खेलने को गेंद नहीं थी, माता-पिता करते थे मजदूरी, IPL में ऐसे यार्कर किंग बने थंगरासू नटराजन
किसी ने सच कहा है, मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती है। हर किसी का सपना होता है कि वह अपने जीवन में कुछ बने, लेकिन ज्यादातर लोग अपना लक्ष्य हासिल करने से पहले ही हार मान जाते हैं परंतु जो लोग कठिनाइयों को पार करते हुए आगे बढ़ते रहते हैं, उनको अपना लक्ष्य अवश्य हासिल होता है। जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं आईपीएल 2020 में ऐसे बहुत से युवा खिलाड़ी है जो अपनी प्रतिभा का जलवा दिखा रहे हैं। इन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन से फैंस का दिल जीत लिया है, इतना ही नहीं बल्कि क्रिकेटर्स भी इनके कायल हो चुके हैं। अगर कोई इंसान गरीबी और बेबसी से निकलकर मेहनत और लगन से अपने सपने को पूरा करता है तो उसका संघर्ष दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत होता है। आज हम आपको एक ऐसे खिलाड़ी के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जो आईपीएल (IPL) में योर्कर किंग बन कर उभरे हैं। जी हां, हम “थंगरासू नटराजन” की बात कर रहे हैं। जिन्होंने काफी संघर्ष करते हुए अपने जीवन का यह मुकाम हासिल किया है।
आपको बता दें कि थंगरासू नटराजन आईपीएल 2020 में सनराइजर्स हैदराबाद की तरफ से खेल रहे हैं। थंगरासू नटराजन ने दिल्ली कैपिटल के खिलाफ हुए मैच में डेथ ओवर में अपनी कई योर्कर गेंद फेंकी। जिसका बल्लेबाजों को सामना में करने में बहुत मुश्किल हुई। अंतिम ओवरों में इन्होंने शानदार गेंदबाजी करते हुए सीमित 4 ओवरों में मात्र 25 रन देकर 1 विकेट लिया था, लेकिन थंगराज नटराजन का यहां तक पहुंचने का सफर बेहद संघर्षपूर्ण रहा है।
बेहद गरीबी में थंगरासू नटराजन बीता है बचपन
थंगरासू नटराजन का बचपन बेहद गरीबी में बीता था। आपको बता दें कि तमिलनाडु के रहने वाले तेज गेंदबाज थंगरासू नटराजन का जन्म 27 मई 1991 को एक गरीब परिवार में हुआ था। इन्होंने अपने जीवन में बहुत सी मुश्किल परिस्थितियों देखीं लेकिन उन्होंने अपना सपना साकार कर दिखाया। इनके पिताजी साड़ी की फैक्ट्री में मजदूरी करते थे और इनकी माताजी सड़क के किनारे दुकान लगाती थीं। थंगरासू नटराजन कुल पांच भाई-बहन हैं, जिनमे से यह सबसे बड़े हैं, जिसकी वजह से परिवार की जिम्मेदारी भी इनके ऊपर ही थी। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण गुजारा कर पाना बेहद मुश्किल था।
जब नटराजन स्कूल में पढ़ाई किया करते थे तो इनके पास इतना पैसा नहीं हुआ करता था कि यह अपने लिए किताबें खरीद सकें। तब इन्होंने पुरानी किताबों का सहारा लेकर पढ़ाई की थी। पुरानी ड्रेस पहनकर ही यह स्कूल जाया करते थे। भले ही इनको शुरुआत में खेल-कूद में कोई ज्यादा रुचि नहीं थी लेकिन इनको जब क्रिकेट के बारे में पता लगा तो यह उनका पैशन बन गया। आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण क्रिकेट खेलने के लिए नटराजन के पास संसाधनों का अभाव था। इनके पास बॉल भी नहीं थी।
खेलने के लिए नहीं थी क्रिकेट बॉल
जब थंगरासू नटराजन ने क्रिकेट खेल के बारे में जाना तो इन्होंने मन बना लिया कि यह क्रिकेट खेलेंगे, लेकिन क्रिकेट खेलने के लिए इनके पास जरूरी किट उपलब्ध नहीं थी। तब इन्होंने 5 वर्ष तक टेनिस बॉल से गेंदबाजी की प्रैक्टिस की थी। लेकिन बाद में नटराजन के जीवन में द्रोणाचार्य के रूप में कोच जयप्रकाश की एंट्री हुई। इन्होंने नटराजन को खेलने के लिए चेन्नई भेजा, इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने वहां रहने की व्यवस्था भी की थी। वर्ष 2011 में तमिलनाडु में होने वाले घरेलू क्रिकेट की प्रतियोगिता में थंगरासू नटराजन को पहले खेलने का पहला अवसर मिला था। इस प्रतियोगिता में इन्होंने अपने आपको साबित किया और अपने खेल से लोगों का दिल जीत लिया। उसी दौरान आयोजकों की नजर इन पर पड़ी।
आपको बता दें कि वर्ष 2012 में एक खेल प्रतियोगिता के दौरान नटराजन के ऊपर “जोली रोवर्स” क्रिकेट क्लब के प्रशिक्षक की नजर पड़ी थी। उन्होंने नटराजन को क्लब की तरफ से खेलने के लिए बुलाया था। यह नटराजन के लिए सुनहरा अवसर रहा। जहां पर भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज गेंदबाज आर अश्विन और बल्लेबाज मुरली विजय ने इनको ट्रेनिंग दी थी, जिसके बाद इनका जीवन पूरी तरह से बदल गया। नटराजन ने खूब मेहनत की, जमकर अभ्यास किया, अपने खेल को बेहतर से बेहतर करने की पूरी कोशिश की। इस क्लब में लगातार दो साल शानदार गेंदबाजी के दम पर 2015 में रणजी खेलने का अवसर मिला। नटराजन ने अपने परीक्षण के दौरान योर्कर की एक लेंथ खोजी, जिसे वह लगातार फेंक सकते हैं। अपनी योर्कर गेंद से इन्होंने बल्लेबाजों को खूब परेशान किया।
आपको बता दें कि थंगरासू नटराजन को वर्ष 2017 के लिए आईपीएल नीलामी में पंजाब की टीम ने तीन करोड़ रुपए में खरीद कर सबको चौंका दिया था, साथ ही यह सुर्खियों में भी आ गए। नटराजन को उनके बेस प्राइस 10 लाख से 30 गुना अधिक रकम देकर खरीदा था।