आजकल के समय में लड़का और लड़की में कोई भी फर्क नहीं है। लड़के हर क्षेत्र में अच्छा खासा नाम कमा रहे हैं। वहीं लड़कियां भी लड़कों से बिल्कुल भी पीछे नहीं है। लड़कियां कई क्षेत्रों में देश के साथ-साथ अपने मां-बाप का नाम रोशन कर रही हैं। आज हम आपको ITBP में अफसर बनी दीक्षा के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। दरअसल, दीक्षा सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की नौकरी करती थीं परंतु उन्होंने अपने सपने को साकार करने के लिए इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर अपना लक्ष्य चुना और आज वह आईटीबीपी में असिस्टेंट कमांडेंट बनी हैं।
आपको बता दें कि यूपीएससी चयन प्रक्रिया में आईटीबीपी में पहली बार दो महिलाएं अधिकारी बनी हैं। रविवार के दिन असिस्टेंट कमांडेंट प्रकृति और दीक्षा ने आईटीबीपी में शामिल होकर देश की सेवा करने की शपथ ली। दीक्षा का ऐसा बताना है कि उन्होंने अपने पिता से ही प्रेरणा ली। जब बिटिया असिस्टेंट कमांडेंट बनी तो गर्व से पिता ने अपनी बेटी को सैलूट किया, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रही हैं।
आपको बता दें कि दीक्षा उत्तर प्रदेश के इटावा की रहने वाली है। उनके पिताजी का नाम कमलेश कुमार है, जो आइटीबीपी पिथौरागढ़ उत्तराखंड में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात है। दीक्षा की मां का नाम उषा रानी है जो हाउसवाइफ हैं और उनका एक छोटा भाई भी है, जिसका नाम निखिल कुमार है। निखिल बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। दीक्षा ने दिल्ली के केंद्रीय विद्यालय सेक्टर-8 आरके पुरम से कक्षा 7 तक की शिक्षा ग्रहण की। बाद में केंद्रीय विद्यालय लवासना मंसूरी से उन्होंने कक्षा आठ से 11 तक की शिक्षा ली। उसके बाद केंद्रीय विद्यालय इंडियन मेडिकल एकेडमी देहरादून से उन्होंने 12वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की।
दीक्षा ने श्रीनगर गढ़वाल उत्तराखंड से कंप्यूटर साइंस में 2011 से 2015 तक बीटेक एनआईआईटी किया था और उनकी नौकरी चेन्नई की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में लग गई थी। उन्होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी 2 साल तक की और साल 2017 में उन्होंने यह जॉब छोड़ दी। जॉब छोड़ने के बाद दीक्षा ने दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी।
दीक्षा का ऐसा कहना है कि वह शुरुआत से ही फील्ड की नौकरी करना चाहती थी। इसी वजह से उन्होंने आईटीबीपी को चुना था। उन्होंने कहा कि उनके पिताजी ने उनको प्रेरणा दी। दीक्षा ने संघ लोक सेवा आयोग की सेंट्रल आर्म्ड पुलिस बल की परीक्षा साल 2018 में दी थी और साल 2019 में इस परीक्षा का परिणाम निकला था। परीक्षा का परिणाम निकलने के बाद जुलाई 2020 में मसूरी में दीक्षा की ट्रेनिंग शुरू हुई। उनका कहना है कि मसूरी में एक साल की ट्रेनिंग का अनुभव बेहद शानदार रहा था, जिसका इस्तेमाल जनता की सेवा में वह करेंगी। दीक्षा का ऐसा कहना है कि सैनिक बनकर देश की सेवा करना गर्व की बात है।
दीक्षा का ऐसा कहना है कि उन्होंने अपने पिताजी के मार्गदर्शन से ही आज यह मुकाम हासिल किया है। दीक्षा ने कहा कि आईटीबीपी में अधिकारी बनने के बाद उनको जो भी दायित्व दिए जाएंगे, उनका निर्वहन पूरी ईमानदारी के साथ करेंगी। अपनी बेटी की इस कामयाबी से माता-पिता बहुत खुश हैं। दीक्षा का कहना है कि उनके माता-पिता का इस सफलता में सबसे बड़ा योगदान रहा है। जब मसूरी में हुई पासिंग आउट परेड के दौरान आइटीबीपी में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर नियुक्त बेटी के पिता ने सैलूट किया तो दोनों की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े।