खाते में 15 लाख रुपए आने की तारीख को लेकर RTI में पूछा गया सवाल, तो PMO ने दिया ये जवाब
8 नवंबर 2016 को जब देश के प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की घोषणा की थी तो पुरे देश में हड़कंप मच गया था. इस नोटबंदी पर कई तरह के सवाल भी उठे थे. अपने एक बयान में पीएम मोदी ने कहा था कि नोटबंदी से देश को फायदा होगा. इससे विदेशों में जमा काला धन भारत वापस आ जाएगा. इसी बात को लेकर मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार के रूप में खड़े होने पर यह कहा था कि जब विदेशों से भाजपा काला धन लाएगी तो प्रत्येक व्यक्ति के खाते में 15 लाख रुपए आ जाएंगे. इसके बाद समय बिताता चला गया और 15 लाख रुपए वाली बात हवा में ही गुम हो गई.
खाते में 15 लाख आने को लेकर पूछा गया सवाल
लेकिन अब एक बार फिर ये बात चर्चा का विषय बन रही हैं. इस बार वजह ये हैं कि इस 15 लाख रुपए के खाते में आने वाली बात पर पीएमओ की तरफ से एक जवाब आया हैं. दरअसल मोहन कुमार शर्मा नाम के एक शख्स ने नोटबंदी के 18 दिन बाद ही RTI (सुचना का अधिकार) के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय में एक सवाल किया था. इस सवाल में उन्होंने लिखा था कि ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी 15 लाख रुपए देने का वादा किया था उसकी तारीख क्या हैं?’
ये था पीएमओ का जवाब
इस सवाल का जवाब मोहन कुमार शर्मा को कई दिनों बाद हाल ही में प्राप्त हुआ हैं. उनके 15 लाख रुपए खाते में आने की तारीख को लेकर किए गए सवाल पर पीएमओ (प्रधान मंत्री कार्यालय) ने जवाब में कहा हैं कि ‘ये सवाल आरटीआई (सुचना के अधिकार) के दायरे में नहीं आता हैं. इसलिए इसका जवाब नहीं दिया जा सकता हैं.’
जवाब से संतुष्टि ना मिलने पर की शिकायत
जब मोहन कुमार शर्मा पीएमओ के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए तो उन्होंने मुख्य सूचना आयुक्त आर के माथुर से शिकायत की थी कि पीएमओ और आरबीआई के द्वारा उन्हें पूर्ण सुचना प्रदान नहीं की गई. इस पर सीआईसी माथुर ने बयान जारी करते हुए कहा कि “पीएमओ के द्वारा आवेदककर्ता को यह जानकारी इसलिए नहीं दी गई क्योंकि उनकी RTI के द्वारा मांगी गई ये जानकारी आरटीआई एक्ट के सेक्शन 2(एफ) के अंतर्गत परिभाषित सुचना के अधिकार में नहीं आती हैं.”
दरअसल RTI के नियम के तहत सुचना का अर्थ रिकार्ड, दस्तावेज, ज्ञापन, ई – मेल, प्रेस विज्ञप्ति सलाह, अनुबंध, रिपोर्ट, दस्तावेज, नमूना, लॉगबुक समेत किसी भी रूप में रखी सामग्री से है. अतः सीआईसी माथुर ने यह निर्णय लिया कि पीएमओ और आरबीआई के द्वारा दिया गया जवाब सही हैं.
क्या हैं RTI ?
आरटीआई (राईट टू इन्फोर्मेशन) यानी सुचना का अधिकार एक्ट साल 2005 में लागु हुआ था. इसे देश के सबसे क्रांतिकारी कानूनों में से एक माना गया. आरटीआई के तहत एक आम आदमी की पहुँच सरकारी सूचनाओं तक हो गई. यहाँ तक कि इस एक्ट के जरिए कई घोटालो का खुलासा भी हो चूका हैं. इस कानून के तहत कोई भी आम आदमी किसी भी सरकारी जानकारी की जान सकता हैं. इसके लिए आवेदककर्ता को बाकायदा लिखित में आवेदन देना होता हैं. जिसका जवाब उसे आरटीआई एक्ट के तहत एक निश्चित समयकाल में मिल जाता हैं.