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पिता की मृत्यु के बाद मां ने मजदूरी कर पढ़ाया, मिट्टी के घर में रहे, कड़ी मेहनत से IAS बना बेटा

कामयाबी एक ऐसी चीज है जिसका स्वाद हर कोई चखना चाहता है परंतु सभी लोगों को कामयाबी नहीं मिल पाती है। इस दुनिया में बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपने जीवन में सफलता हासिल करने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं परंतु सभी लोगों को सफलता नहीं मिलती है। दरअसल, सफलता पाना इतना आसान नहीं है। सफलता के मार्ग में बहुत सी परेशानियां उत्पन्न होती हैं। जो व्यक्ति उन परेशानियों को पार करते हुए निरंतर प्रयास करता है उसको एक ना एक दिन अपनी मंजिल जरूर मिलती है।

वहीं जो लोग अपने जीवन की परिस्थितियों के आगे हार मान जाते हैं वह अपने जीवन में सफल नहीं हो पाते हैं। अगर इंसान के अंदर कुछ कर गुजर जाने की शक्ति है तो बस कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है और इसके साथ ही धैर्य रखना होता है। मेहनत और धैर्य से ही इंसान अपने जीवन में एक कामयाब इंसान बन सकता है। आज हम आपको IAS अफसर अरविंद कुमार मीणा की कहानी बताने जा रहे हैं। अगर आप इनके जज्बे और हौसले की कहानी जानेंगे तो आप भी सलाम करेंगे।

आपको बता दें कि IAS अफसर अरविंद कुमार मीणा ने बहुत कम उम्र में ही बहुत सी कठिनाइयां देखी हैं परंतु उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी और अपनी मंजिल पाने के लिए वह निरंतर प्रयास करते रहे। अरविंद कुमार मीणा का जन्म राजस्थान जिला दौसा, सिकराया उपखंड क्षेत्र के नाहरखोहरा गांव के एक बेहद परिवार में हुआ था। जब अरविंद कुमार मीणा की उम्र 12 वर्ष की थी तब उनके पिता की अचानक ही मृत्यु हो गई थी। पहले से ही उनका परिवार बहुत ज्यादा गरीबी में था परंतु पिता की मृत्यु के बाद परिवार के ऊपर मुश्किलें और ज्यादा बढ़ गई थीं।

अगर किसी परिवार का मुख्य सदस्य इस दुनिया को छोड़ कर चला जाता है तो उस परिवार पर क्या गुजरती है, यह उससे ज्यादा और कोई नहीं जान सकता। जब अरविंद कुमार मीणा के पिताजी इस दुनिया को छोड़ कर चले गए तब बाद में उनकी मां ने बेटों की जिम्मेदारी संभाली। यह परिवार बेहद गरीब था, जिसकी वजह से यह परिवार BPL श्रेणी में आ गया। अरविंद कुमार मीणा की माँ ने खूब मेहनत की, मजदूरी करके अपने बेटों को पढ़ाया। मिट्टी के घर में रहकर अरविंद कुमार मीणा ने स्कूल, कॉलेज की पढ़ाई पूरी की थी।

ऐसा कहा जाता है ना कि अगर इंसान के जीवन में मुश्किल आती है तो इंसान पूरी तरह से टूट जाता है। मुश्किल परिस्थितियों में खुद को समेट कर आगे बढ़ना बहुत मुश्किल हो जाता है। कुछ ऐसा भी अरविंद कुमार मीणा के साथ भी हुआ था। जब उन्होंने अपने घर की माली हालत देखी तो वह पूरी तरह से टूट गए थे। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने तो अपनी पढ़ाई-लिखाई छोड़ने का भी पूरी तरह से मन बना लिया था परंतु हर कदम पर उनकी मां ने अपने बच्चों का हौसला बढ़ाया और उनको हिम्मत देतीं रहीं। मां के साथ में अरविंद कुमार को शक्ति दी और उन्होंने दोबारा मेहनत शुरू कर दी।

अरविंद कुमार मीणा जी जान से मेहनत में जुट गए और आखिर में उनके द्वारा की गई मेहनत रंग लाई। अरविंद कुमार मीणा का चयन सशस्त्र सीमा बल में सहायक कमांडेंट पोस्ट पर हो गया। सेना में नौकरी करने के साथ ही अरविंद कुमार मीणा यूपीएससी की तैयारी करते रहे और आखिर में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी और देश भर में 676वां रैंक और SC वर्ग में 12वां स्थान उन्होंने प्राप्त किया। इस प्रकार से मिट्टी के घर मे रहकर मां के बेटे ने कमाल कर दिखाया।

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