जब मामूली दर्जी की सिली ड्रेस और मोजों के ग्लव्स पहन सुष्मिता सेन ने जीता था मिस यूनिवर्स का खिताब
19 नवंबर 1975 को हैदराबाद, आंध्र प्रदेश में जन्मी सुष्मिता सेन ने अपने जीवन में एक अच्छा खासा मुकाम हासिल किया है। सुष्मिता सेन मिस यूनिवर्स होने के साथ-साथ हिंदी सिनेमा की प्रसिद्ध और खूबसूरत अभिनेत्री भी हैं। सुष्मिता सेन ने 1994 में मिस यूनिवर्स का खिताब अपने नाम किया था, लेकिन एक साधारण से परिवार से आने वाली सुष्मिता सेन के लिए ब्यूटी क्वीन बनाना इतना आसान बिल्कुल भी नहीं रहा था। उन्होंने अपने जीवन में कड़ी मेहनत की है। तमाम कठिनाइयों और संघर्षों के बाद वह मिस यूनिवर्स के खिताब तक पहुंच पाईं।
आपको बता दें कि सुष्मिता सेन एक ऐसी पहली भारतीय महिला थीं, जिन्होंने मिस यूनिवर्स का खिताब जीता था। इसके अलावा उन्होंने उस समय के दौरान मिस यूनिवर्स का खिताब जीता, जब उनकी टक्कर ऐश्वर्या राय से थी। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से सुष्मिता सेन के जीवन की उस कहानी के बारे में बताने वाले हैं जब उन्होंने मिस यूनिवर्स का खिताब अपने नाम किया था। तो चलिए जानते हैं आखिर एक साधारण सी लड़की का मिस यूनिवर्स बनने का सफर कैसा रहा।
सुष्मिता सेन दिखने में जितनी खूबसूरत हैं, उतनी ही ज्यादा इंटेलिजेंट भी हैं। जी हां, सुष्मिता सेन भारत की पहली मिस यूनिवर्स हैं। आप सभी लोगों को यह याद होगा कि सुष्मिता सेन ने किस प्रकार से अपनी प्यारी सी मुस्कुराहट और खूबसूरत गाउन से रैंप पर लोगों का दिल जीत लिया था। सुष्मिता सेन ने अपनी खूबसूरती के साथ-साथ हाजिर जवाबी के भी सबका दिल जीत लिया था और उन्होंने अपनी जवाबों से सबको प्रभावित किया था।
सुष्मिता सेन महज 18 वर्ष की आयु में फेमिना मिस इंडिया का खिताब जीत चुकी हैं और उनको लेकर एक किस्सा बहुत प्रसिद्ध है, जिसके बारे में खुद सुष्मिता सेन ने बताया था। उन्होंने यह बताया था कि उनकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी। उनके पास गाउन खरीदने तक के पैसे नहीं थे। सुष्मिता सेन ने एक निजी टीवी शो में खुद इस बात का खुलासा किया था कि उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह डिजाइनर कपड़े खरीद सकें।
उन्होंने बताया कि उनको प्रतियोगिता के लिए चार कॉस्ट्यूम की आवश्यकता है। इस प्रतियोगिता के लिए उन्होंने एक साधारण दर्जी से सरोजनी नगर से अपनी ड्रेस सिलवाई थी, जो एक साधारण पेटीकोट सिला करता था।
आपको बता दें कि सुष्मिता सेन का विनिंग गाउन फैब्रिक से बना हुआ था। उनकी मां ने बचे हुए कपड़ों से उस ड्रेस का गुलाब बनाया था। जुराब को काटकर उन्होंने ग्लव्स से बनाए थे। इस प्रकार से उन्होंने अपनी पूरी ड्रेस तैयार की थी। जब सुष्मिता सेन ने यह खिताब जीत लिया तो बाद में उन्होंने खुद इस बात को स्वीकार किया कि उन्होंने पैसे नहीं बल्कि इरादों से जीत हासिल की थी। सुष्मिता सेन ने यह साबित कर दिखाया कि जीत हासिल करने के लिए पैसे नहीं बल्कि मजबूत इरादे होने चाहिए।
मिस यूनिवर्स का खिताब जीतने के बाद सुष्मिता सेन ने हिंदी सिनेमा में बतौर अभिनेत्री कदम रखा था। साल 1996 में आई फिल्म दस्तक से उन्होंने हिंदी सिनेमा में अपना कदम रखा। सुष्मिता सेन ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में भी एक अभिनेत्री के रूप में अपनी अच्छी खासी पहचान बनाई।