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कोरोना काल में मिसाल है ये पुलिसकर्मी, झुग्गी के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देकर संवार रहा है जिंदगी

शिक्षा सभी के लिए बेहद जरूरी है। शिक्षा के बिना जीवन अधूरा होता है। अगर व्यक्ति शिक्षित होगा तो वह अपने आसपास की चीजों को ठीक प्रकार से सीख सकता है। शिक्षा से ही व्यक्ति अपने जीवन की समस्याओं को आसानी से समझकर उसका निपटारा कर सकता है। प्रत्येक बच्चे को अपनी उचित उम्र में स्कूल जाना चाहिए क्योंकि सभी को जन्म से शिक्षा का समान अधिकार है लेकिन कोरोना महामारी के बीच शिक्षा पर काफी प्रभाव पड़ा है। कोरोना काल में लोगों का काम-धंधा तो बंद हो ही गया है इसके अलावा स्कूल भी बंद हो गए। कोविड-19 महामारी के बीच ऑनलाइन क्लासेज हो रही हैं लेकिन ऐसे बहुत से बच्चे हैं जो ऑनलाइन क्लासेज लेने में सक्षम नहीं हैं। इसी बीच एक पुलिस वाला ऑनलाइन क्लासेज ना ले पाने वाले बच्चों की सहायता के लिए सामने आया है। जी हां, यह पुलिस वाला झुग्गी के बच्चों को शिक्षित कर रहा है।

हम आपको जिस पुलिस वाले की कहानी बताने जा रहे हैं, वह इंदौर में एक पुलिस कॉन्स्टेबल संजय सांवरे हैं, जो झुग्गी में रहने वाले बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं। कोरोना महामारी के बीच यह बच्चे ऑनलाइन क्लासेस लेने में सक्षम नहीं हैं जिसकी वजह से संजय सांवरे ड्यूटी से अलग टाइम निकालकर इन बच्चों को पढ़ाते हैं।

अक्सर देखा गया है कि पुलिस वालों का नाम सुनते ही लोगों के मन में नकारात्मक छवि उभर कर आ जाती है परंतु सभी पुलिसवाले एक जैसे नहीं होते हैं। बहुत से पुलिसवाले ऐसे हैं जो अपनी ड्यूटी के साथ-साथ नेक कार्य कर रहे हैं। उन्हीं पुलिस वालों में से एक पुलिस कांस्टेबल संजय सांवरे हैं। वर्तमान में CSP अन्नपूर्णा में तैनात संजय पिछले 4 सालों से यह नेक काम कर रहे हैं। अब वह इंदौर में लालबाग महल के पास कम से कम 40 बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं।

पुलिस विभाग में कार्यरत संजय सांवरे हर रविवार को गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दे रहे हैं। प्रत्येक रविवार को लालबाग में संजय सांवरे सर जी की क्लास लगती है। जहां पर आसपास की झुग्गियों में रहने वाले गरीब बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। संजय की क्लासेज में शुरू में केवल तीन से चार बच्चे आते थे लेकिन अब उनकी कक्षा में 40 से 50 बच्चे आते हैं और उनके माता-पिता भी अपने बच्चों को भेजते हैं संजय का ऐसा बताना है कि हम रविवार को दोपहर 12:00 बजे से 3:00 बजे तक क्लासेज ले रहे हैं।

संजय का ऐसा बताना है कि उन्होंने 2016 में यहां पर क्लासेज शुरू की थी। वह अपने परिवार की वित्तीय स्थिति से प्रेरित हुए थे। संजय की यही कोशिश है कि जो बच्चे निम्न वर्ग से हैं और शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम नहीं है वह उनको शिक्षित करना चाहते हैं ताकि बचपन में जो हमने दिन देखे हैं वह दिन इन बच्चों को देखना ना पड़े। संजय की एक छोटी सी पहल है जिसका नाम “ऑपरेशन स्माइल” है जिसके तहत जो बच्चे स्कूल नहीं जा सकते हैं उनको शिक्षित करने का प्रयत्न किया जा रहा है।

संजय बच्चों की लगने वाली कॉपी-किताबों का खर्चा खुद उठाते हैं। यह सभी पुलिस अधिकारियों के सहयोग से छात्रों को स्कूल बैग, किताबें, पेंसिल और अन्य स्टेशनरी आइटम भी दे रहे हैं।

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