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M.Sc करने के बाद भी स्वीपर का काम करने को मजबूर थी महिला, मेहनत का मिला फल, अब बनी सहायक कीटविज्ञानी

ऐसा कहा जाता है कि अगर इंसान के अंदर कुछ कर गुजरने की चाहत हों और लगातार मेहनत करे तो वह जिस चीज की तमन्ना रखता है वह उसे हासिल कर सकता है। भले ही इंसान को मेहनत का फल मिलने में थोड़ी देरी हो सकती है परंतु मेहनत का फल एक ना एक दिन जरूर मिलता है परंतु जीत उसी की होती है जो सब्र रखता है और जी तोड़ मेहनत करता रहता है। इसी बीच आज हम आपको हैदराबाद की रहने वाली ए. रजनी की सच्ची दास्तां के बारे में बताने वाले हैं।

आपको बता दें कि हैदराबाद की रहने वाली ए. रजनी ने कठिन मेहनत की और सफलता भी हासिल करने में कामयाब रहीं। रजनी साइंस में पोस्ट ग्रैजुएट डिग्री होल्डर होने के बाद भी वह स्वीपर के तौर पर काम करने को मजबूर थी। लेकिन कहा जाता है ना कि इंसान अगर मेहनत करें तो वह अपने मुकाम को हासिल कर ही लेता है। रजनी भी लगातार मेहनत करती रहीं और आखिर में उनकी मेहनत रंग लाई।

आपको बता दें कि रजनी की एजुकेशन को देखते हुए तेलंगाना नगर प्रशासन मंत्री के. टी. रामाराव ने सोमवार को उन्हें ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) में आउटसोर्सिंग के आधार पर सहायक कीट विज्ञानी की नौकरी ऑफर की है। रजनी ने ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएशन की है परंतु मजबूरी के चलते उनको स्वीपर का काम करना पड़ा था। उनके पास बेहतर नौकरी पाने के लिए संसाधन भी मौजूद नहीं थे।

आपको बता दें कि अर्बन डेवलपमेंट स्पेशल चीफ सेक्रेटरी, अरविंद कुमार, जो रजनी को मंत्री के पास ले गए थे उन्होंने महिला को ऑफर की गई नौकरी का खुलासा किया है। उन्होंने इसको लेकर ट्वीट भी किया है। उनके अनुसार, रजनी के डाक्यूमेंट्स को वेरीफाई करने के बाद नौकरी के आदेश जारी हो चुके हैं। आपको बता दें कि रजनी दो बेटियों की मां हैं। वह जीएचएमसी में कॉन्ट्रैक्ट स्वीपर के रूप में कार्य करती थीं परंतु अब उन्हें नई नौकरी का ऑफर लेटर मिल गया है।

आपको बता दें कि रजनी वरंगल जिले की रहने वाली हैं। उनका जन्म खेतिहर मजदूरों के परिवार में हुआ था। बचपन से ही उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। आर्थिक समस्याएं होने के बावजूद भी उनके माता-पिता के सहयोग से उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। किसी तरह माता-पिता ने उनको पढ़ाया। 2013 में फर्स्ट ग्रेड के साथ एमएससी (ऑर्गेनिक केमिस्ट्री) पास की।

उन्होंने हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लिए उन्होंने पीएचडी भी क्वालीफाई कर लिया था। उसके बाद उनकी शादी हो गई और वह हैदराबाद शिफ्ट हो गईं। रजनी दो बच्चों की मां बन गई थीं परंतु नौकरी पाने के लिए उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होना नहीं छोड़ा था। वहीं रजनी के पति कार्डियक समस्या की वजह से बिस्तर पर पड़े रहे। जिसकी वजह से परिवार पर आर्थिक संकट खड़ा हो गया था।

सास समेत पांच बच्चों के परिवार को चलाने के लिए रजनी ने सब्जी भी बेचा परंतु इस काम से वह इतना पैसा नहीं कमा पा रही थीं कि जिससे घर का गुजारा चल सके। इसलिए उन्होंने ₹10000 के वेतन पर जीएचएमसी में कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर स्वीपर की नौकरी कर ली। वह लगातार अपने काम को लेकर मेहनत करती रहीं। उनकी लगन और शिक्षा को ध्यान में रखते हुए रजनी को यह पोस्ट दी गई है।

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