103 मिनट तक का 21 वीं सदी का सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण ,होगा इस तारीख को , इन राशियों पर पड़ेगा बुरा प्रभाव
चंद्रग्रहण और सूर्य ग्रहण के बारे में प्राथमिक शिक्षा के दौरान ही विज्ञान की पुस्तकों में जानकारी दी जाती है कि ये एक प्रकार की खगोलीय स्थिति होती हैं। जिनमें चंद्रमा, पृथ्वी के और पृथ्वी, सूर्य के चारों ओर चक्कर काटते हुए जब तीनों एक सीधी रेखा में अवस्थिति होते हैं। जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आती है और चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया से होकर गुजरता है तो उसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है ऐसा केवल पूर्णिमा को ही संभव होता है। इसलिये चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा को ही होता है।
वहीं सूर्यग्रहण के दिन सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आता है जो कि अमावस्या को संभव है। ब्रह्मांड में घटने वाली यह घटना है तो खगोलीय लेकिन इसका धार्मिक महत्व भी बहुत है। इसे लेकर आम जन मानस में कई तरह के शकुन-अपशकुन भी व्याप्त हैं। माना जाता है कि सभी बारह राशियों पर ग्रहण का प्रभाव पड़ता है|
चंद्रग्रहण दो प्रकार के होते है पहला आंशिक चंद्रग्रहण और दूसरा पूर्ण चंद्रग्रहण|पूर्ण चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लेती है, तब पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है और वही आंशिक चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी चंद्रमा को आंशिक रूप से ढकती है, तो उस स्थिति में आंशिक चंद्र ग्रहण होता है।इस साल 2018 में दो बार चंद्र ग्रहण लगेगा जिसमे से पहला चंद्रग्रहण 31 जनवरी को लगा था और अब वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण 27 जुलाई को लगने वाला है और इसे सदी का पूर्ण चंद्रग्रहण माना जा रहा है |
इस वर्ष 27 जुलाई को पड़ने वाले इस दुसरे चंद्रग्रहण को 21वीं सदी का अब तक का सबसे लंबा और पूर्ण चंद्रग्रहण देखने को मिलेगा। 2018 का यह चंद्रग्रहण भारत में भी पूर्ण रूप से दिखाई देगा। चंद्रग्रहण की कुल अवधि 03 घंटा 54 मिनट 33 सेकंड की होगी। भारत के अतिरिक्त यह ग्रहण अंटार्टिका, ऑस्ट्रेलिया, एशिया, अफ्रीका, यूरोप, दक्षिण अमेरिका के मध्य और पूर्वीभाग में दिखाई देगा। हालांकि रूस के कुछ क्षेत्र में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा। इसका ग्रासमान 1.615 होगा |
एसा पहली बार होगा जब 15 जून, 2011 के बाद पहला केंद्रीय चंद्र ग्रहण होगा। पहला चंद्रग्रहण जनवरी में पड़ा था। उसके बाद यह दूसरा पूर्ण चंद्रग्रहण है।जैसा की हम सभी जानते है की ग्रहण एक खगोलीय घटना है जिसका सीधा असर हमारे राशियों पर पड़ता है और कभी कभी ये असर शुभ संकेत दे जाता है तो कभी कभी अशुभ फल भी दे देता है |
आपको बता दे इस बार 27 जुलाई को पड़ने वाले इस ग्रहण के बारे में ज्योतिषों ने बताया है कि यह चंद्रग्रहण पृथ्वी की छाया के बीच से चंद्रमा के सीधे गुजरने के कारण इसका समय इतना लंबा होगा। इस दौरान सूर्य से दूरी अधिक होने के कारण पृथ्वी की छाया का आकार बड़ा होगा। ज्योतिषों के अनुसार खग्रास चंद्रग्रहण उत्तरा आषाढ़ व श्रवण नक्षत्र तथा मकर राशि में होगा। जिसके कारण जिनका जन्म नक्षत्र उत्तरा आषाढ़ एवं श्रवण नक्षत्र व जन्म राशि व लग्न मकर है, उनके लिए बहुत ही अशुभ है।