कभी सांवले रंग के कारण ठुकरा दिया था लड़के ने रिश्ता, आज किस्मत ने ऐसी मारी बाज़ी कि…
श्वेता की आज शादी होने वाली थी. लेकिन मंडप सजा का सजा रह गया और सब लोग बारात समेत वापिस घरों में लौट रहे थे. हालाँकि हर शादी दहेज़ के लालचियों के कारण टूटती है लेकिन इस शादी के टूटने की वजह कुछ अलग ही थी. इसका कारण श्वेता का सांवला रंग था जिसके चलते एक बाप मजबूरन बारातियों के पैरों पर भी गी गया था लेकिन किसी से उसकी एक नहीं सुनी और पत्थर दिल बन कर वह से वापिस घरों की ओर चल दिए.
शादी के दिन तक लड़के ने श्वेता से मुलाकात नहीं की थी इसलिए वह उसके साथ शादी करने को काफी उत्सुक था. परन्तु जब उसने श्वेता का सांवला रंग देखा तो वह खुद को रोक नहीं पाया और आख़िरकार उसे बोल ही दिया, “श्वेता बुरा मत मानना भले ही लड़के आलू जैसे बदसूरत क्यों ना हो, हर किसी को पनीर जैसी गोरी पत्नी ही चाहिए होती है. इसलिए मैं यह शादी नहीं कर पाउँगा.” खाली कुर्सियों और साज-सजावट को देख कर ना जाने कितने ही घंटों तक श्वेता के पिता रोते रहे. घर में दोनों को सँभालने वाला कोई और था भी तो नहीं. बस यह दोनों बाप बेटी ही एक-दूसरे का सहारा थे. थोडा होश संभालने के बाद पिता ने देखा कि श्वेता अचानक से गायब है तो उनके मन में बुरे विचार आ गये, कि कहीं उन्होंने अपनी बेटी को खो तो नहीं दिया? लेकिन भाग कर जब वह कमरे की तरफ जा रहे थे तो देख कर चौंक गए. सामने से श्वेता दो कप चाय हाथ में लिए मुस्कराती उनकी तरफ आ रही थी.
श्वेता ने दुल्हन का लिबास उतार दिया था और घर पर पहनने वाले आम कपड़े पहन लिए थे. लेकिन पिता यह देख कर हैरान थे कि गम के समय में उनकी बेटी के चेहरे पर अलग ही मुस्कान क्यों थी. इससे पहले कि वह कुछ पूछ पाते, श्वेता खुद ही बोल पड़ी, “पापा… जल्दी से चाय पी लो फिर यह किराए की कुर्सियां और सामान भी तो उतार के वापिस करना है वरना बेकार में इनका किराया बढ़ता जाएगा.” श्वेता की इन बातों से पिता का कलेजा फटने को आ रहा था. वह समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर श्वेता को हो क्या गया है. आख़िरकार सामान उतारने के बाद उन्होंने हिम्मत करके बोल ही दिया, “बेटी चलो न यहां से वापिस अपने गाँव चलते हैं यहां मेरा दम घुटता है.”
एक बाप की बात को भला बेटी कैसे टाल सकती थी. इसलिए वह तुरंत मान गई. दिन बीते और दोनों बाप बेटी गाँव में आ कर रहने लगे. यहां पर वह मछली पकड़ने का काम करने लगे. हालाँकि जब श्वेता की माँ का देहांत हुआ था तो वह उनकी यादों से बचने के लिए दिन रात मजदूरी किया करते थे लेकिन बाद में उन्होंने मछली पकड़ने का काम अपना लिया था. श्वेता भी पिता के साथ ही मछली पकड़ने जाने लगी. दूसरी तरफ उस लड़के की शादी एक बेहद खूबसूरत लड़की के साथ पक्की कर दी गई. लड़का इतना खुश था कि दोस्तों संग दूर जगह जाने का प्लान बना लिया था. एक नदी किनारे सब दोस्त मिल कर हंसी-मजाक कर रहे थे कि तभी अचानक उस लड़के का पैर फिसल गया और वह पानी में दूर जा गिरा.
इधर नदी का बहाव भी इतना तेज़ था कि कोई दोस्त उसकी मदद नहीं कर पा रहा था. नदी धीरे-धीरे लड़के को काफी दूर बहा कर ले जा चुकी थी. सब लोग लड़के के वापिस आने की उम्मीद त्याग चुके थे. एक सुबह श्वेता के पिता अकेले ही मछली पकड़ने गए थे तो वहां उन्हें अपने जाल में फंसा हुआ वह लड़का मिल गया. उन्होंने बिना सोचे समझे लड़के को कंधे पर उठा लिया और घर ले आए. काफी कोशिशों के बाद आख़िरकार लड़के ने आंखें खोल दी लेकिन अपने सामने श्वेता और उसके पिता को देख कर यादाश्त जाने का नाटक शुरू कर दिया.
