मुंहमांगी कीमत पर इस परिवार ने खरीदा था लता जी का घर, फिर सुरों के मंदिर की तरह करने लगे पूजा

भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी अब इस दुनिया को हमेशा हमेशा के लिए अलविदा कह कर चली गई हैं। वह पिछले करीब 28 दिनों से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रही थीं। उनकी तबीयत में थोड़ा सुधार भी हुआ था परंतु अचानक ही शनिवार, 5 फरवरी को उनकी तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई जिसके बाद उनको वेंटिलेटर पर रखा गया। डॉक्टरों ने उनकी जान बचाने की हर संभव कोशिश की परंतु उनकी जान बचाई ना जा सकी। रविवार, 6 फरवरी को लता मंगेशकर जी का निधन हो गया।

स्वर कोकिला लता जी का यहां हुआ था जन्म

लता मंगेशकर जी का जन्म इंदौर के सिख मोहल्ले में 28 सितंबर 1929 को हुआ था। उनके पिता जी का नाम दीनानाथ मंगेशकर था और उनकी माता जी का नाम शेवंती था। लता मंगेशकर जी जिस घर में पैदा हुई थीं, उसे वाघ साहब के बाड़े के रूप में जाना जाता है। लता जी 7 साल तक इस घर में ही रही थीं। उसके बाद परिवार वालों ने इस घर को एक मुस्लिम परिवार को बेच दिया था। उसके बाद लता जी परिवार के साथ महाराष्ट्र चली गईं।

इस परिवार के पास है घर

मुस्लिम परिवार कुछ साल तक इस घर में रहा। उसके बाद घर को बलवंत सिंह को बेच दिया। वहीं बलवंत सिंह भी कुछ समय तक इस घर में र,हे फिर इसे नितिन मेहता को उन्होंने बेच दिया।यहां रहने वाले नितिन मेहता और स्नेहल मेहता का ऐसा बताना है कि “हमें जब पता चला कि इसी घर में लता जी का जन्म हुआ तो हमने इसे मुंहमांगी कीमत पर खरीद लिया। उसके बाद हमने घर का कायाकल्प करवाया। हमने दुकान के एक हिस्से में लता जी का म्यूरल बनवाया है। लता के छोटे भाई हृदयनाथ मंगेशकर भी यहां आ चुके हैं।”

सुरों के मंदिर की तरह करते हैं पूजा

बता दें मेहता परिवार अब इस घर को सुरों के मंदिर की तरह पूजा करते हैं। आपको बता दें कि लता मंगेशकर जी का इंदौर वाला घर चार बार बिका है। मौजूदा समय में मेहता परिवार ने घर के बाहरी हिस्से में कपड़े का शोरूम खोल लिया है।

सुरीली आवाज बनाने के लिए मिर्ची खाती थीं लता जी

लता मंगेशकर जी की सुरीली आवाज की दीवानी पूरी दुनिया है। इनकी आवाज इतनी सुरीली है कि कानों में मिश्री घोल देती है। जब लता जी ने गायकी में अपना करियर शुरू किया था तो किसी ने लता जी को कहा था कि मिर्ची खाने से आवाज ज्यादा सुरीली होते हैं। इसी वजह से अपनी आवाज को और सुरीली और मीठा बनाने के लिए लता जी रोजाना ढेर सारी हरी मिर्च खा जाया करती थीं। ख़ासकर कोल्हापुरी मिर्ची, जो बहुत तीखी होती है।

अपनी आवाज की फिटनेस के लिए लता मंगेशकर जी बबल गम भी चबाया करती थीं। चाट गली और सराफा में उनका आना-जाना लगा रहता था। लता जी को जलेबी बहुत अधिक पसंद था। इतना ही नहीं बल्कि वह इंदौर के सराफा की खाऊ गली के गुलाब जाबुन, रबड़ी और दही बड़े बहुत पसंद करती थीं।

लता जी आपकी बोली में ही छाई है गाने जैसे मधुरता: सुमित्रा महाजन

दुनिया भर में लता मंगेशकर के प्रशंसकों की कमी नहीं है। इंदौर में भी उनके प्रशंसक की संख्या लाखों में है। इनमें पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन भी शामिल हैं। बता दें कि लोकसभा स्पीकर रहते हुए सुमित्रा महाजन ने साल 2019 में लता जी के जन्मदिन पर उनके मुंबई स्थित निवास पर जाकर बधाई दी थी। करीब आधा घंटा दोनों के बीच बातचीत चली।

उस समय लता जी ने महाजन से यह कहा था कि आप लोक सभा का संचालन बेहद प्रभावी तरीके से करती हैं। जब यह चर्चा हो रही थी तो उसी दौरान सुमित्रा महाजन ने लता मंगेशकर जी से यह कहा था कि आपसे बात करते हुए ऐसा लग रहा है जैसे मैं कोई गाना सुन रही हूं। आपकी बोली में गाने जैसे मधुरता है।

लता जी आई थीं भय्यू महाराज के आश्रम

स्वर कोकिला लता मंगेशकर संत स्वर्गीय भय्यू महाराज को अपना भाई मानती थीं। इंदौर स्थित सूर्योदय के पुराने सेवादारों के अनुसार लता जी महाराज की ओर से निर्धनों के हितों में किए गए कार्य और महाराष्ट्र में उनके आश्रमों में संचालित गतिविधियों को लेकर काफी प्रभावित थीं।

जब भी कोई त्यौहार आता था या फिर जन्म दिवस या खास मौके पर उनकी कई बार फोन पर भय्यू महाराज से बातचीत हुई थीं। 1990 के दशक में लता जी एक बार महाराज के इंदौर आश्रम पहुंचीं थीं और वह करीब आधा घंटा रुकीं।