आखिर नवरत्रि में कितने वर्ष की कन्याओं का किया जाता है कंजक पूजन, जानिए कन्या पूजन विधि और महत्व
जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं चैत्र नवरात्रि चल रहे हैं। नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की अलग-अलग दिन पूजा की जाती है। नवरात्रि के दिनों में शैलपुत्री माता, ब्रह्मचारिणी माता, चंद्रघंटा माता, कूष्मांडा माता, स्कंदमाता, कात्यायनी माता, कालरात्रि माता, महागौरी और सिद्धिदात्री माता की पूजा करते हैं और नवमी तिथि के दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा करने के साथ कन्याओं को भोजन कराया जाता है। उसके बाद नवरात्रि के व्रत का पारण किया जाता है।
आपको बता दें कि इस बार चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि यानी कि कन्या पूजन 21 अप्रैल 2021 को है। नवमी तिथि पर कन्या पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। कन्याओं को माता दुर्गा के नौ रूपों का ही प्रतीक माना गया है। अगर आप नवरात्रि के दिनों में नवमी तिथि पर कन्या पूजन कर रहे हैं तो कन्याओं की आयु का विशेष ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से कितने वर्ष से लेकर कितने वर्ष की कन्याओं का पूजन किया जाता है और इसका महत्व क्या है इसके बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
जानिए कितने वर्ष की कन्याओं के पूजन का है विधान
वैसे देखा जाए तो सभी बच्चों को भगवान का ही रूप माना जाता है परंतु नवरात्रि के पवित्र दिनों में छोटी कन्याओं को माता का स्वरूप माना गया है। अष्टमी और नवमी तिथि के दिन छोटी कन्याओं का पूजन किए जाने की परंपरा है। अगर हम धर्म ग्रंथों के अनुसार देखे तो कंजक पूजन के लिए 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को आमंत्रित करना चाहिए। इसके साथ ही आप एक बालक को भी आमंत्रित कीजिए। नौ कन्याओं को मां दुर्गा के नौ रूपों का स्वरूप माना जाता है और बालक को बटुक भैरव का स्वरूप माना जाता है। नवरात्रि के दिनों में नौ कन्याओं के साथ-साथ बालक की भी पूजा की जाती है।
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक देखा जाए तो हर आयु की कन्याओं के मां के स्वरूपों का प्रतिनिधित्व करती है। 2 वर्ष की कन्या को कुंआरी, 3 वर्ष की त्रिमूर्ति, 4 वर्ष की कल्याणी, 5 वर्ष की रोहिणी, 6 वर्ष की कालिका, 7 वर्ष की चंडिका, 8 वर्ष की शांभवी, 9 वर्ष की कन्या दुर्गा, 10 वर्ष की कन्या सुभद्रा मानी जाती है। आप नवरात्रि के दिनों में कन्या पूजन पर भोजन कराने के पश्चात कन्याओं को दक्षिणा के रूप में कुछ ना कुछ जरूर दीजिए। ऐसा करने से महामाया भगवती प्रसन्न होती हैं और आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
जानिए कन्या पूजन विधि
1. नवरात्रि के पवित्र पर्व पर आप अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्याओं और बालक को आमंत्रित करें। जब वह घर पर आएं तब सबसे पहले शुद्ध जल से उनके पैर धोएं।
2. अब आप आसन पर कन्याओं को बैठाकर सभी को कुमकुम और अक्षत से तिलक कीजिए।
3. इसके पश्चात थोड़ा सा भोजन सर्वप्रथम आपको भगवान को अर्पित करना होगा। इसके बाद आप सभी कन्याओं और बालक के लिए भोजन परोसें।
4. कन्याओं और बालक को भोजन कराने के बाद आप उनके पैरों को छूकर आशीर्वाद प्राप्त कीजिए।
5. सभी को विदा करने के दौरान उनको फल भेंट करें और अपने सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा जरूर दीजिए।