देश में हर कौने तक Covid-19 की वैक्सीन पहुंचाने के लिए, अब भारत करेगा लक्जमबर्ग की इस कंपनी से करार
अलग अलग देशों में कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने का काम जोर-शोर से चल रहा है. एक तरफ हमारी केंद्र सरकार हर भारतीयों को वैक्सीन देने की रणनीति पर काम कर रही है. वैक्सीन के स्टोरेज, उसके लिए जरूरी कोल्ड चेन समेत हर छोटी-बड़ी चीज पर सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय की नजर टिकी हुई है. पीएम नरेंद्र मोदी ने शनिवार को देश में बन रहीं 3 प्रमुख कोरोना वैक्सीनों के विकास की समीक्षा की है. इस बीच मोदी जी वैक्सीन ट्रांसपोर्ट के लिए लग्जमबर्ग की एक कंपनी के साथ करार पर भी विचार कर रहे हैं. कंपनी अपने विशेषज्ञों की टीम भी भारत भेजने लग गई है.
दरअसल हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार लक्जमबर्ग के प्रधानमंत्री ने वैक्सीन ट्रांसपोर्टेशन प्लांट लगाने का प्रस्ताव दिया है जिस पर पीएम मोदी गंभीरता से विचार कर रहे हैं. बेटल ने 19 नवंबर को पीएम मोदी के साथ लक्जमबर्ग के पहले द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के दौरान यह प्रस्ताव दिया था. इस दिशा में काफी प्रगति के भी संकेत नजर आ रहे हैं. प्रस्ताव के अनुसार, गुजरात में रेफ्रिजरेटेड वैक्सीन ट्रांसपोर्टेशन प्लांट लगना संभव है. इससे देश के कोने-कोने में, सुदूर गांवों तक वैक्सीन पहुंचाने को सुनिश्चित करने में मदद मिल पाएगी.
इस रिपोर्ट में आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि लक्जमबर्ग की कंपनी बी. मेडिकल सिस्टम अगले हफ्ते एक हाई-लेवल टीम को गुजरात भेजने जा रही है. यह टीम वहां वैक्सीन कोल्ड चेन स्थापित करेगी जिसमें सौर ऊर्जा से चलने वाले रेफ्रिजरेटर, फ्रीजर और वे बॉक्स भी शामिल होंगे जिनमें रखकर वैक्सीन को एक जगह से दूसरे जगह भेजा जा सकेगा. वैसे तो प्लांट को पूरी तरह तैयार होने में करीब 2 साल लगेंगे लेकिन कंपनी ने फैसला किया है कि अभी लक्जमबर्ग से रेफ्रिजरेशन बॉक्स मंगाकर तुरंत काम शुरू किया जाना है.
बता दें ये रेफ्रिजरेटेड ट्रांसपोर्ट बॉक्स -4 डिग्री सेल्सियस से -20 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ वैक्सीन को डिलिवर करने में सक्षम होंगे. वैसे लक्जमबर्ग की इस कंपनी के पास माइनस 80 डिग्री सेल्सियस तापमान पर वैक्सीन को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने की तकनीक भी है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर व्यक्तिगत रूप से लक्जमबर्ग के प्रस्ताव की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. करार को अंतिम रूप देने के लिए यूरोपीय यूनियन में भारत के राजदूत संतोष झा ने 20 नवंबर को कंपनी के सीईओ और डेप्युटी सीईओ से भी बातचीत कर ली है.
हालाँकि सोलर, किरोसीन, गैस और इलेक्ट्रिसिटी से चलने वाले रेफ्रिजरेटेड बॉक्स की मार्च 2021 तक भारत में डिलिवरी की आस है. दूसरे चरण के तौर पर बी. मेडिकल सिस्टम्स कंपनी गुजरात में रेफ्रिजरेटेड वैक्सीन ट्रांसपोर्टेशन प्लांट बैठाएगी ताकि इस मामले में न सिर्फ भारत आत्मनिर्भर हो सके बल्कि दूसरे देशों को भी निर्यात किया जा सके. बी. मेडिकल सिस्टम्स चिकित्सा उपकरणों को बनाने वाली दुनिया की शीर्ष कंपनियों में शामिल है. इसकी स्थापना 1979 में हुई थी जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनियाभर में वैक्सीन के ट्रांसपोर्टेशन के लिए इसकी मदर कंपनी इलेक्ट्रोलक्स से संपर्क किया था. कंपनी ब्लड बैंक और प्लाज्मा स्टोरेज रेफ्रिजरेटरों को मामले में भी सबसे आगे मिलती है.