दुनिया का सबसे मुश्किल सवाल: अंडा वेज है या नॉन-वेज, आख़िरकार मिल ही गया इसका जवाब
दुनिया में ऐसी कईं पहेलियाँ और सवाल है, जिन्हें ससुलझाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन सा लगता है. उन्ही में से एक सवाल यह भी है कि, ‘आख़िरकार अंडा वेज है या फिर नॉन-वेज?’ यह एक ऐसा सवाल है, जिसका जवाब पिछले कईं सैलून से वैज्ञानिक भी खोजने में लगे हुए हैं. क्यूंकि कुछ लोगों की यह राय है कि वह मुर्गी से निकलता है तो नॉन-वेज है तो वहीँ कुछ की राय इससे विपरीत है. यूं समझ लीजिये कि इस बारे में जितने लोग हैं उतनी बातें हैं और हर किसी की अपनी अलग थ्योरी है. लेकिन आईये हम आपको बताते हैं इसका सही जवाब आखिर क्या है…
दूध भी शाकाहारी है क्या?
बहुत से लोग यह सोचते हैं कि अंडा तो मुर्गी देती है इसलिए वह नॉन वेज हो जाता है. लेकिन ऐसे देखा जाए तो दूध भी गाय देती है. तो क्या फिर दूह भी नॉन-वेज कहलाता है? अगर नहीं तो वह शाकाहारी भला कैसे हो सकता है?
अनफर्टिलाइज्ड हैं बाजारी अंडे
अधिकतर लोगों का यह कहना है कि अंडे में से ही चूजा निकलता है इसलिए यह मांसाहारी होता है. लेकिन बता दें कि बाजार में मिलने वाले सभी अंडे अनफर्टिलाइज्ड होते हैं. इन अंडों को इस तरीके से रखा जाता है कि इनमे से चूजा निकलना नामुमकिन टास्क है. वैज्ञानिकों के अनुसार अंडा शाकाहारी होता है जिसको वह साइंस फैक्ट्स के ज़रिए लोगों तक पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं.
ऐसे पता चला अंडे का शाकाहरी होना
अंडे में कुल मिला कर तीन लेयर्स होती हैं. इसमें पहली छिलके की लेयर होती है, दूसरी इसकी सफेदी वाली लेयर और तीसरी पीले रंग की जर्दी वाली परत. इस परत को कुछ लोग योक के नाम से भी जानते हैं. रिसर्च के अनुसार सफेद वाला हिस्सा प्रोटीन से भरपूर होता है और उसमे जानवर का कोई अंश मौजूद नहीं होता. ऐसे में तकनीकी रूप से इसका सफेदी वाला भाग पूरी तरह से वेज ही कहलाता है.
कैसे होता नॉन वेजिटेरियन?
एग के वाइट हिस्से के इलावा इसके योक में भी प्रोटीन के साथ साथ कोलेस्ट्रोल और फाइट अच्छी मात्रा में पाया जाता है. बता दें कि कोई भी अंडा मुर्गे और मुर्गी के संपर्क के बाद ही आता है. इन अंडो में गैमीट सेल्स होते हैं जो उन्हें मांसाहारी बनाते हैं लेकिन बाजार में मिलने वाले अंडों में कोई गैमीट नहीं होता.
कैसे मुर्गी से आता है अंडा?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हर मुर्गी 1 या डेढ़ दिन में अंडा देती है. जब मुर्गी की उम्र छह महीने की होती है तो वह अंडे देना शुरू कर देती है. ऐसे में जरूरी नहीं कि वह जो अंडे देती है, वह किसी मुर्गे के सम्पर्क में आ कर दिए गए हो. बिना संपर्क के निकले अंडो को अनफर्टिलाइज्ड एग कहा जाता है. वैज्ञानिकों का यह दावा है कि इन अंडों से कभी चूजे नहीं निकल सकते.