IAS बनने के लिए इस महिला ने उठाया अनोखा कदम, ढाई वर्षीय बच्चे को घर पर छोड़ कर पहुंची दिल्ली
कई लड़कियाँ ऐसी होती हैं जो शादी के पहले और बाद भी अपने सपने को पूरा करने का दृढ़ निश्चय करती हैं. इसके लिए उन्हें कितनी मेहनत क्यों न करनी पड़े और कितना भी बलिदान क्यों ना देना पड़े और उसके बाद वह समाज के लोगों के लिए एक प्रेरणा बनती हैं. आज भी हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने अपने ढाई साल के बच्चे को अपने परिवार के पास छोड़ UPSC परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली आई और कड़ी मेहनत के बाद अपने पहले ही प्रयास में 90वां रैंक प्राप्त कर इस परीक्षा में सफलता हासिल की और IAS अधिकारी बनी.
दरअसल यह महिला डॉ अनूपमा है जिनका जन्म पटना में हुआ, उन्होंने अपने शुरुआती शिक्षा पटना से पूरी की. इनके पिता एक रिटायर्ड एमआर हैं और उनकी माँ आंगनवाड़ी में काम करती हैं बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रहने वाली अनूपमा अपने 12वीं की परीक्षा के बाद MBBS का एंट्रेंस एग्जाम दिया और पहली ही बार में उसमें सफलता हुई इसके बाद उन्होंने एम एस की प्रवेश परीक्षा दी और उत्तीर्ण होने के बाद उन्होंने बीएचयू (BHU) से मास्टर ऑफ सर्जरी यानी (MS) की डिग्री की उसके बाद एक सरकारी अस्पताल में एसआरसीप करने लग गई इसी दौरान उनकी शादी भी हुई और कुछ समय बाद उनके बेटे का जन्म हुआ.
हालाँकि डॉक्टर बनने के बाद अनुपमा ने सरकारी अस्पताल में ग्राउंड लेवल पर बहुत सारी कमियाँ देखी जिसका समाधान करना उन्हें बहुत मुश्किल लगा तब उन्होंने सोचा की स्वास्थ्य क्षेत्र में बहुत ज़्यादा बदलाव की ज़रूरत है. अनूपमा एक डॉक्टर होने के नाते मरीजों को तो देख रही थी लेकिन कहीं ना कहीं उनका दिमाग़ सरकारी व्यवस्था की तरफ़ था. तब उन्हें लगा कि उन्हें सिविल सर्विस का रुख करना चाहिए.
फिर उन्होंने 1 साल के लिए दिल्ली जाकर तैयारी करने की सोची और वहाँ जाकर कोचिंग में दाखिल हुई वह दिल्ली तो चली गई लेकिन हर वक़्त उनका मन अपने बच्चे में ही लगा रहता था और वह अपने बच्चे के लिये दिन-रात रोती कई बार तो उन्होंने दिल्ली छोड़ वापस आने का फ़ैसला किया. लेकिन तब उनके पति और उनके ननद ने उन्हें समझाया और उन्हें अपने लक्ष्य पर फोकस करने के लिए बोला.
वहीं अनूपमा ने पढ़ाई के लिए एक नियम बना लिया कि 1 दिन में उन्हें अपना एक टाॅपिक ख़त्म कर लेना है उसके बाद ही वह अपने बेटे से बात करेंगी. इस तरह उन्होंने अपने लिए पूरी तरह से नियम और अनुशासन बना रखा था तैयारी के दौरान हर ढाई महीने पर वह अपने घर आती थी. उन्होंने यह भी तय कर रखा था कि उन्हें अपने पहले ही प्रयास में सफलता हासिल करनी होगी उनकी यह मेहनत उनका प्रयास ने रंग भी दिखाया और 2019 में उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में परीक्षा पास की.
90वें रैंक के साथ सफलता प्राप्त की
दरअसल अनूपमा ने कहा कि अगर आप अपने लक्ष्य को पूरा करने का सपना देखते हैं तो उसे ज़रूर पूरा करें बस इसके लिए आप में हिम्मत और धैर्य हो और इसके साथ ही ख़ुद पर विश्वास भी. इस तरह अनूपमा का यह साहसी कदम, जिसमें उन्होंने अपने पूरे परिवार अपने इतने छोटे बच्चे को छोड़कर तैयारी की. वाकई उनका यह क़दम सराहनीय है और इससे पूरे देश के लोगों को प्रेरणा मिलती है.