मामुली धातु को सोने में बदलने में माहिर थे रसायनशास्त्री नागार्जुन, जानिए भारत के इस महान वैज्ञानिक के बारे में
भारत में कई महान वैज्ञानिक हुए जैसे कणाद ऋषि, भारद्वाज ऋषि, बौधायन, भास्कराचार्य, वराहमिहिर, चरक, सुश्रुत, पाणिनी, महर्षि अगस्त्य आदि. इन्हीं में से एक थे नागार्जुन. बता दें कि बबुत से पुरुषों ने भारत का इतिहास गढ़ने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है. भारत के ऐतिहासिक पन्नों पर इन महापुरुषों के नाम की कई कहानियां मिल जाती है. जो आज भी किसी मार्गदर्शन से कम नहीं है. अपने इस लेख से हम करीब 3 हजार वर्ष पहले के रसायन विज्ञान और धातु विज्ञान के बारे में जानेंगे.
प्राचीन भारत 3000 साल पहले भी धातु विज्ञान और रसायन विज्ञान में सबसे आगे था. इस बात का सबूत 1600 वर्ष पूर्व से दिल्ली के महरोली मैं स्थित ‘लोहा स्तंभ’ भी है जिसमे आज तक जंग नहीं लगा. नागार्जुन की जन्म तिथि एवं जन्मस्थान के विषय में अलग-अलग मत हैं. एक मत के अनुसार इनका जन्म 11वीं शताब्दी में हुआ था तथा अन्य मतानुसार नागार्जुन का जन्म सन् 1931 में गुजरात में सोमनाथ के निकट दहाक ग्राम में 10वीं शताब्दी की शुरुआत में हुआ था. इसके इलावा तिब्बती लोगों का उनके जन्म को लेकर अलग विश्वास है. बता दें कि बौद्धकाल में भी एक नागार्जुन थे.
नागार्जुन ने ‘सुश्रुत संहिता’ के पूरक के रूप में ‘उत्तर तन्त्र’ नामक पुस्तक भी लिखी. नागार्जुन ने रसायन शास्त्र और धातु विज्ञान पर बहुत शोध कार्य किया. रसायन शास्त्र पर इन्होंने कई पुस्तकों की रचना की जिनमें ‘रस रत्नाकर’ और ‘रसेन्द्र मंगल’ बहुत प्रसिद्ध हैं. उन्होंने अपनी पुस्तक रस रत्नाकर में सभी धातुओं को शुद्ध करने की विधि के बारे में लिखा था. इतना ही नहीं उन्होंने अपनी पुस्तकों में यह भी उल्लेख किया है कि कि किसी भी धातु को सोने में कैसे परिवर्तित किया जाता है.
रसायनशास्त्री व धातुकर्मी होने के साथ-साथ इन्होंने अपनी चिकित्सकीय सूझ-बूझ से अनेक असाध्य रोगों की औषधियां तैयार कीं. चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में इनकी प्रसिद्ध पुस्तकें ‘कक्षपुटतंत्र’, ‘आरोग्य मंजरी’, ‘योग सार’ और ‘योगाष्टक’ हैं. वह अमृत की भी खोज करना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने एक बड़ी लेब भी बनाई थी. जिसमें उन्होंने अपने अधिकतर आविष्कार किए थे. इसी के दौरान उन्होंने कड़ी मेहनत के बाद सभी धातुओं को सोने में बदलने की विधि का पता लगाया था.
औषधियों की खोज करने के बाद नागार्जुन अमर होने वाली चीजों की खोज करने लगे. और वह पूरे समय इन खोजों में ही व्यस्त रहते थे. के कारण उनके राज्य मैं अव्यवस्था फैलने लगी.जब यह बात उनके बेटे ने उन्हें बताई और राज्य पर ध्यान देने के लिए कहा.तो उन्होंने अपने को बताया कि वो अमर होने वाली औषधि का पता लगा रहे है. इस बात को सुनकर उनका बेटा बहुत खुश हुआ लेकीन उन्होंने यह बात अपने दोस्त को भी बता दी. इस के चलते साजिश के तहत उनकी हत्या करदी गई.