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सरकार का बड़ा फैसला, सेमीकंडक्टर चिप का सप्लायर बनेगा भारत, 76000 करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान

भारत सरकार के द्वारा समय-समय पर ऐसे बहुत से कदम उठाए जाते हैं, जिससे हमारा देश तरक्की की दिशा में आगे बढ़े। सरकार भी लगातार देश की तरक्की की दिशा में बहुत से कार्य कर रही है। इसी बीच अब सरकार ने जो बड़ा फैसला लिया है उससे भारत ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स हब बनने की दिशा में है। जी हां, केंद्र सरकार के द्वारा एक बड़ा ऐलान किया गया है। देश को ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्शन हब के रूप में स्थापित करने के लिए सरकार योजना लाई है।

बता दें कि कोरोना वायरस की वजह से देश भर में लॉक डाउन लगाया गया था। इस दौरान दुनिया भर में सेमीकंडक्टर्स की किल्लत हो गई थी, जिसकी वजह से कई इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस निर्माता कंपनियों के प्रोडक्शन पर भारी प्रभाव पड़ा था। बुधवार के दिन प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह बताया कि भारत ने सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरर्स को आकर्षित करने के लिए 10 बिलियन डॉलर (लगभग 76090 करोड़ रुपए) की प्रोत्साहन राशि का ऐलान किया है।

सरकार का ऐसा कहना है कि इस योजना के तहत वह डिस्प्ले और सेमीकंडक्टर के फैब्रिकेटर्स को उनकी प्रोजेक्ट लागत का 50 फ़ीसदी तक वित्तीय सहायता प्रदान करने वाली है। बता दें कि अगर भारत ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्शन हब बन जाता है तो ऐसी स्थिति में यहां पर स्मार्टफोन समेत बहुत से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बहुत सस्ते हो जाएंगे। सरकार के द्वारा जो यह कदम उठाया जा रहा है, इससे भारतीयों के लिए बड़ा फायदा होने वाला है।

एक सरकारी सूत्र ने रॉयटर को बताया है कि इस्राइल की टॉवर सेमीकंडक्टर, ताइवान की फॉक्सकॉन और सिंगापुर की एक कंपनी ने भारत में चिप फैक्ट्री लगाने में अपनी रुचि दिखाई है। वहीं वेदांता समूह एक डिस्प्ले प्लांट स्थापित करना चाहता था। हालांकि, टॉवर, फॉक्सकॉन और वेदांता से इस पर जवाब भी मांगा गया, परंतु अभी तक कोई भी जवाब सामने नहीं आया है।

सरकार के द्वारा यह कहा गया है कि यह प्रोग्राम सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग के साथ-साथ डिजाइन में भी कंपनियों को विश्व स्तर पर प्रोत्साहन पैकेज देकर इलेक्ट्रॉनिक्स के निर्माण में एक नए युग की शुरुआत करेगा। यह योजना ऐसे समय आई है जब वाशिंगटन और बीजिंग के बीच चल रहे ट्रेंड वॉर की वजह से कुछ कंपनियां अपने मैन्युफैक्चरिंग बेस को बाकी देशों में भी लगाने के प्रयास में जुटी हुई हैं।

सरकार के द्वारा सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने की यह योजना ऐसे समय पर लाई गई है, जब दुनिया भर की गाड़ी और टेक कंपनियां चिप की कमी का सामना कर रही हैं। इंटीग्रेटेड सर्किट और चिपसेट डिजाइन पर कार्य कर रही 100 स्थानीय फर्मों को सपोर्ट देने के लिए भी सरकार के द्वारा एक प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दे दी गई है। वहीं मंत्री अश्विनी वैष्णव का ऐसा बताना है कि ये योजना पूरे सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को सहायता करेगी।

सरकार की तरफ से यह भी कहा गया है कि उसे उम्मीद है कि इस योजना से लगभग 35000 हाई क्वालिटी पोजीशन, 1 लाख इन डायरेक्ट नौकरी क्रिएट होंगी और 1 लाख 67 हजार करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित होगा। सरकार के द्वारा घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने के लिए दुनिया में कुछ सबसे बड़े इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर्स को आकर्षित करने के लिए 30 बिलीयन डॉलर (लगभग 228280 करोड रुपए) के प्रोत्साहन की पेशकश की गई है। इसने भारत को चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन मेकर बनाने में सहायता की है और फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन से निवेश कमिटमेंट को जीतने में सहायता की है। बता दें कि यह तीनों कंपनियां ऐपल के लिए पार्ट्स बनाने का कार्य करते हैं।

 

 

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