हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का बहुत महत्व है। नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की 9 दिनों तक विधि पूर्वक पूजा-उपासना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि अगर सच्ची श्रद्धा से नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाए, तो भक्तों के जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और माता रानी की कृपा दृष्टि हमेशा बनी रहती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है और दशमी तिथि तक को समाप्त होती है।
इस बार शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर 2022 से शुरू हो रहे हैं। वहीं 5 अक्टूबर को इसका समापन है। नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना और अखंड ज्योति की स्थापना लोग करते हैं। ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि के पावन दिनों में मां दुर्गा धरती पर भक्तों के बीच आती हैं और उनसे प्रसन्न होकर भक्तों को उनकी सभी इच्छा पूर्ति का आशीर्वाद देती हैं।
वहीं ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, नवरात्रि के 9 दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ नियम पूर्वक करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आज हम आपको दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है, इसके बारे में बताने जा रहे हैं।
सप्तशती पाठ में रखें इन बातों का ध्यान
1. जो व्यक्ति नवरात्रि के दिनों में अपने घर में कलश स्थापना कर रहा हैं, उन्हें इन दिनों में मां दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। लेकिन आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि सप्तशती पाठ करते समय पुस्तक को हाथ में लेकर मत कीजिए।
2. बल्कि एक साथ चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछा लें और उस पर पुस्तक रखें। इस दौरान कुमकुम, चावल और फूल से पूजा कीजिए और अपने माथे पर रोली का तिलक लगाकर ही पाठ शुरू कीजिए।
3. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले और बाद में नियमित रूप से नर्वाण मंत्र “ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” का पाठ जरूर कीजिए। ऐसा करने के बाद ही पाठ को पूर्ण माना जाता है।
4. कहते हैं कि नवार्ण मंत्र के अलावा कीलक, कवच और अर्गला स्तोत्र का पाठ दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले किया जाता है। इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
5. जब आप सप्तशती का पाठ कर रहे हैं, तो उस समय तन के साथ मन भी साफ होना बहुत ही जरूरी है। आप पाठ शुरू करने से पहले स्नान आदि से निवृत होने के पश्चात साफ-सुथरे कपड़े पहन लीजिए।
6. ज्योतिष के जानकारों का ऐसा बताना है कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले शपोद्धार अवश्य करें। इसके बिना पाठ करने से फल नहीं मिलता है, क्योंकि इसके हर मंत्र को विशिष्ट, ब्रह्मा जी और विश्वामित्र से शाप मिला है।
7. जब आप दुर्गा सप्तशती का पाठ कर रहे हैं, तो उस दौरान ध्यान रखना होगा कि सभी शब्दों का सही और स्पष्ट उच्चारण कीजिए। इसके साथ ही यह पाठ तेज आवाज में नहीं करना चाहिए। अगर संस्कृत में पाठ नहीं कर सकते हैं, तो ऐसी स्थिति में हिंदी में भी पाठ किया जा सकता है।