मां-बेटे का रिश्ता बहुत ही प्यारा और खास होता है। मां अपने बेटे को कभी दुखी नहीं देखना चाहती। बेटा चाहे कितना भी बड़ा क्यों ना हो जाए, वह मां के लिए हमेशा बच्चा ही रहता है। अपने बच्चे के लिए मां अपनी जिंदगी में हर दुख को हंसी-खुशी झेल जाती है ताकि उसका लाल एक अच्छी जिंदगी पा सके। कहते हैं कि जब भी औलाद पर मुसीबत आती है तो मां किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हो जाती है। मौजूदा समय में भी ऐसे बहुत से बच्चे हैं, जिन्हें कलयुग का श्रवण कुमार भी कहा जाए तो भी कुछ गलत नहीं होगा।
आज हम आपको एक ऐसे मामले के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में जानकर आपका मन भी बहुत दुखी हो जाएगा। दरअसल, बिहार के गया में एक नाबालिक बच्चा मां के बीमार पड़ने पर अपने शरीर का एक अहम हिस्सा बेचने निकल पड़ा। बच्चे के पास अपनी मां के इलाज के लिए जब पैसे नहीं थे, तो उसने अपनी किडनी बेचने का फैसला किया और वह किडनी बेचने के लिए रांची के अस्पताल जा पहुंचा।
मां के टूटे पैर का इलाज कराने के लिए नहीं थे पैसे
दरअसल, हम आपको बिहार के गया जिले के रहने वाले दीपांशु के बारे में बता रहे हैं। दीपांशु के पिताजी की मृत्यु बहुत पहले ही हो गई थी। पिता की मृत्यु के पश्चात घर में कमाने वाला कोई भी नहीं था। इसके बाद दीपांशु की मां ने उसे किसी तरह मेहनत मजदूरी करके पाला। जब दीपांशु ने अपनी मां की तकलीफों को देखा तो उससे रहा नहीं गया और वह रांची के होटल में काम करने लगा।
बता दें कि इस समय दीपांशु की मां की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई है और उसे सूचना मिली कि उसकी मां का पैर टूट गया है, जिससे मां को बहुत दर्द हो रहा है। लेकिन दीपांशु के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अपनी मां का इलाज करा सके। ऐसे में नाबालिग के पास कोई विकल्प नहीं बचा और वह किडनी बेचने रांची के अस्पताल जा पहुंचा।
किडनी बेचने पहुंचा दीपांशु
आपको बता दें कि दीपांशु ने कहीं से सुना था कि किडनी बेचने पर उसे ढेर सारा पैसा मिलेगा और वह मां का इलाज करवा पाएगा। फिर क्या था दीपांशु अपनी किडनी के खरीदार की तलाश करने लगा। फिर दीपांशु एक रांची के प्राइवेट हॉस्पिटल में पहुंच गया और वह वहां पर अपनी किडनी बेचने की बात करने लगा। वहां पर कोई भी खरीदार नहीं मिला था। लेकिन उसकी मुलाकात अस्पताल के एक कर्मचारी से हो गई, जब उसने उससे पूछा तो उसने अपनी मां का इलाज कराने की बात कही।
डॉक्टर ने इलाज का दिलाया भरोसा
दीपांशु की पूरी कहानी को अस्पताल के एक कर्मचारी ने सुना और फिर उसने उसे डॉक्टर विकास के बारे में बताया और डॉक्टर विकास से मिलवाया। रिम्स के न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉक्टर विकास ने मीडिया को जानकारी दी कि इस लड़के के बारे में जब उन्हें पता चला तो उन्होंने इसे किडनी बेचने से रोका और इलाज में मदद का आश्वासन भी दिया। डॉक्टर विकास ने लड़के का एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें उन्होंने बताया कि किन स्थितियों में उसने किडनी बेचने का फैसला किया।
गरीबी और मजबूरी की चरम सीमा तो देखिए ,एक बच्चा आज
अपने मां के इलाज के लिए किडनी बेचने गया था,घर में मां और
बहन है,पिता की मृत्यु हो चुकी है,वह किसी होटल में काम करता है,एक सज्जन व्यक्ति ने उसे हमारे बारे में बताया तथा हमारी टीम ने
उसे समझाया की किडनी बेचना एक दंडनीय… pic.twitter.com/d2kUmbJjfl— Dr Vikas Kumar (@drvknarayan) May 10, 2023
डॉक्टर ने ट्वीट पर कैप्शन में यह लिखा कि “गरीबी और मजबूरी की चरम सीमा तो देखिए, एक बच्चा आज अपने मां के इलाज के लिए किडनी बेचने गया था, घर में मां और बहन है, पिता की मृत्यु हो चुकी है। वह किसी होटल में काम करता है। एक सज्जन व्यक्ति ने उसे हमारे बारे में बताया और हमारी टीम ने उसे समझाया की किडनी बेचना एक दंडनीय अपराध है, हमने उसे भरोसा दिलाया कि वह रिम्स रांची आता है तो निश्चित रूप से हम उसकी मदद करेंगे।” उन्होंने ट्वीट में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी टैग किया ताकि लड़के की प्रमाणिकता की पुष्टि की जा सके और उसे गलत हाथों में जाने से बचाया जा सके।