श्वेता ने पिता को कहा कि वह इसके ठीक होने तक इलाज करेंगे और फिर उसे वापिस भिजवा देंगे. श्वेता का कहना था कि अब जबकि वह लड़का अपनी यादाश्त खो चूका है तो उसे उसके सांवलेपण से भी कोई शिकवा नहीं होगा. हालाँकि लड़का उसकी सब बातें सुन लेता है लेकिन हैरत में कुछ सोच समझ नहीं पाता. समय बीतता है और श्वेता की देखभाल से लड़का इतना प्रभावित हो जाता है कि उसे दिल दे बैठता है. जब एक दिन उसके घाव भर गए तो उसने हिम्मत करके बोला, “मैं कौन हूँ, और कहा से आया हूँ मैं नहीं जनता लेकिन अब दिल करता हैं हमेशा के लिए तुम्हारे पास ही रह जाऊं.” श्वेता ने जवाब दिया, “आप फ़िक्र न करो कल आपको पापा शहर छोड़ आएंगे और साथ ही आपकी पहचान करने के लिए एक लाख रूपये इनाम की भी घोषणा करवा देंगे.” लड़का बोला- “मेरा मजाक मत उड़ाओ प्लीज़”
श्वेता ने हंस कर जवाब दिया कि वह मजाक नहीं उड़ा रही. तभी लड़के ने उसे पुछा कि क्या कभी उसका दिल किसी के लिए नहीं धड़का? लड़की ने ना में जवाब दिया और कहा कि जिसे उसने अपनी दुनिया माना था वह उसे बेच रास्ते में छोड कर जा चुका है. लड़का काफी शर्मिंदा हो कर बोला, “जरुर कोई पागल ही होगा जिसने तुम्हे नहीं अपनाया होगा. अगर वह लड़का गलती मान लेगा तो क्या उसे अपना लोगी?” यह सब बातें श्वेता के पिता ने सुन ली थी लेकिन वह ख़ामोशी से खड़े सब सुन रहे थे, श्वेता ने कहा, “उनकी गलती नहीं थी सब गलती मेरी ही थी.”
श्वेता ने कहा कि, “मैं उस लड़के के बारे में दोबारा सोच भी नहीं सकती क्यूंकि एक वही था जिसके कारण मैंने पहली बार अपने पिता को बच्चों की तरह रोते बिलखते हुए सबके पैरों में गिरते हुए देखा था. बरात लौटने के बाद भी मेरे पिता के आंसू नहीं रुके थे. यह वही पिता थे जिन्होंने मेरी माँ के जाने के बाद मुझे जीना सिखाया इतना प्यार दिया कि माँ की कमी महसूस न हो, और अब मैंने ही उनका स्वाभिमान तोड़ दिया था. ” श्वेता की सब बातें सुन कर लड़का अंदर से काफी रो रहा था और सिर झुका कर सब चुपचाप सुनता गया.
रोते हुए लड़के ने आख़िरकार श्वेता को गले से लगा लिया और कहा कि “मुझे माफ़ कर दो मैं तुम्हारा गुनहगार हूँ मैं ठीक हु मेरी यादाश्त भी ठीक है. मैं तुम्हारा दर्द पहले नहीं समझ पाया अता लेकिन अब मैं पछतावे की आग में रोज़ मर रहा हूँ. मुझे बस मेरे गुनाहों की सजा दे दो.” इतना बोलते ही वह बुरी तरह से रोने लग गया था. तभी लड़की के पिता ने आ कर समझाया कि वह एक बार फिर से लड़के को एक आखिरी मौका दे दे क्यूंकि अब वह अपनी गलती से सीख चुका है.
हालाँकि पहले श्वेता ने लड़के को अपनाने से साफ़ मना कर दिया लेकिन बाद में पिता के समझाने और लडके की आँख में प्च्च्तावे के आंसू देख कर आख़िरकार उसका हृदय पसीज गया और उसने उसके साथ शादी करने की हामी भर दी. बस फिर क्या था. लड़के ने बिना सोचे समझे अपने पिता को कॉल किया और कहा कि:- “जल्दी बरात ले आओ, मुझे मेरी सांवली मिल गई है और मैं अब उससे दूर नहीं जा सकता.”बस फिर क्या था दोनों की शादी करवा दी गई. आज दोनों एक साथ बेहद खुश हैं और सुखद जीवन व्यतीत कर रहे हैं. श्वेता जैसी ना जाने कितनी ही ऐसी लड़कियां हैं जिनके सांवले रंग के चलते उनके साफ़ दिल को भी ठुकरा दिया जाता है. ऐसे में समाज को अपनी सोच बदलने की जरूरत है.