भगवान गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है। ऐसा बताया जाता है कि अगर उनकी कृपा दृष्टि किसी व्यक्ति पर हो तो उस व्यक्ति के जीवन की सारी दुःख परेशानियां दूर हो जाती हैं। वैसे देखा जाए तो हर महीने की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश जी को समर्पित होती है परंतु भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को सबसे बड़ी गणेश चतुर्थी माना जाता है। ऐसा बताया जाता है कि इसी दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था और इस दिन लोग गणपति बप्पा को अपने घर में लेकर आते हैं और 10 दिनों तक उनकी सेवा करते हैं।
इस बार गणेश उत्सव यानी गणेश चतुर्थी 10 सितंबर से शुरू हो रही है। इस समय के दौरान बाजारों में चहल-पहल देखने को मिलती है। बाजार में गणेश जी की मूर्ति और पंडालों की सजावट भी देखने को मिलती है। गणेश उत्सव शुरू होने से पहले ही देश भर में गणेश पूजन की तैयारियां आरंभ कर दी जाती हैं। भले ही कोरोना महामारी चल रही है परंतु इसके बावजूद भी गणपति बप्पा के भक्तों में गणेश उत्सव को लेकर वैसा ही उत्साह देखने को मिल रहा है, जैसा हर साल देखने को मिलता है।
ज्योतिष की दृष्टि से देखा जाए तो इस बार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर ब्रह्म योग और रवि योग का निर्माण हो रहा है। चतुर्थी के समय सूर्य, बुध, शुक्र, शनि ये चार गृह स्वग्रही रहेंगे। ऐसा काफी लंबे समय बाद हो रहा है, जो बहुत ही लाभकारी साबित हो सकता है। इस दिन चित्रा नक्षत्र और शुक्रवार होने से ब्रह्म योग रहेगा। ऐसी मान्यता है कि अगर गणेश चतुर्थी पर गणपति जी को घर पर लाया जाए तो घर के सारे विघ्न भगवान हर लेते हैं।
गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त
आपको बता दें कि इस वर्ष चतुर्थी तिथि 10 सितंबर को प्रातः काल 12:17 से शुरू होगी और रात 10:00 बजे तक रहेगी। 10 सितंबर को रात 9:12 से सुबह 8:53 तक चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए। शुभ मुहूर्त मध्याह्न काल में 11:03 से 13:33 तक यानी 2 घंटे 30 मिनट तक का समय है। गणेश विसर्जन 19 सितंबर को है।
जानिए गणेश पूजन की विधि
1. अगर भक्त भगवान गणेश जी की पूजा कर रहे हैं तो ऐसे में उनको इस बात का ध्यान रखना होगा कि वह सूर्योदय से पहले स्नान आदि से निवृत होने के पश्चात साफ-सुथरे कपड़े धारण कर लें।
2. इसके बाद आपको भगवान गणेश जी की प्रतिमा के समक्ष बैठकर पूजा शुरू करनी होगी।
3. आप भगवान गणेश जी का गंगाजल से अभिषेक कीजिए। उसके बाद आप भगवान गणेश जी को अक्षत, दूर्वा आदि चीजें अर्पित कीजिए।
4. भगवान गणेश जी की पूजा में आप उनका प्रिय मोदक का भोग जरूर लगाएं। मोदक गणपति जी को अत्यंत प्रिय है।
5. उसके बाद आप धूप, दीप और अगरबत्ती लगा कर उनकी आरती कीजिए।
6. इसके बाद आप गणेश जी के मंत्रों का जाप करें। उसके बाद दुबारा से आरती कर पूजा समाप्त कीजिए।
बताते चलें कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति भगवान गणेश जी की अपने सच्चे मन से पूजा आराधना करता है उसके जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं। गणेश चतुर्थी का समय गणेश जी की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। आप गणेश जी के विधि-विधान पूर्वक पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। ऐसा करने से भगवान गणेश जी की कृपा से आपके जीवन की परेशानियां दूर होंगी और आप अपना जीवन हंसी खुशी व्यतीत करेंगे।