दूल्हे के पिता ने दहेज लेने से किया इनकार, जोड़े दुल्हन के पिता के आगे हाथ, लाैटाए पैसे और कार, भावुक हो गए समधी
शादी के अवसर पर लड़की वालों की तरफ से वर पक्ष को मुंहमांगी सामग्री और धन देने की कुप्रथा को हम दहेज प्रथा के रूप में जानते हैं, जो हमारे आधुनिक समाज में एक अभिशाप ही है। यह प्रथा प्राचीन काल से ही चली आ रही है लेकिन अब समय आ चुका है कि इसे समाप्त किया जाए। दहेज प्रथा के खिलाफ बहुत से कड़े कानून बनाए गए हों, परंतु इसके बावजूद भी कई लालची लोग ऐसे हैं जो अपनी हरकतों से बाज नहीं आते। आज भी दहेज के लोभी लड़कियों के अरमानों पर पानी फेर रहे हैं।
हम सभी लोग अक्सर दहेज से जुड़ी हुई कई खबरें देखते और सुनते रहते हैं। दहेज के लिए लड़कियों को बहुत कुछ सहना पड़ता है। अक्सर ऐसे कई मामले भी सामने आ चुके हैं जिसमें लड़कियों की बारात मंडप से ही लौट जाती है। इसी बीच राजस्थान से एक मामला सामने आया है, जहां पर एक दूल्हे के पिता ने अपने बेटे को रुपए के तराजू में तौलने के लिए दुल्हन के पिता को मना कर दिया।
जी हां, पिता ने बेटे की सगाई के समय समाज के सामने अनोखी मिसाल पेश की है। उन्होंने रिश्तेदारों और गांव वालों के सामने लड़की के पिता से दहेज लेने से इनकार कर दिया। दूल्हे के पिता ने बड़ी विनम्रता के साथ दुल्हन के पिता की ओर से दिए जा रहे नगदी और कार को वापस लौटा कर मिसाल कायम की है।
लड़के के पिता ने दहेज लेने से किया मना
दरअसल, आज हम आपको जिस मामले के बारे में बता रहे हैं यह कोटा जिले के पीपल्दा कस्बे से सामने आया है। यहां पर 13 दिसंबर को रिटायर्ड व्याख्याता सत्य भास्कर सिंह के बेटे गुरुदीप की सगाई थी। उनके समधी कान सिंह सिकरवार अपने रिश्तेदारों के साथ बेटी की सगाई करने पीपल्दा पहुंचे थे। सगाई के कार्यक्रम में गांव के लोग और रिश्तेदार उपस्थित थे। इस दौरान जब लड़की के पिता कान सिंह ने जैसे ही 1 लाख 51 हजार से दमाद का तिलक करना चाहा, तो सत्य भास्कर खड़े हो गए और लड़की के पिता का हाथ पकड़ लिया और हाथ जोड़ते हुए पैसे लेने से मना कर दिया। उन्हें सूचना लगी की लड़की वाले कार भी लाए है। उन्होंने हाथ जोड़कर कार व 1 लाख 51 हजार रूपए लेने से साफ मना कर दिया।
मेहमानों के आगे हाथ जोड़कर खड़े रहे दूल्हे के पिता
जब उन्होंने मना कर दिया तो वहां पर जो भी लोग मौजूद थे, वह काफी हैरान रह गए। सत्य भास्कर ने शगुन के तौर पर 1 हजार 1 रुपये से तिलक की रस्म पूरी करने का अनुरोध किया। वह कुछ देर तक हाथ जोड़कर खड़े रहे, फिर लड़की के पिता हाथ पकड़ कर दूर ले गए। इस दौरान कार्यक्रम में जो भी लोग मौजूद थे, उन्होंने सामाजिक प्रतिष्ठा की बात कहते हुए उनसे पैसे लेने के लिए भी कहा परंतु सत्य भास्कर इसके लिए राजी नहीं हुए।
उन्होंने कहा कि आन शान करनी है तो खुद की कमाई से करनी चाहिए। दहेज एक कर्जा है। इसे आगे चुकाना पड़ता है। इस जन्म में नहीं तो अगले जन्म में चुकाना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि बेटे गुरुदीप की सगाई में समधी जी कार व 1 लाख 51 हजार से तिलक की रस्म करना चाहते थे। उनसे हाथ जोड़कर ऐसा नहीं करने का अनुरोध किया था। जिसे उन्होंने स्वीकार किया।
सत्य भास्कर सिंह बोले रिश्तेदारी बनाने की कोशिश की है
सत्य भास्कर ने कहा कि समाज में सम्मान व प्रतिष्ठा के लिए दहेज लेना व देना स्टेटस बना रखा है। इसे समाज में कॉन्पिटिशन बढ़ता है। माता-पिता दुखी होते हैं। जैसे तैसे कर्ज लेकर बच्चों की शादी करते हैं। महंगाई के दौर में लोगों की आर्थिक क्षमता कम हुई है। ऐसे में कर्ज लेकर शादी करने वाले परिवार जिंदगी भर कर्ज के बोझ तले दबे रहते हैं। यह प्रथा बंद होनी चाहिए। मेरी भी तीन बेटियां हैं। मैंने दहेज प्रथा को खत्म करने का छोटा सा प्रयास किया है। दहेज नहीं लेकर रिश्तेदारी बनाने की कोशिश की।
बेटी के पिता समधी के व्यवहार के हुए कायल
कोटा के रहने वाले सत्य भास्कर के समधी कान सिंह सिकरवार का एक बेटा और एक बेटी है। दोनों बीटेक की पढ़ाई कर रहे हैं। 13 दिसंबर को बेटी प्रियंका की सगाई करने रिश्तेदारों के साथ पीपल्दा गए थे। कान सिंह सिकरवार ने कहा समाज में इज्जत रखने के लिए देना पड़ता है। मुझे लगा नहीं देने पर समाज में इज्जत कम होगी इसलिए मैंने देने की कोशिश की लेकिन उन्होंने 1 लाख 51 हजार और कार लेने से मना कर दिया। मैं उनके व्यवहार का कायल हो गया। इससे मेरा दिल भी खुश हो गया। उनको देखकर मेरा भी विचार बदल गया। मैं भी अपने बेटे की शादी में नहीं लूंगा। इससे समाज में अच्छा संदेश जाएगा।