पिता नहीं हैं, मां ने मजदूरी कर पढ़ाया, झुग्गी में पली-बढ़ी दमयंती मांझी ने डिप्टी कलेक्टर बन रच दिया इतिहास
कहते हैं कि मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। हर इंसान अपने जीवन में अपनी मंजिल पाने के लिए कड़ी मेहनत करता है। कहा जाता है कि मेहनत और धैर्य से इंसान हर मुकाम को हासिल कर सकता है। अगर सच्ची लगन हो, खुद पर भरोसा हो, तो कोई भी शख्स फर्श से अर्श तक पहुंच सकता है।
वहीं अगर हम देश की बेटियों की बात करें तो बेटियां अपने बुलंद हौसलों से अपने सपने पूरे करने के लिए तत्पर हैं। भारत की महिलाएं काफी मेहनती और होनहार हैं। वह देश संभाल रही हैं, राष्ट्र निर्माण में मदद कर रही हैं और अपना भविष्य भी संवार रही हैं।
जिस देश में कभी लड़कियां घुंघट से नहीं निकल पाती थीं, वहां की बेटियां आज अपनी शिक्षा पूरी करने के साथ ही परिवार को संभालने और अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए मेहनत कर रही हैं। इन्हीं बेटियों में से एक दमयंती मांझी का भी नाम है। उड़ीसा की रहने वाली दमयंती मांझी वर्तमान में डिप्टी मेयर हैं।
महज 21 साल की उम्र में रचा इतिहास
छोटी सी उम्र में दमयंती मांझी ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जिनका नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया है। पहली बार दमयंती ने बीजू जनता दल (बीजेडी) के टिकट पर कटक का नगर निगम चुनाव लड़ा और वह जीत भी गईं। वर्तमान में वह डिप्टी मेयर की कुर्सी संभाल रही हैं।
पहली बार चुनाव के जरिए राजनीतिक मैदान में उतरी और जीतीं
आपको बता दें कि दमयंती ना तो राजनैतिक परिवार से आती हैं और ना ही उसने पहले कभी चुनाव लड़ा है। इस वजह से उनकी जीत कई महीनों में ख़ास है। दमयंती मांझी उड़ीसा की रहने वाली हैं। वह संथाल आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। दमयंती उड़ीसा के जगतपुर बलीसाही झुग्गी में रहती हैं। वह रावेनशॉ विश्वविद्यालय से एम.काॅम कर रही हैं।
आपको बता दें कि झुग्गी में पली-बढ़ी दमयंती ने बीते 24 मार्च को हुए चुनाव में जीत प्राप्त की और कटक की सबसे कम उम्र की डिप्टी मेयर बन गईं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बीते हाल ही में दमयंती को डिप्टी मेयर चुना गया। बीजेपी और कांग्रेस के कॉर्पेटर चुनाव प्रक्रिया से नाखुश थे और विरोध जताते हुए बाहर निकल गए जिसके बाद दमयंती को डिप्टी मेयर की कुर्सी प्राप्त हुई।
दमयंती का जीवन का संघर्ष
आपको बता दें कि दमयंती के पिता नहीं हैं। 5 वर्ष पहले ही उनका निधन हो गया था, पिता के चले जाने के बाद दमयंती और उनकी मां पर परिवार की जिम्मेदारी आ गई। दमयंती और उनकी मां ने मेहनत करके परिवार का पालन पोषण किया। दमयंती ने परिवार का पोषण और अपनी पढ़ाई दोनों एक साथ जारी रखी। वह झुग्गी के बच्चों को ट्यूशन देती थीं।
डिप्टी मेयर दमयंती का राजनीतिक जीवन
आपको बता दें कि दमयंती के लिए राजनीति उनकी पहली चॉइस नहीं थी। दमयंती नगर निगम चुनाव से पहले राजनीति में किसी भी तरह से सक्रिय नहीं थीं। कटक डिप्टी मेयर का चुनाव उसका पहला चुनाव था। इतना ही नहीं बल्कि वह छात्र राजनीति का हिस्सा भी नहीं थीं। वह अपने क्षेत्र की समस्याओं से परिचित थी और अपने लोगों की इन समस्याओं को सुलझाना चाहती थीं। ऐसे में जब उन्हें बीजेडी पार्टी ने टिकट दिया तो वह पहली बार चुनाव में उतरी और चुनाव जीत गईं।