जहां आज के युवा कृषि के क्षेत्र में जाने से घबराते हैं वहीं एक समय ऐसा था जब 1986 के दौरान मल्लिका श्रीनिवासन को जब वह 27 साल की थी, मैसी फार्ग्युसन ट्रैक्टर और कृषि उपकरण निर्माता टैफे से जुड़ने का मौका मिला था. उन्होंने यह ऑफर बिना एक बार सोच विचार किए ही अपना लिया था. नब्बे के दशक के दौरान किसी भी महिला के लिए कृषि उपकरणों की किसी कंपनी को संभालना काफी बड़ी जिम्मेदारी थी. मल्लिका के लिए यह काफी ज्यादा सामान्य सी बात थी. इस पद को संभालते वक्त उनके पिता ने उनको स्वतंत्रता से निर्णय लेने के लिए आजाद कर दिया था. बता दे तब मल्लिका का कहना था कि कारोबार कोई भी हो सभी की एक न्यूनतम जरूरत होती है. इसी भरोसे पर ‘टैफे’ कंपनी की शुरुआत की है.
फोर्ब्स की सूची में 50वे स्थान पर है
जानकारी के लिए आप सभी लोगों को बता दें कि व्यापार पत्रिका फोर्ब्स में मल्लिका को एशिया की सबसे शक्तिशाली 50वी महिला का दर्जा मिला था. साल 2021 में इस महिला को फॉर्च्यून की 100 सबसे ताकतवर महिलाओं में शामिल किया गया था. आज यह दुनिया की जानी मानी व्यापारी महिलाओं में से एक है और सफलता की बुलंदियों को छू रही है. हालांकि उन्होंने जो मुकाम हासिल किया है वह किसी के लिए भी हासिल करना आसान नहीं है.
85 करोड़ को 160 करोड़ में बदला
जब साल 1986 में मल्लिका टैफे कंपनी से जुड़ी थी. तब इस कंपनी का सालाना टर्नओवर 85 करोड रुपए था. लेकिन बाद में इस साहसी महिला ने अपनी कड़ी मेहनत के दम पर इस टर्नओवर को बड़ा कर 160 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंचा दिया. इस काम को करने के लिए मल्लिका की मदद उनके पिता और टैफे की सारी टीम ने की. इन सब की मेहनत के ही दम पर आज यह कंपनी सालाना 160 करोड अमेरिकी डॉलर का टर्नओवर कर रही है. जब 90 के दशक में मलिका टैफे कंपनी के साथ जुड़ी थी तब टैफे कंपनी केवल एक ही प्रकार के कृषि उपकरणों का निर्माण करती थी. लेकिन बाद में मल्लिका ने अपने कई प्रयासों से कृषि उपकरणों की समस्या सीमा को समझा और कंपनी में अलग-अलग तरह के उपकरणों का निर्माण किया जाने लगा.
मेहनत के दम पर बनी ‘ट्रैक्टर क्वीन’
गौरतलब है कि जब मलिका कंपनी में शामिल होने का फैसला किया था तब टेफे केवल एक सामान्य दक्षिणी कंपनी के रूप में मान्यता मिली हुई कंपनी थी इतना ही नहीं यह कंपनी अपने राज्य में कुछ ज्यादा पहचान भी नहीं बना पाई थी. लेकिन मल्लिका जैसी साहसी महिला ने अपनी कड़ी मेहनत के दम पर इस कंपनी को पूरे भारत में पहचान दिलाई और अपनी कंपनी में हाई टेक्नोलॉजी का उपयोग कर ट्रैक्टर कवीन के नाम से जाने जाने लगी.
बताते चलें कि भारतीय किसानों के बारे में मल्लिका की सोच है कि भारतीय किसान काफी ज्यादा बुद्धिमता से चीजों की मांग करता है वह अपनी मेहनत से कमाए गए पैसों को बड़ी ही सोच समझकर खर्च करता है. ऐसे में हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि समय के हिसाब से ट्रैक्टर के डिजाइन मॉडल और तकनीक में परिवर्तन किया जाए लेकिन इनकी कीमतें ना बढ़ाई जाए.