चंद्रयान-2 के बाद अब इसरो ने लॉन्च किया कार्टोसैट-3, अंतरिक्ष में रहकर रखेगा पाकिस्तान पर नजर
इसरो आजकल अपने कारनामे से काफी चर्चे में बना हुआ है, वहीं ये भी बता दें कि मिशन चंद्रयान के बाद अब एक बार फिर से इसरो ने अपने नए कारनामे से चर्चे में आ गया है। दरअसल आपको बता दें कि इसरो ने एक बार फिर से इतिहास रच दिया है। वहीं इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र के लॉन्च पैड से कार्टोसैट-3 को लॉन्च किया है। ऐसा कर इसरो ने 27 नवंबर की सुबह देश की सुरक्षा और विकास के लिए इतिहास रचा है। अब भारतीय सेनाएं पाकिस्तान की नापाक हरकत और उनकी आतंकी गतिविधियों पर बाज जैसी नजर रख पाएंगी। जरूरत पड़ने पर इस सैटेलाइट की मदद से सर्जिकल या एयर स्ट्राइक भी कर पाएंगी।
जानकारी के लिए बता दें कि इसरो ने 13 अमेरिकी नैनो सैटेलाइट को भी लॉन्च किया है। इस तरह कुल मिलाकर इसरो ने एकसाथ 14 सैटेलाइट का प्रक्षेपण किया है। यह सैन्य जासूसी उपग्रह है। इससे भारत, पाकिस्तान सहित अपने दुश्मन देशों की चप्पे-चप्पे पर निगरानी रखेगा। हालांकि इस बारे में इसरो ने बताया कि इसके साथ 13 छोटे अमेरिकी सेटेलाइट भी है। इस सेटेलाइट के माध्यम से पृथ्वी की छोटी से छोटी गतिविधियों पर नजर रखी जा सकेगी।
इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने सफल लॉन्चिंग के बाद कहा कि मैं बहुत खुश हूं क्योंकि पीएसएलवी-सी47 ने कार्टोसैट-3 और 13 अमेरिकी सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। देश का अब तक सबसे बेहतरीन अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट है। अब हम मार्च तक 13 उपग्रह और छोड़ेंगे। हमारा यह टारगेट है और इसे जरूर पूरा करेंगे।
इसरो ने कार्टोसैट-3 सैटेलाइट को 27 नवंबर को सुबह 9.28 बजे श्रीहरिकोटा द्वीप पर स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्चपैड-2 से लॉन्च किया। कार्टोसैट-3 सैटेलाइट पीएसएलवी-सी47 रॉकेट से छोड़ा गया। कार्टोसैट-3 पृथ्वी से 509 किलोमीटर की ऊंचाई पर चक्कर लगाएगा। यह कार्टोसैट सीरीज का नौवां सैटलाइट है, जिसे चेन्नै से 120 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के सेकंड लॉन्च पैड से लॉन्च किया गया। पीएसएलवी कार्टोसैट-3 को 509 किलोमीटर के पोलर सन-सिन्क्रनस ऑर्बिट में और अमेरिकी सैटलाइट्स को लॉन्च के 27 मिनट बाद ही प्रक्षेपित करेगा।
6 स्ट्रैपऑन्स के साथ यह पीएसएलवी की 21वीं उड़ान थी जबकि, पीएसएलवी रॉकेट की यह 74वीं उड़ान थी। कार्टोसैट-3 के साथ अमेरिका के 13 अन्य नैनो सैटेलाइट भी छोड़े जाएंगे। ये सैटेलाइट्स कॉमर्शियल उपयोग के लिए हैं। कहा जा रहा है कि कार्टोसैट-3 तीसरी पीढ़ी का बेहद चुस्त और उन्नत उपग्रह है जिसमें हाई रेजॉलूशन तस्वीर लेने की क्षमता है। इसका कुल वजन लगभग 1,625 किलोग्राम है। यह सेटेलाइट शहर में नियोजन, ग्रामीण क्षेत्रों में ढांचागत विकास और संसाधनों की मैपिंग, तटवर्ती क्षेत्रों में भू उपयोग इत्यादि कामों में बहुत मददगार होगा। इसरो ने बताया है कि पीएसएलवी-सी47 ‘एक्सएल’ कनफिगरेशन में पीएसएलवी की 21वीं उड़ान है।
कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि संभवतः अभी तक इतनी सटीकता वाला सैटेलाइट कैमरा किसी देश ने लॉन्च नहीं किया है। अमेरिका की निजी स्पेस कंपनी डिजिटल ग्लोब का जियोआई-1 सैटेलाइट 16.14 इंच की ऊंचाई तक की तस्वीरें ले सकता है। बात करें कार्टोसैट-3 के जीवनकाल की तो यह पांच साल का होगा। कार्टोसैट-3 और 13 अन्य नैनो उपग्रहों का लॉन्च गत 22 जुलाई को चंद्रयान-2 के लॉन्च के बाद किया गया।