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महज़ 12 साल की उम्र में ही क्रिकेट के लिए छोड़ दिया था घर, भूखे सोकर बिताई कई रातें लेकिन अब है भारत का चमकता सितारा

यदि कोई इंसान सच्चे दिल से किसी सपने को पूरा करने की ठान लेता है तो दुनिया की कोई ताकत भी उससे उसकी मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकती है. आए दिन हमारे सामने कई तरह के उदाहरण देखने को मिल ही जाते हैं. यहां तक कि हमारी फिल्मी दुनिया यानी कि बॉलीवुड और क्रिकेट जगत के भी कईं जांबाज सितारे है जो कि अपने लंबे संघर्ष के चलते कामयाब हुए हैं. आज के इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसे ही धुरंधर से रूबरू करवाने जा रहे हैं जिसे आज देश का हर बच्चा बच्चा जानने लगा है. यह क्रिकेट सितारा कोई और नहीं बल्कि ईशान किशन है जो कि अंतरराष्ट्रीय डेब्यू में शानदार प्रदर्शन के लिए इन दिनों हर किसी का दिल जीत रहा है. बता दें कि मूल रूप से ईशान किशन बिहार के रहने वाले हैं लेकिन आईपीएल के दौरान में मुंबई इंडियंस के लिए खेलते हैं. वनडे और टी-20 में उनके शानदार प्रदर्शन के चलते हैं उन्हें टीम इंडिया में जगह मिली थी. इंग्लैंड के खिलाफ हुए मैच में 175 के स्ट्राइक रेट से ईशान किशन ने 56 रन बनाए थे इसके अलावा उन्हें मैन ऑफ द मैच की ट्रॉफी भी मिली थी.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मौजूदा आईपीएल सीजन के दौरान ईशान किशन को सबसे महंगे खिलाड़ी के तौर पर जाना जा रहा है क्योंकि मुंबई इंडियंस ने इस बार उनकी बोली 15.25 करोड़ रुपये की लगाई है. यानी आईपीएल के इतिहास में ऐसा पहली बार होने वाला है जब किसी खिलाड़ी को 10 करोड़ से अधिक बोली लगाई गई है. पिछले सीजन के मुकाबले देखा जाए तो इस बार शाम को 9 करोड रुपए अधिक दिए जा रहे हैं ऐसे में यह आईपीएल में किसी भी टीम द्वारा चुने जाने वाले ऐसे दूसरे सबसे महंगे खिलाड़ी बने हैं जिंदगी इतनी बड़ी बोली लगाई गई है हालांकि इससे पहले यह खिताब 2015 में युवराज सिंह के नाम हुआ था जब उनके नाम की 16 करोड रुपए की बोली लगाई गई थी.

क्रिकेट के लिए छोड़ दिया था घर- बार

ईशान किशन का जन्म 18 जुलाई 1998 को पटना बिहार में हुआ था. आज बेशक ही वह सबसे लोकप्रिय क्रिकेटर बन चुके हैं लेकिन उनकी जिंदगी हमेशा से इतनी आसान नहीं रही है क्योंकि उन्हें कड़ा संघर्ष करना पड़ा है यहां तक कि उन्हें क्रिकेट के जज्बे के चलते अपना घर परिवार तक छोड़ना पड़ा था. जब 12 साल के थे तो उन्होंने पटना को छोड़कर रांची में बसने का निर्णय कर लिया था क्योंकि ईशान के कोच ने उन्हें शहर छोड़ने की सलाह दी थी ताकि वह उच्च स्तर पर खेलने के लिए रेडी हो सके. इसके अलावा ईशान की मां उनको दूर भेजने के लिए तैयार भी नहीं थी लेकिन ईशान के क्रिकेट को लेकर जज्बे और उनकी जिद्द ने आखिरकार उनके परिवार को राजी कर ही दिया था और अंत में वह रांची चले गए.

स्कूल से निकाले जाना

क्रिकेट की दीवानगी ईशान किशन के सर पर इस कदर सवार थे कि उन्हें एक बार स्कूल तक से निकाल दिया गया था क्योंकि वह क्लास के दौरान भी अपने सभी पुस्तकों पर क्रिकेट के चित्र बनाते रहते थे. वह 7 साल की उम्र में ही उन्होंने स्कूल के लिए क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था अलीगढ़ के एक स्कूल वर्ल्ड कप में अपने स्कूल की टीम का नेतृत्व किया था. उनके दोस्त उन्हें ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ देखने के बाद ‘डेफिनेट’ नाम से पुकारते थे. बता देगी ईशान किशन के भाई भी क्रिकेट में खासी रूचि रखते थे लेकिन उन्होंने अपने भाई की खुशी के चलते अपना सपना त्याग दिया था क्योंकि कहीं ना कहीं उन्हें यह पता था कि उनका भाई उनसे भी बेहतरीन खिलाड़ी बन सकता है.

दिल्ली के खिलाफ 273 रन बनाना

ईशान किशन ने तब सबसे पहले लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर लिया था जब साल 2016-17 में रणजी में दिल्ली के खिलाफ उन्होंने 273 रन बनाकर नया इतिहास रचा था गौरतलब है कि झारखंड के किसी खिलाड़ी का रणजी ट्रॉफी में यह सबसे सर्वोच्च स्कोर रहा है. उन्होंने 2018 में विजय हजारे ट्रॉफी में भी बेहतरीन पारी खेलकर 9 मैचों में 405 रन बनाए थे.

विश्व कप में भारत का नेतृत्व

ईशान किशन असल में बाएं हाथ के बल्लेबाज है. उन्होंने साल 2016 में अंडर-19 विश्व कप के लिए भारतीय टीम का नेतृत्व किया था जिस दौरान भारत उपविजेता भी साबित हुए थे. वह ना केवल एक अच्छे बल्लेबाज बल्कि एक बेहतरीन विकेटकीपर भी है. आईपीएल की बात की जाए तो सबसे पहले गुजरात लायंस ने उन्हें 2016 में खरीदा था जिसके बाद 2018 में मुंबई इंडियंस ने 5.5 करोड़ रुपए में अपनी टीम में शामिल किया था. साल 2018 के दौरान ईशान ने 14 मैच खेले जबकि 2019 में 7 मैच खेले जिनमें उनकी 16.34 औसत में उन्होंने 101 रन बनाए.

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