गरीबी भी नहीं रोक पाई वरुण बरनवाल का रास्ता, पंचर की दुकान पर काम कर की पढ़ाई, मेहनत से बने IAS
“सफलता” यह एक ऐसा शब्द है, जिसको पाना तो हर कोई चाहता है परंतु सभी को नहीं मिलती है। दरअसल, हर सफलता के पीछे संघर्ष की एक कहानी होती है। किस्मत भी उसी इंसान का साथ देती है, जो चुनौतियों से संघर्ष करने की हिम्मत रखता है। इस दुनिया में हर कोई सफलता पाने की चाहत में दिन-रात कठिन मेहनत करता है परंतु ज्यादातर लोग सफलता के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों के आगे हार मान जाते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो तमाम कठिनाइयों को पार करते हुए सफलता हासिल करते हैं।
आज हम आपको इस लेख के माध्यम से एक ऐसे शख्स के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जिनकी कहानी भले ही पुरानी हो सकती है, परंतु आज उन्होंने जो मुकाम हासिल किया है, उसके पीछे उनके द्वारा किया गया कड़ा संघर्ष है। उनकी सफलता की कहानी हर युवा में कुछ कर गुजरने का जोश पैदा कर देगी।
आज हम आपको आईएएस ऑफिसर वरुण बरनवाल की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने 2013 में यूपीएससी की परीक्षा में 32वां स्थान प्राप्त किया था। वरुण की जिंदगी में भी कई परेशानियां आईं परंतु उन्होंने किसी के सामने भी हार नहीं मानी। हर परेशानी का उन्होंने डटकर मुकाबला किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि हर समस्या का समाधान मिलता चला गया और आज वह आईएएस अधिकारी के पद पर तैनात हैं।
आपको बता दें कि वरुण बरनवाल महाराष्ट्र के एक छोटे से शहर बोइसार के रहने वाले हैं। वरुण का जन्म एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था। वरुण बरनवाल बचपन से ही खूब पढ़ना लिखना चाहते थे परंतु गरीबी के कारण उनको पढ़ाई में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा। पैसों की कमी और बिना किसी सुविधा के अपनी पढ़ाई जारी रखना उनके लिए काफी मुश्किल हो गया था। पैसों की कमी के वजह से उनके लिए यह सब इतना आसान नहीं था परंतु ऐसे में भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पढ़ाई जारी रखने के लिए उन्होंने साइकिल के पंचर की दुकान पर काम तक किया।
वरुण बरनवाल धीरे-धीरे आगे बढ़ते रहें परंतु इसी बीच उनके पिताजी का निधन हो गया, जिसकी वजह से उनके जीवन की परेशानियां और अधिक बढ़ गईं। पिता के गुजर जाने के बाद वरुण को काफी धक्का लगा था। तब उन्होंने यह तय कर लिया था कि वह अपनी पढ़ाई छोड़ देंगे, परंतु जब उनका दसवीं का रिजल्ट आया और उन्होंने देखा की स्कूल में उन्होंने टॉप किया तो वरुण की प्रतिभा को देखकर जहां एक तरफ सभी ने उनकी तारीफ की। वहीं उनके घरवालों ने भी तय किया कि वह कुछ भी करेंगे, मगर वरुण की पढ़ाई नहीं रुकने देंगे।
आपको बता दें कि वरुण के पापा का इलाज करने वाले डॉक्टर साहब को जब पता चला तो वह भी उनकी सहायता के लिए तुरंत सामने आ गए और पढ़ाई के लिए दस हजार की आर्थिक सहायता भी की। इसी तरह से कोई न कोई वरुण की सहायता करता रहा और वह मेहनत करके आगे बढ़ते गए।
वरुण बरनवाल ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि वह किस्मत वाले हैं। उन्होंने कभी एक रूपए भी अपनी पढ़ाई पर खर्च नहीं किया। किसी ने उनके लिए किताबें खरीदी, तो किसी ने स्कूल की फीस भर दी तो किसी ने फॉर्म भरने के लिए पैसे दे दिए। अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद वरुण के पास नौकरी करने का भी अच्छा मौका था परंतु उन्होंने खुद को सिविल सर्विस के लिए तैयार किया और साल 2013 में हुई यूपीएससी की परीक्षा में 32वां रैंक हासिल कर अपने सपने को पूरा कर लिया।