्ण सिकंद एक सरकारी ठेकेदार थे, जो आमतौर पर सड़क और पुल का निर्माण किया करते थे। दिल्ली में जन्मे प्राण मैट्रिक की पढ़ाई करने के बाद फोटोग्राफर बनना चाहते थे। प्राण दिल्ली की एक कंपनी में फोटोग्राफी का कार्य भी करने लगे थे। उस समय के दौरान प्राण को महज ₹50 मिला करते थे।
भले ही प्राण एक फोटोग्राफर बनना चाहते थे परंतु उनकी किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। उन्होंने सोचा कुछ और था और हो कुछ और गया। प्राण की फिल्मों में आने की कोई भी योजना नहीं थी। आपको बता दें कि एक दिन पान की दुकान पर उनकी मुलाकात लेखक वली मोहम्मद से हुई। वली मोहम्मद उस समय “यमला जट” नाम से एक पंजाबी फिल्म बना रहे थे और इस फिल्म का एक कैरेक्टर प्राण से मिल रहा था। तब प्राण को लेखक ने प्रस्ताव दिया परंतु प्राण ने इस बात को हल्के में ले लिया था। बाद में वली मोहम्मद के कहने पर फिल्म में बतौर खलनायक काम करना स्वीकार कर लिया।
आपको बता दें कि उस जमाने में हर अभिनेता का अपना तकिया कलाम हुआ करता था और प्राण का भी तकिया कलाम था। वह बात-बात पर बरखुर्दार बोला करते थे। साल 1973 में आई सुपरहिट फिल्म “जंजीर” का डायलॉग “इस इलाके में नए आए हो बरखुर्दार, वरना यहां शेर खान को कौन नहीं जानता….” उनकी पहचान बन गई थी। बॉलीवुड इंडस्ट्री में उस समय के दौरान प्राण की इतनी डिमांड बढ़ गई थी कि उनको हीरो से ज्यादा पैसे फीस के रूप में मिलते थे।
आपको बता दें कि प्राण अपने अभिनय के दौरान खलनायक के किरदार से भी बाहर निकले, इसकी जिम्मेदारी मनोज कुमार ने उठाई थी। फिल्म उपकार में प्राण को मंगल चाचा का किरदार मिला था। इस किरदार से एक टर्निंग प्वाइंट मिला। प्राण ने अपने इस किरदार को इतनी बखूबी तरीके से निभाया कि उनको इसके लिए पहला फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला। प्राण के किरदार से एक तरफ लोग काफी खौफ खाते थे परंतु दूसरी तरफ उपकार के मंगल चाचा, जंजीर के शेर खान और परिचय में नरम दिल दादाजी के किरदार से उन्होंने दर्शकों के दिल में एक खास जगह बनाई थी।
आपको बता दें कि प्राण में अपने जीवन काल में बहुत से पुरस्कार प्राप्त किए थे। उन्हें तीन बार सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिल चुका था। प्राण ने अपने जीवन काल में एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया था। जिनमें कश्मीर की कली, खानदान, औरत, जिस देश में गंगा बहती है, हाफ टिकट, उपका,र पूरब और पश्चिम, जंजीर, चक्कर पर चक्कर, कालिया जैसी फिल्में शामिल हैं। आपको बता दें कि साल 1997 में उन्हें फिल्म फेयर का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार भी दिया गया था। 12 जुलाई 2013 को प्राण इस दुनिया को अलविदा कह कर चले गए थे।