आखिर कब से है विजय दशमी? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
हिंदू धर्म में दशहरे का खास महत्व माना गया है। दशहरा या विजयदशमी का त्यौहार बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। फिलहाल पितरो को समर्पित श्राद्ध पक्ष शुरू हो चुके हैं। श्राद्ध खत्म होने के बाद नौ देवियों की आराधना के दिन शुरू हो जाएंगे। शारदीय नवरात्रि का त्योहार देश के सभी राज्यों में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। आपको बता दें कि शारदीय नवरात्रि हर वर्ष आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। 9 दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा की जाती है। इसके बाद दशहरे का त्यौहार मनाया जाता है।
दशहरे वाले दिन ही भगवान राम ने रावण का वध किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसी वजह से इसे विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। दशहरे वाले दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है। यह परंपरा काफी पुराने समय से ही चली आ रही है। इसके अलावा दशहरे वाले दिन शास्त्र की पूजा काफी बड़ा महत्व माना गया है। जो लोग शास्त्र का इस्तेमाल करते हैं उनके लिए इस दिन शस्त्र की पूजा करना का बड़ा महत्व होता है। बहुत से लोग ऐसे हैं जो इस दिन अपनी पुस्तकों, वाहन इत्यादि की भी पूजा करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि अगर दशहरे के दिन किसी नए कार्य की शुरुआत की जाए तो यह अत्यधिक शुभ होता है। बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो इस दिन नया सामान खरीदना शुभ मानते हैं। कई स्थानों पर इस दिन रावण दहन के पश्चात घर लौटने पर महिलाएं पुरुषों की आरती भी उतारती हैं और टीका लगाती हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से दशहरा कब है? शुभ मुहूर्त क्या है? और दशहरे पूजन की विधि बताने वाले हैं।
जानिए कब है दशहरा और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष 7 अक्टूबर दिन गुरुवार से शारदीय नवरात्रि आरंभ हो रही है और दशहरा 15 अक्टूबर को पड़ रहा है। दशमी तिथि 14 अक्टूबर को शाम 6:52 बजे शुरू हो जाएगी, जो अगले दिन 6:02 बजे शाम तक रहने वाली है। पूजा का शुभ समय दोपहर 2:02 बजे से लेकर 2:48 बजे तक रहेगा।
जानिए दशहरे की पूजन विधि
1. सबसे पहले तो आप दशहरे वाले दिन प्रातः काल जल्दी उठ जाएं, उसके बाद स्नान आदि से निवृत होने के पश्चात साफ-सुथरे कपड़े धारण कर लीजिए।
2. आपको बता दें कि इस दिन गेहूं या चूने से दशहरे की प्रतिमा बनाई जाती है। इस दिन गाय के गोबर से 9 गोले और दो कटोरियां बनाते हैं।
3. आप एक कटोरी में सिक्के और दूसरी कटोरी में रोली, चावल, जौ और फल रख दें।
4. अब आप गेहूं या चूने से बनाई गई प्रतिमा को केले, जो,’गुड़ और मूली अर्पित करें।
5. अगर कोई व्यक्ति कटोरियां या शस्त्रों की पूजा कर रहा है तो वहां भी यह सामग्री जरूर अर्पित कर दीजिए।
6. इसके बाद आप अपने सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा दे सकते हैं और निर्धन लोगों को भोजन करा सकते हैं।
7. इस दिन रावण दहन के बाद शमी वृक्ष की पत्ती जिसे सोना पत्ती भी कहते हैं उसे अपने परिजनों को दीजिए। आप इस दिन अपने बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।