मंडप में दुल्हन की माँ को देखकर दूल्हे ने शादी से कर दिया इंकार.
आजकल शादी ब्याह का माहौल चल रहा है वहीं देश के हर अलग अलग हिस्से में शादीयां भी हो रही हैं। हमारे समाज में शादी बेहद ही महत्वपूर्ण संस्कार है। वहीं हिन्दू शास्त्रों में भी प्रमुख 16 संस्कारों में विवाह भी है। यदि वह संन्यास नहीं लेता है तो प्रत्येक व्यक्ति को विवाह करना जरूरी है। विवाह करने से बाद ही पितृऋण चुकाया जा सकता है। वि + वाह = विवाह अर्थात अत: इसका शाब्दिक अर्थ है- विशेष रूप से वहन करना। विवाह को पाणिग्रहण कहा जाता है। लेकिन कुछ शादियां ऐसी भी होती है जो यादगार बन जाती है। हाल ही में जो शादी हुई वो भी कुछ ऐसी ही थी।
दरअसल आपको बता दें कि मंगलवार को गोपीगंज स्थित बाबा बड़े शिव मंदिर में एक शादी समारोह था। जहां हर कोई बेहद खुश था लेकिन जब मंदिर में दूल्हा बारात लेकर पहुंचा तो उसने दुल्हन की माँ को देखकर शादी को करने से इनकार कर दिया। जी हां अब आप भी सोच रहे होंगे कि भला दूल्हन की मां को देखकर उसने शादी से इंकार क्यों कर दिया और इसमें दूल्हन की मां का क्या काम होगा।
दरअसल आपको बता दें कि दूल्हा जैसे ही मंडप में पहुंचा उसने दुल्हन की माँ के चेहरे पर सफेद दाग देख लिया जिससे वो भड़क गया जिसके बाद उसने दुल्हन से शादी करने से मना कर दिया। जी हां उसने कहा कि दुल्हन की माँ को सफेद दाग (फूल) का रोग है और ये बात उससे छिपाई गई है। फिर क्या था इसके बाद लड़की पक्ष वालों ने दूल्हे को मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन उसने किसी की भी एक न सुनी और वो गुस्से से आग बबूला हो गया।
लाख कोशिशों के बाद भी जब दूल्हा दुल्हन से शादी करने को तैयार नहीं हुआ, तो फिर लड़की के परिजन ये मामला पुलिस तक लेकर चले गए जिसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दोनों पक्षों में समझौता कराने के लिए पंचायत करवाने का निर्णय किया। उस समय तक दूल्हे का गुस्सा काफी हद तक शांत हो गया था और फिर दूल्हा पुलिस और पंचायत की बात मानते हुए दुल्हन से शादी करने को तैयार हो गया जिसके बाद इस प्रकार से आखिरकार ये शादी संपन्न हो पाई।
इस घटना को सुनकर ये लगता है कि चाहे हमारा समाज कितना भी विकसित हो जाए लेकिन आज भी कुछ जगहें वैसी हैं जहां के लोगों की मानसिकता अभी भी बहुत पुरानी है और इसी वजह से वो आगे नहीं बढ़ पाते हैं और उन्हीं सोच को लेकर आगे बढ़ते हैं। हैरानी तो इस बात की होती है कि इस आधुनिक युग में भी लोग ऐसा कुछ सोचते हैं और ऐसी संकीर्ण मानसिकता के साथ जीते हैं। और ऐसी दकियानुसी साोच को लेकर न जाने कितनी लडकियों की जिंदगी बर्बाद हो जाती है इस तरह के दंश न जाने कितनी लड़कियों को झेलना पड़ता है।