अस्पताल में नवजात को लावारिस छोड़ गई निर्दयी मां, नर्सों ने मां बनकर 38 दिन तक की देखभाल
कहते हैं कि डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप होता है। जिस तरह से भगवान लोगों को नया जीवन देते हैं, उसी तरह डॉक्टर उस जीवन को बचाने का काम करते हैं। जब भी व्यक्ति किसी बीमारी से ग्रसित हो जाता है, तो एक डॉक्टर ही है, जो उसे एक नया जीवन दान देता है। इसी बीच आज हम आपको मध्य प्रदेश के हरदा के एक अजीब मामले के बारे में बताने जा रहे हैं। यहां एक महिला अपने जिगर के टुकड़े को अस्पताल में छोड़ कर चली गई, जिसके बाद वह नवजात बच्चा 38 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहा और नर्सों ने मां बनकर नवजात की देखभाल की।
दरअसल, आज हम आपको हरदा से सामने आए जिस अजीब मामले के बारे में बता रहे हैं यहां एक महिला अपने नवजात बच्चे को लेकर जिला अस्पताल आई थी और उसे SNCU वार्ड में भर्ती करा कर गायब हो गई। नवजात बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो रही थी। अस्पताल प्रबंधन ने महिला की काफी खोजबीन की लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। जब बच्चा स्वस्थ हुआ तो उसके बाद अस्पताल कर्मियों ने महिला के लिखवाए मोबाइल नंबर पर भी कॉल किया परंतु उसका नंबर बंद जा रहा था।
इतना ही नहीं बल्कि महिला ने जो अस्पताल में पता लिखवाया था, वह भी फर्जी निकला। इसकी सूचना अस्पताल प्रबंधन ने जिला प्रशासन को दी। जिला प्रशासन ने बच्चे को बाल कल्याण समिति को सौंपने का फैसला लिया। मंगलवार को प्रबंधन ने बच्चे को बाल कल्याण समिति के सुपुर्द किया। अब बालक की देखभाल खंडवा की संस्था में होगी।
समय से पहले हुआ था बच्चे का जन्म
एसएनसीयू प्रभारी डॉ. दीपक दुगाया ने बताया कि देवास जिले के खातेगांव की एक महिला ने अपना नाम कमलती पिता मांगीलाल बताया था। 19 फरवरी को अपने नवजात को लेकर यहां आई थी। समय से पहले जन्म लेने की वजह से बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। बच्चे को SNCU वार्ड में एडमिट किया गया। इसके बाद एक-दो बार बच्चे की मां मिलने आई थी लेकिन उसके बाद से बच्चे से मिलने के लिए ना उसकी मां और ना ही कोई अन्य परिजन अस्पताल आया।
बता दें कि जब बच्चे को भर्ती कराया गया था, तब उसका वजन 1 किलो 700 ग्राम था। कुछ दिनों बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई, जिससे उसका वजन घटकर 1 किलो 500 ग्राम हो गया। उसे 3 दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया। मासूम ने रिकवरी की। अब उसका वजन फिर से 1 किलो 770 ग्राम हो गया है।
डॉक्टरों और नर्सों ने की अपने बच्चे की तरह देखभाल
वहीं वार्ड में एडमिट बच्चों की देखरेख करने वाली नर्सों ने ही बच्चे की मां बन कर उसकी देखभाल करती रहीं। 38 दिन तक दिन रात उसकी देखभाल करने वाली नर्सों को बच्चे के जाने का दुख है। उन्होंने कहा कि यहां भर्ती होने वाले बच्चों के ठीक होने पर उनके मां-बाप उन्हें खुशी-खुशी अपने साथ ले जाते हैं लेकिन इस बच्चे को मां-बाप नहीं बल्कि बाल कल्याण समिति के सदस्य ले जा रहे हैं। इतने दिनों तक बच्चों की देखरेख करने से हमारा लगाव उनसे हो जाता है। मंगलवार को जब बच्चे को बाल कल्याण समिति के सुपुर्द किया जाने लगा तो सभी नर्सों ने उसे गोद में लेकर उसका दुलार किया।
वहीं बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष नरेंद्र साकल्ले ने बताया कि डेढ़ महीने के बच्चे को देखरेख और संरक्षण के लिए खंडवा भेजा जा रहा है। संयुक्त कलेक्टर ने बच्चे की समिति को सौंपने का निर्देश दिया। अब उसका पालन-पोषण खंडवा में होगा।