कभी रोजी-रोटी के लिए मेले में लगाई रेहड़ी, आज उसी में चीफ गेस्ट बनकर पहुंचे IAS इशांत जसवाल, देखें तस्वीरें
जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं। हर किसी का जीवन एक समान नहीं रहता है। कभी जीवन में दुख आते हैं, तो कभी सुख आते हैं। हर किसी व्यक्ति की जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। हर कोई इंसान चाहता है कि वह अपने जीवन में खूब नाम कमाए और सफलता हासिल करे। लेकिन सोचने से ही कुछ नहीं होता है। अगर आपको अपने जीवन में कामयाब होना है तो इसके लिए कठिन मेहनत और संघर्ष की जरूरत है।
अगर आप अपने जीवन की हर कठिनाई को पार करते हुए लगातार मेहनत करते रहेंगे तो आपको एक ना एक दिन कामयाबी जरूर मिलेगी। आज हम आपको एक ऐसे युवक के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कभी रोजी-रोटी के लिए मेले में रेहड़ी लगाता था लेकिन आईएएस बनने के बाद आज उसी मेले में युवक चीफ गेस्ट के रुप में पहुंचा।
जी हां, आज हम आपको जिस युवक के बारे में बता रहे हैं वह आईएएस इशांत जसवाल हैं। 2014-18 बैच के एनआईटी हमीरपुर के मैकेनिकल इंजीनियर आईएएस जसवाल के पिता का नाम होशियार सिंह है, जो पूर्व सैनिक हैं। वहीं उनकी माता जी अंजना गृहिणी हैं। इसके अलावा उनकी एक बड़ी बहन है, जो कि शादीशुदा है। कभी इशांत जसवाल रोजी-रोटी के लिए मेले में रेहड़ी लगाते थे और सामान बेचते थे। आज उसी मेले में आईएएस बनने के बाद चीफ गेस्ट के रुप में पहुंचे और मेले का आगाज किया।
दरअसल, यह मामला हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर का है। घुमारवीं जिला स्तरीय ग्रीष्मोत्सव महोत्सव का मंगलवार को आगाज हुआ। इस मेले का उद्घाटन आईएएस इशांत जसवाल के द्वारा किया गया। बता दें कि इशांत जसवाल ने साल 2021 में यूपीएससी की परीक्षा में 80वां रैंक हासिल किया था और आईएएस बने। बिलासपुर के घुमारवीं की ग्राम पंचायत पड़यालग के रहने वाले इशांत जसवाल के पिता पूर्व सैनिक रहे हैं। अपने माता-पिता का सपना साकार करने के लिए उन्होंने दिल्ली में अच्छी खासी नौकरी छोड़ दी थी और यूपीएससी की तैयारी में जुट गए थे।
इशांत जसवाल ने साथ के ही लगते गांव के सरकारी स्कूल प्राथमिक विद्यालय बाड़ी छज्जोली से अपनी शुरुआती पढ़ाई की। इसके बाद घुमारवीं के निजी हिम सर्वोदय सीनियर सेकेंडरी स्कूल से 2014 में 12वीं की। इसके बाद 2014-2018 में एनआईटी हमीरपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। जिसके बाद इशांत जसवाल का प्लेसमेंट 2018-19 में दिल्ली एनसीआर की एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी तेल और गैस कंपनी में हुआ था।
इशांत जसवाल को अपने माता-पिता के सपनों को साकार करना था, जिसके चलते उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गए। इशांत जसवाल ने अपने पहले ही प्रयास में 80वीं रैंक हासिल की और सबसे बड़ी खास बात यह है कि महज 9 महीने दिल्ली में उन्होंने कोचिंग ली थी।
कोरोना महामारी की वजह से जब लॉकडाउन लग गया, तो उसके बाद भी वह लगातार घर में ही पढ़ाई करते रहे और अपनी कड़ी मेहनत से उन्होंने अपने माता-पिता के सपने को पूरा कर दिया।
आईएएस इशांत जसवाल ने कहा कि कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस मेले में रोजी-रोटी कमाने के लिए रेहड़ी लगाया करता था। एक दिन उसी मेले में बतौर मुख्यातिथि शिरकत करूंगा। यह सब घुमारवीं विधायक राजेश धर्माणी की पहल के कारण ही संभव हो पाया है। उन्होंने मुझे ग्रीष्मोत्सव घुमारवीं में मुख्य अतिथि बनने का मौका दिया। इसके लिए मैं उनका आभारी हूं।