करवा चौथ सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है। भारत में करवा चौथ विवाहित महिलाओं के द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार है। इस दिन महिलाएं एक दिन का व्रत रखती हैं और अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना करती है। इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं कुछ जगहों पर मान्यता है कि अविवाहित कन्याएं यदि इस व्रत को करती हैं, तो उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है।
करवा चौथ का व्रत देश भर में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। यह व्रत हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस दिन महिलाएं सुबह स्नान आदि के बाद व्रत का संकल्प लेती हैं। दिन में सामूहिक रूप से करवा चौथ की कथा सुनती है और रात्रि में चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत खोलती हैं।
कब है करवा चौथ का व्रत
आपको बता दें कि इस बार करवा चौथ की तिथि को लेकर बड़े कंफ्यूजन है। कुछ लोग 13 तारीख तो कुछ 14 तारीख को करवा चौथ मनाने की बात कर रहे हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस वर्ष कार्तिक कृष्ण चतुर्थी 13 अक्टूबर को रात 1:59 बजे पर शुरू होगी और 14 अक्टूबर को देर रात 3:08 बजे पर समाप्त होगी। उदिया तिथि की वजह से करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर को रखा जाएगा।
करवा चौथ का शुभ मुहूर्त
अगर हम इस साल करवा चौथ पर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त की बात करें तो इस बार कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ के दिन अमृत काल में शाम 4:08 बजे से लेकर शाम 5:50 बजे तक पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रहने वाला है। यानी कि करवा चौथ की पूजा के लिए कुल 1 घंटा 42 मिनट का समय आपको मिलेगा।
इसके अलावा आप सुबह 11:44 बजे से लेकर दोपहर 12:30 बजे तक लग रहे अभिजीत मुहूर्त में भी पूजा कर सकती हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि इस साल करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय रात 8:09 बजे है।
करवा चौथ 2022 पूजन विधि
1. करवा चौथ वाले दिन सुबह के समय जल्दी उठ जाएं और स्नान के पश्चात व्रत का संकल्प लीजिए। सबसे पहले हाथ में गंगाजल लेकर भगवान का ध्यान करें, फिर जल को किसी गमले में डाल दीजिए। इसमें पूरे दिन निर्जला उपवास रखा जाता है।
2. करवा चौथ वाले दिन पीली मिट्टी से माता गौरी का चित्र बनाएं। उन्हें लाल चुनरी, बिंदी, सुहाग सामग्री, रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य आदि अर्पित कीजिए। माता को आठ पूरियों की अठावरी और हलवे का भोग लगाइए।
3. इसके बाद दोपहर के समय करवा चौथ के व्रत की कथा सुनिए। रात को चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति की लंबी आयु की कामना कीजिए। इसके बाद एक छलनी लेकर चंद्र दर्शन कीजिए और उसी छलनी से पति का चेहरा देखें।
4. आखिर में पति के हाथों से जल ग्रहण करके आप अपना व्रत खोल सकती हैं। इसके बाद सास या घर में मौजूद किसी बुजुर्ग महिला के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लीजिए और सुहाग की दीर्घायु की कामना कीजिए।